हज़रत बाबा फरीद जी की करामात- श्री तेजू पीर दादोजी तथा रातुवीर दादोजी महाराज ने बैलगाड़ी जोड़ी और विवाह हेतु सामान लेने नोहर हनुमानगढ़ आ गए ।और जब वह समान लेकर नोहर से वापस खोजेर की ओर रवाना हुए तो उन्हें मेघाना गांव के पास में गुरु शेखफरीद जी मिले। गुरु शेखफरीद जी एक कैर के वृक्ष के पास जोहड़ मेघाना में तपस्या करते थे ।गुरु शेख फरीद बहुत बड़े मुस्लिम संत थे ।गुरु शेख फरीद उन्हें देखकर पूछते हैं कि आपका क्या नाम है और कौन सा गांव है और थारी बैलगाड़ी में क्या समान है ?उस समय चोरी का डर बहुत ज्यादा होता था ।तो तेजुजी ने बोला कि महाराज बेल गाड़ी में तो नमक है। हम तो नमक के व्यापारी हैं ।तो गुरु शेख फरीद जी ने बोला कि आप जाओ आपके बैलगाड़ी में खो खारा ही हो सी ।अर्थात नमक ही हो सी। जब बैलगाड़ी को लेकर घर पर आते हैं तो सारा सामान नमक बन जाता है ।तो तेजू जी बोला कि रातु भाई आपा गुरु जी ने झूठ बोला तो ओ झुठ बोलन गो परिणाम है ।बाई अंचला को ब्याह का थोड़ा ही दिन रेया है ।तो तेजू जी व रातुजी दुबारा गुरु शेखफरीद के पास आए ।तो गुरु शेख फरीद जी ने पुछा आप वापस क्यों आ गए हो ? तो तेजुु दादो जी व रातु जी गुरु जी के चरणों में गिरकर गलती की माफी मांगते हैं ।और बोलते हैं कि बैलगाडी के अंदर विवाह का सामान था ।तो हमने चोरी के डर से आपसे झूठ बोला था ।तो गुरु शेख फरीद ने बोला कि सिंवरों कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए ।तो सिंवरो ने अपनी गलती की माफी मांगी और बोले कि छोटी बहन की शादी है और सामान नमक का भरा हुआ है ।तो शादी किया करा।फिर गुरुजी बोला कि आज के बाद में झूठ मत बोलना और आपके गाडे में शादी का सामान मिलेगा और एक श्राप भी दे दिया कि जाओ थे खु खारा मुंह मीठा अर्थात आपके हाथ से खोदे गए कुएं से हमेशा खारा पानी ही निकलेगा और तेजू पीर दादा व रातु दादा गुरु शेखफरीद ने आप को गुरु बना लेते हे।और वापस खोजेर आ जाते हैं। मीणा बावरी गायों को चोर के ले जाते हैं ।गायों का ग्वाला यह बात रोते हुए तेजू पीर दादोजी को बताते हैं ।तो तेजु वीर दादोजी व अन्य भाई अपने-अपने हत्यार लेकर उन से लड़ाई करते हैं ।तो वे सिंवरो को घायल कर देते हैं ।मीणा बावरियों की सेना बहुत बड़ी थी ।तो घायल अवस्था में भी तेजुदादो जी व अन्य भाई उनका पीछा करते हैं। तो रास्ते में गुरु शेखफरीद मिलते हैं ।और बोलते हैं कि भूखे हो तो खाना खा लो ,प्यासे हो तो पानी पी लो ,आज ऐसी अवस्था में कहां जा रहे हो ?तो तेजू दादोजी ने गुरु शेखफरीद जी को सारी बात बताई ।तो गुरुजी बोले इस अवस्था में तो आप जीत नहीं सकते हो।आपको मुस्लिम कलमा पढ़ना होगा ।जिससे मैं आपको 52 पीर की कला दे दूंगा ।तेजू पीर दादाजी ने कलमा पढ़ा और रातु दादोजी ने भी गुरु जी का आशिर्वाद लिया। तो गुरु शेखफरीद ने उन्हें कहा कि जाओ जीत आपकी ही होगी ।तेजू जी सूफी संत फरिदुदिन शकरगंज के 1173 से 1265 ईसवी में उनके शिष्य होने के कारण तेजू पीर कहलाए ।गुरु शेख फरीद जी का एक वरदान था की अगर आप दोनों के शरीरों का अंतिम संस्कार मुस्लिम तरीके से किया गया तो आपकी पीडी -पीडी में पीर होगे। हिंदू संस्कृति से करने पर नहीं होगे। लेकिन कुछ लोगों के कहने पर तेजू व रातु दादोजी महाराज के शरीर का अंतिम संस्कार हिंदू संस्कृति से कर दिया। सिंवरो द्वारा गुरु शेख फरीद के वरदान का अनादर करने के कारण 12 साल तक खोजेर में भयकर अकाल पड़ा । सिंवरो का वंश खत्म होने लगा। कोई भी जीव जंतु का वंश नहीं बढ़ा ।तेजू पीर व रातु दादा जी के गुरु शेखफरीद थे। इसी कारण इनके नाम के पीछे पीर लगता है ।।जय श्री तेजुपीर दादोजी महाराज की ।। ।।जय गुरु शेखफरीद जी महाराज की।।