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सीताजी जी द्वारा कृत गौरी स्तुति  

RamcharitManas-Kashi
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बालकाण्ड प्लेलिस्ट
• रामचरितमानस गायन (बालक...
जानि कठिन सिवचाप बिसूरति। चली राखि उर स्यामल मूरति॥
प्रभु जब जात जानकी जानी। सुख सनेह सोभा गुन खानी॥1॥
भावार्थ:-शिवजी के धनुष को कठोर जानकर वे विसूरती (मन में विलाप करती) हुई हृदय में श्री रामजी की साँवली मूर्ति को रखकर चलीं। (शिवजी के धनुष की कठोरता का स्मरण आने से उन्हें चिंता होती थी कि ये सुकुमार रघुनाथजी उसे कैसे तोड़ेंगे, पिता के प्रण की स्मृति से उनके हृदय में क्षोभ था ही, इसलिए मन में विलाप करने लगीं। प्रेमवश ऐश्वर्य की विस्मृति हो जाने से ही ऐसा हुआ, फिर भगवान के बल का स्मरण आते ही वे हर्षित हो गईं और साँवली छबि को हृदय में धारण करके चलीं।) प्रभु श्री रामजी ने जब सुख, स्नेह, शोभा और गुणों की खान श्री जानकीजी को जाती हुई जाना,॥1॥
* परम प्रेममय मृदु मसि कीन्ही। चारु चित्त भीतीं लिखि लीन्ही॥
गई भवानी भवन बहोरी। बंदि चरन बोली कर जोरी॥2॥
भावार्थ:-तब परमप्रेम की कोमल स्याही बनाकर उनके स्वरूप को अपने सुंदर चित्त रूपी भित्ति पर चित्रित कर लिया। सीताजी पुनः भवानीजी के मंदिर में गईं और उनके चरणों की वंदना करके हाथ जोड़कर बोलीं-॥2॥
*जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥3॥
भावार्थ:-हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती! आपकी जय हो, जय हो, हे महादेवजी के मुख रूपी चन्द्रमा की (ओर टकटकी लगाकर देखने वाली) चकोरी! आपकी जय हो, हे हाथी के मुख वाले गणेशजी और छह मुख वाले स्वामिकार्तिकजी की माता! हे जगज्जननी! हे बिजली की सी कान्तियुक्त शरीर वाली! आपकी जय हो! ॥3॥
* नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥4॥
भावार्थ:-आपका न आदि है, न मध्य है और न अंत है। आपके असीम प्रभाव को वेद भी नहीं जानते। आप संसार को उत्पन्न, पालन और नाश करने वाली हैं। विश्व को मोहित करने वाली और स्वतंत्र रूप से विहार करने वाली हैं॥4॥
दोहा :
* पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष॥235॥
भावार्थ:-पति को इष्टदेव मानने वाली श्रेष्ठ नारियों में हे माता! आपकी प्रथम गणना है। आपकी अपार महिमा को हजारों सरस्वती और शेषजी भी नहीं कह सकते॥235॥
चौपाई :
* सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥1॥
भावार्थ:-हे (भक्तों को मुँहमाँगा) वर देने वाली! हे त्रिपुर के शत्रु शिवजी की प्रिय पत्नी! आपकी सेवा करने से चारों फल सुलभ हो जाते हैं। हे देवी! आपके चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं॥1॥
* मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥2॥
भावार्थ:-मेरे मनोरथ को आप भलीभाँति जानती हैं, क्योंकि आप सदा सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करती हैं। इसी कारण मैंने उसको प्रकट नहीं किया। ऐसा कहकर जानकीजी ने उनके चरण पकड़ लिए॥2॥
* बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी॥
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ॥3॥
भावार्थ:-गिरिजाजी सीताजी के विनय और प्रेम के वश में हो गईं। उन (के गले) की माला खिसक पड़ी और मूर्ति मुस्कुराई। सीताजी ने आदरपूर्वक उस प्रसाद (माला) को सिर पर धारण किया। गौरीजी का हृदय हर्ष से भर गया और वे बोलीं-॥3॥
* सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥4॥
भावार्थ:-हे सीता! हमारी सच्ची आसीस सुनो, तुम्हारी मनःकामना पूरी होगी। नारदजी का वचन सदा पवित्र (संशय, भ्रम आदि दोषों से रहित) और सत्य है। जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही वर तुमको मिलेगा॥4॥
छन्द :
* मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
भावार्थ:-जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर साँवला वर (श्री रामचन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है। इस प्रकार श्री गौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सब सखियाँ हृदय में हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं- भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं॥
सोरठा :
* जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥236॥
भावार्थ:-गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय को जो हर्ष हुआ, वह कहा नहीं जा सकता। सुंदर मंगलों के मूल उनके बाएँ अंग फड़कने लगे॥236॥

Опубликовано:

 

4 май 2021

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Комментарии : 2,2 тыс.   
@nvblogs7382
@nvblogs7382 2 года назад
Hey Janki Maa aapki beti abhi bahut kast me hai raksha kro maa bahut uljhan me h sab thik kar dijiye maa🙏🙏🙏🙏🙏
@shashikaushal1984
@shashikaushal1984 Год назад
हे जगत जननी आदिशक्ति जगदम्बा हम पर भी अपनी कृपा करो मां इस बेटी की भी मनोकामना पूरी कर दीजिए मां 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🤲🤲🤲🤲💛
@DeepakPandey-yb9bv
@DeepakPandey-yb9bv 16 часов назад
हे मां जगत जननी हे जगदम्बा आप तो अपने इस कपटी कुटिल पुत्र का भी प्रणाम स्वीकार करिए,माता आप तो अपने इस नालायक पुत्र का मनोरथ जानती ही है उसे साकार करे माता बिना विघ्न के🙏🙏🙏
@ashokkumarlodhi
@ashokkumarlodhi Год назад
रामचरितमानस के इस भाग का पाठ करने से कन्याओं को सुंदर बर की प्राप्ति होती है
@shivprakashtiwari125
@shivprakashtiwari125 Год назад
कोटि कोटि प्रणाम करता हूं हमारा देश संस्कृति का देश संस्कृति है और सभी को एक साथ एक ही स्थान है जहां से बोलो जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी मैया जय हो पवनपुत्र हनुमानजी को बार बार प्रणाम करता हूं और सब ठीक हो जाता है।❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@SweetyRaj-ci6ej
हे माता, मेरे प्राण नाथ को हमसे कभी दूर नही करना, 🙏🙏🙏🙏🙏😭😭😭😭😭
@AnilGupta-br6cg
पहले पिता का नाम गिरिवर उसके बाद पति का नाम महेश मुख चन्द्र चकोरी उसके बाद पुत्र का नाम गजबदन षडानन माता आप की जय हो जय हो जय हो जय जय-जयकार हो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
@chetnajain7324
Jay ho gorimaa apne meri manokamna puri kardi apkikripa se mene mera manchaha war patirup me paaliya.
@user-wo8zp6xg4f
Jay maa janki maa gori jay ho maa आदिशक्ति मां भगवती की 🙏🌹🔱 अतिसुंदर satuti
@SURESHKUMAR-er7te
@SURESHKUMAR-er7te 2 года назад
हमारे सनातन धर्म संस्कृति की यही महानता है कि स्वयं माता लक्ष्मी जी माता गौरी जी से सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना कर रही है जय जय श्री सीताराम जय जय श्री राधे कृष्णा जय जय सनातन धर्म संस्कृति
@shrinarayanmalviya7135
धन्य धन्य गिरिराज कुमारी,
@piyushkumarray7372
@piyushkumarray7372 Год назад
शिवशक्ति की सदा ही जय हो
@AlkaDamke
हेमा गोरी hmi भी मन वनहित वर दे मां❤❤❤❤❤
@prabhakarnathojha1838
@prabhakarnathojha1838 2 года назад
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम
@paraskumar6823
@paraskumar6823 2 года назад
अति सुन्दर, अति सुन्दर
@krishnakumargupta7021
@krishnakumargupta7021 Год назад
जगज्जननी जानकी जी के द्वारा गौरी-पूजन का यह दिव्य गान अद्भुत एवं विलक्षण है, सनातन-धर्म व संस्कृति के अनुयायियों व श्रद्धालुओं के कर्णविवरों को पावन कर देने की इसमें क्षमता है । परम पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा श्रीरामचरितमानस में रचित ये जितनी सुन्दर चौपाइयाँ व दोहा है, उतने ही सुन्दर रीति से आज की विलक्षण प्रतिभा वाली तथा साक्षात् माता सरस्वती जी का वरदान प्राप्त की हुई दिव्य कण्ठ वाली सुश्री अनुराधा पोडवाल जी के द्वारा इसे गाया गया है । अत्यन्त सरल शब्दावलियों में यह गान अविवाहित कन्याओं के लिए एक ऐसा मन्त्र-स्वरूप है, जिसके गान से उनका भविष्य मङ्गलमय व शुभ होता है । पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं ! हृदय से आभार ! जय जय श्री सीताराम ! उमापति महादेव की जय ! वज्राङ्गबली हनुमानजी की जय ! हर हर महादेव !
@user-jx5mr4og2v
@user-jx5mr4og2v Год назад
मेरी फेवरेट स्तुति मैया की जब भी माता रानी k मंदिर जाती hu to जरूर बोलती hu मेरे गुरुदेव भी बताते है अविवाहित बेटियो k लिए 🙏🙏🙏🙏
@abhishekmishra4942
@abhishekmishra4942 2 года назад
कोइ भि भक्ति भजन हो और अनुराधा जी की आवाज हो
@sweetshiva1802
He maa meri manukamna puri krna mujhe accha ghr var mile jaldi hi or sda m khush rhu meri bhen ki bhi jaldi hi shadi ho hm sabhi hi sukhi rhe hamesha, jaldi hi hmare kary pure ho sabhi
@s.k.haridas6726
भगवान के नाम का जाप करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं, भगवान का नाम सब से ताकतवर है
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