सूर्य देव के रथ का दाहिना घोड़ा कहानी यह है कि एक राजा और रानी थे। उनका कोई पुत्र नहीं था। बड़ी मुश्किल से अंत में एक ऋषि के आशीर्वाद से पुत्र होता भी है तो उसकी आयु मात्र चौदह वर्ष निर्धारित रहती है। इसी दौरान उसकी शादी हो जाती है और उसकी उम्र चौदह वर्ष की हो जाती है। फिर कुछ ऐसा घटता है जो रोमांचक और प्राचीन समय को याद दिला देने वाला है।
यह कहानी एक लोककथा है जो हमारे पूर्वी भारत के क्षेत्र और हिन्दी भाषी लोगों के बीच में प्रचलित है। दुर्भाग्य से घर घर में मनोरंजन के डिजिटल साधनों ने दादा नाना या दादी नानी की कहानियों को विस्थापित कर दिया है जिससे ये लोककथाएं अपने अंतिम दिनों में दिखाई पड़ती हैं। इन्हें हम और आप आज भी नहीं सुनते हैं तो हमारी अगली पीढ़ी शायद रोचक और रोमांचक कथाओं का सुख भूल जाएगी। तो इस कहानी को पूरी अवश्य सुनिए और फिर अपनी भाषा में अपने बच्चों को सुनाएं। कथा सुनना सुनाना बच्चों से हमारे भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करता है।
अष्टावक्र का विवाह और जन्म कथा आप दिए गए लिंक पर जाकर सुन सकते हैं।
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15 сен 2024