Pandit Vo Badnasib..Baap He Jo Duniya par Raj Karte Unke Bachche par usko maar maar hi Sudr Sudr Se Atanki ban gaye Ramji ke bachche lav kush ki pidhiya Namaj Gulami kar Rahe he jo mallah Raja kol bhil Raja Vanvasi Raja Aaj Jinko Dalit bola Jata Vo bhi Raja
हमारे यहाँ राजर्षि संतो का उल्लेख मिलता है जो राजा होते हुए भी संतथेऔर उनसे दीक्षा लेने वाले बड़े बड़े ज्ञानी भी जाया करते थे।वर्तमान में राजनीति भी राज्य संचालन की एक प्रक्रियामात्र है
मैं गोरखपुर के पास का हूं, जहाँ तक मैं योगी जी को समझ पाया हूँ, योगी जी एक अच्छे सन्यासी हैं, परंतु एक अच्छे शाशक नहीं हैं, उनमें एक अच्छे संत के गुण नही हैं।
मस्जिद जा कर शव पर चादर चढ़ाना किस प्रकार से किसी संत का गुण है? ये तो बड़ा पाप है । और भी अनेकानेक पाप कर्म इसने किए हैं और करता रहता है इसलिए ये म्लेच्छ सिद्ध हो सकता है।
धर्म शास्त्र और नीति शास्त्र के अनुसार कोई ब्राह्मण या संत साधु सन्यासी बी से राज्य का सुरक्षा के लिए देश मातृभूमि का सुरक्षा के लिए शस्त्र दंड सिंहासन धारण कर सकता है और राजा भी बन सकता है शासन भी कर सकता है त्याग भी कर सकता है सनातन हिंदू धर्म का नीति धर्म शास्त्र संस्कार है।
याद रखें योगी आदित्य नाथ काल भैरव के अवतार हैं और भगवान् भोलेभण्डारी के प्रतिनिधि हैं और ईश्वर के सत्य सनातन धर्म के प्रहरी हैं । इनका लक्ष्य : " मैं भक्तों के लिए शांत व शीतल हूँ और दुष्ट व हरामखोरों का काल हूँ " यह सत्य है किसी भी भ्रम में ना रहें
२२ जनबरी को राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि अघोरी बाबा से भोगानन्द बाबा का गपसप ! काल्पनिक हास्य-विनोद कथा का परिबेश: इस कथा के सारे पात्र काल्पनिक हैं। अर्ध निर्मित राममंदिर का उद्घाटन क्यों हो रहा है? वहां PM महा-भोगेन्द्र मोदी जी के साथ इतने उनके भोगी साथी क्यों आ रहे है? ये लोकार्पण धार्मिक समारोह नहीं, बल्कि बीजेपी/RSS की पोलिटिकल pre-election पार्टी है। श्री राम के जन्मस्थान को hijack किये जाने का बिरोध कीजिये। यह मंदिर सनातन और सीख संप्रदाय का है। ट्रस्ट के द्वारा सिर्फ हिन्दू-सीख को ही बुलाया जाना चाहिए। सभी संप्रदाय के धर्माचार्य के संयुक्त निर्णय, कार्यक्रम प्लान के मुताविक ही सारी प्रक्रिया होनी चाहिये। सनतानिओं के ५०० बर्ष के संघर्ष में सिर्फ हिन्दू-सीख समाज का रक्त बहा है । मन्दिर,कोर्ट के फैसले से बन रहा है, ना कि PM के किसी राजनितिक मदद से। हिन्दू के इस इंटरनल मामले में भला सेक्युलर पद के PM का क्या काम है? वो क्यों बुलाये गए हैं और वो क्यों आ रहे हैं? उनको नहीं आना चाहिए। ट्रस्ट का मोदी जी को जजमान बनाना और उदघाटन के लिए बुलाना, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का अपमान है, जो जाने -अनजाने में हो रहा है। ऐसा पाप तो ना करें। मोदी ने अपने निर्दोष सनातनी पत्नी का त्याग और अपने गुरुओं का अपमान भी किया है, इसलिए वे सनातनियों के आदर्श नहीं हैं।
परंतु साधारण स्वार्थी पाखंडी पदलोलुुप विश्वासघाती भ्रष्ट नपुंसक राजनेता के मुकाबले #गीता के कर्तव्य कर्म से सुसज्जित सज्जनता का विकास दुर्जनता विनाशक निर्भीक निष्कपट कर्मयोगी नेता मैं #आकाश_पाताल_का_अंतर ! #निर्भीक निष्कपट संत अगर #पथभ्रष्ट विश्वासघाती नपुंसक राजनीति को न्याय संगत मार्गदर्शन नहीं करेंगे तो और कौन करेगा और दूसरा कौन सक्षम है ???? अभयं शरणं
ये है कौन, जो सबको प्रमाण पत्र बांट रहे है, पहले अपने अंहकार को समझे तो बेहतर होगा, वरना अब तक का इनका जीवन व्यर्थ ही है| ये अंहकार शिरोमणि है, शंकराचार्य तो ये अगले सैकड़ों जन्मों में भी नही हो सकते| अति निम्न चेतना है इनकी|
ये भी बता दो की किस प्रकार श्रीमद्भगवद्गीता एवं भगवान श्री राम जी और सुग्रीव जी की कथा के अनुसार आदित्यनाथ कर्म योगी और सन्यासी सिद्ध है। और हम बता दें तुमको की , योगी आदित्यनाथ ( अजय सिंह बिष्ट) क्षत्रिय है , और अपने वर्णाश्रम धर्म का त्याग कर वो संत वेश में है , अर्थात उसने स्वधर्म का त्याग कर परधर्म को स्वीकार किया , अर्थात दुर्गति निश्चित है क्योंकि ( स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः )( श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय जिसका नाम कर्मयोग है) उससे ही योगी आदित्यनाथ स्वधर्म का त्याग करने वाला सिद्ध हो गया तो इसकी दुर्गति निश्चित है । ऐसे कृत्रिम ब्राह्मणों से ही धर्म की हानि होती है। दूसरी बात , क्षत्रिय का सन्यास आश्रम में अधिकार नहीं है , केवल ब्राह्मण ही सन्यासी हो सकता है। (जो वर्णाश्रम व्यवस्था को न माने, वो नीच तो अपने पतन का कारण बनता है , और समाज के लिए भी वह एक बोझ है) । श्रीमन्नारायण
@@ayush854maharshi viswamitra khatriya the Raja the guru vashistra se kamdhenu gay ke liye yuddh ki vajah se sanyasi huye maharshi huye ,maharshi balmiki baheliya the sanyas lekar maharshi hi nahi devarshi ka darja prapt tha ,bhagwan buddh kshatriya the sanyas me gaye
After pratishtapan some people are feeling jealous because they were not given importance and nothing happened after their cursing of Modiji. And every thing went on smoothly.
योगी आदित्यनाथ ( अजय सिंह बिष्ट) क्षत्रिय है , और अपने वर्णाश्रम धर्म का त्याग कर वो संत वेश में है , अर्थात उसने स्वधर्म का त्याग कर परधर्म को स्वीकार किया , अर्थात दुर्गति निश्चित है क्योंकि ( स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः )( श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय जिसका नाम कर्मयोग है) उससे ही योगी आदित्यनाथ स्वधर्म का त्याग करने वाला सिद्ध हो गया तो इसकी दुर्गति निश्चित है । ऐसे कृत्रिम ब्राह्मणों से ही धर्म की हानि होती है। दूसरी बात , क्षत्रिय का सन्यास आश्रम में अधिकार नहीं है , केवल ब्राह्मण ही सन्यासी हो सकता है। (जो वर्णाश्रम व्यवस्था को न माने, वो नीच तो अपने पतन का कारण बनता है , और समाज के लिए भी वह एक बोझ है) । श्रीमन्नारायण
आदित्यनाथ ( योगी तो हर कोई बन बैठा है आज कलिकल में , जैसे ये और रामदेव ) मस्जिद जा कर चादर चढ़ाए, और विकास के नाम पर काशी , विंध्याचल , अयोध्या , वृंदावन को नष्ट करे , काशी में सैकड़ों पौराणिक मंदिर जिनका वर्णन स्कंद पुराण में है , उनको तुड़वा दिया , काशी में बह रही दिव्य और पवित्र भगवती माँ गंगा की पवित्र को नष्ट करने का श्रेय भी इस अधर्मी को ही जाता है। इसी प्रकार अन्य कई कारणों से आदित्यनाथ म्लेच्छ सिद्ध होता है।