हटिया और देवी अंबा का खेल || मेवल का प्रसिद्ध लोक नृत्य गवरी का खेल चिबोड़ा / Chiboda Jai meval
#हटिया और देवी अंबा का खेल
यह नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादों माह में किया जाता है। इस में मादल और थालि के प्रयोग के कारण इसे #राई नृत्य के नाम से जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है।
वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवल की गवरी निराली है। #गवरी का उदभव शिव भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते है। इसके खेलों में गणपति #काना-गुजरी, जोगी, लाखा #बजारा इत्यादि के खेल होते है। इसमें शिव को "पुरिया कहा जाता है। हटिया और देवी अंबा का खेल #Bodala #चिबोडा #गवरी #गवरी
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20 сен 2024