जय गुरुदेव
इन्द्रियोंके शब्दादि विषयोंमें वैराग्य अर्थात् ऐहिक और पारलौकिक भोगोंमें आसक्तिका अभाव और,अनहंकार -- अहंकारका अभाव। तथा जन्म? मृत्यु? जरा? रोग और दुःखोंमें अर्थात् जन्मसे लेकर दुःखपर्यन्त प्रत्येकमें अलगअलग दोषोंका देखना। जन्ममें गर्भवास और योनिद्वारा बाहर निकलनारूप जो दोष है उसको देखना -- उसपर विचार करना। वैसे ही मृत्युमें दोष देखना? एवं बुढ़ापेमें प्रज्ञाशक्ति और तेजका तिरोभाव और तिरस्काररूप दोष देखना? तथा शिरपीड़ादि रोगरूप व्याधियोंमें दोषोंका देखना? अध्यात्म? अधिभूत और अधिदैवके निमित्तसे होनेवाले तीनों प्रकारके दुःखोंमें दोष देखना। अथवा ( यह भी अर्थ किया जा सकता है कि ) दुःख ही दोष है? इस दुःखरूप दोषको पहले कहे हुए प्रकारसे जन्मादिमें देखना अर्थात् जन्म दुःखमय है? मरना दुःख है? बुढ़ापा दुःख है और सब रोग दुःख हैं -- इस प्रकार देखना? परंतु ( यह ध्यान रहे कि ) ये जन्मादि दुःखके कारण होनेसे ही दुःख हैं? स्वरूपसे दुःख नहीं हैं। इस प्रकार जन्मादिमें दुःखरूप दोषको बारंबार देखनेसे शरीर? इन्द्रिय और विषयभोगोंमें वैराग्य उत्पन्न हो जाता है। उससे मनइन्द्रियादि करणोंकी आत्मसाक्षात्कार करनेके लिये अन्तरात्मामें प्रवृत्ति हो जाती है। इस प्रकार ज्ञानका कारण होनेसे जन्मादिमें दुःखरूप दोषकी बारंबार आलोचना करना ज्ञान कहा जाता है।
जो जीवन-मुक्त महापुरुष हैं, उनके शरीर में जरा और मरण होने पर भी वे इनसे मुक्त हैं वे यह जानते हैं कि बुढ़ापा और मृत्यु शरीर के होते हैं। मुझ आत्मा के नहीं। प्रकृति के कार्य शरीर के साथ उनका सर्वथा सम्बन्ध-विच्छेद रहता है। जब मनुष्य शरीर के साथ तादात्म्य (मैं यह शरीर हूँ) मान लेता है, तब शरीर के वृद्ध होने पर ‘‘मैं वृद्ध हो गया’’ और शरीर के मरने को लेकर ‘‘मैं मर जाऊँगा’’- ऐसा मानता है। यह मान्यता ‘‘ शरीर मैं हूँ और शरीर मेरा है’’ इसी पर टिकी हुई है।
13वें अध्याय के 8वें श्लोक में आया है- जन्म-मृत्यु, जरा और व्याधि में दुःखरूप दोषों को देखना- इसका तात्पर्य यह है कि शरीर के साथ ‘‘मैं’’ और ‘‘मेरापन’’ का सम्बन्ध न रहे। जब मनुष्य मैं और मेरा-पन से मुक्त हो जायेगा, तब वह जरा-मरण आदि से भी मुक्त हो जायेगा, क्योंकि शरीर के साथ माना हुआ सम्बन्ध ही वास्तव में जन्म-मरण का कारण है (गीता- 13/21)। वास्तव में हमारा शरीर के साथ सम्बन्ध नहीं है, जब ऐसा जानते हैं; तभी सम्बन्ध मिटता है। मिटता वही है, जो वास्तव में नहीं होता।
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16 сен 2024