खुशबू ओ की तरह मेरी आवाज़ भी मेरी आवाज़ भी ईश्क की मेहफिलो मे बिखर जायेगी। इस जमाने को नाते सुनते हुए जिंदगी जो बची है गुजर जायेगी। उनका असिक हूँ पहेचाते हैं मुझे मेरे सरकार तो जानते हैं मुझे। एक कांटा भी मुझको चुभे गा अगर तो मदिने तक खबर जाए गी। सायरी कर रहे हो तो ऐसा ईश्क ये सरकार सीने मे पैदा करो फिर ये लहजा करे गा दिलों पर असर तो सायरी खुद बा खुद ही निखर जायेगी