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हरी बिंदी कहानी/मृदुला गर्ग /MHD 11  

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रेखा सिंह

Опубликовано:

 

18 сен 2024

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Комментарии : 12   
@choprasaabh4030
@choprasaabh4030 2 месяца назад
❤🙏
@sameerdinkar8069
@sameerdinkar8069 9 месяцев назад
बहुत सुंदर मैं मैडम जी| शानदार कहानी| पितृसत्तावादी सोच ने हमेशा महिलाओं को दबाकर रखा है| जोकि कदाचित उचित नहीं है| आजादी सबको मिलनी चाहिए क्योंकि यह हमारा अधिकार है परंतु हम आजादी का किस प्रकार प्रयोग करते हैं, वह तो हमारी शिक्षा, नैतिक मूल्य, चरित्र और आदर्शों पर ही निर्भर करता है|
@WeallLove892
@WeallLove892 2 месяца назад
Thank you ma'am. Aapne saari kahaniya bahaut ache se padhi aur samjhayi hain. Exame me tyari aapki kahani sunkar hi ki hain🙏
@rekhasingh_10M
@rekhasingh_10M 2 месяца назад
Thanks for your feedback 😊 Best wishes 👍👍
@RaziaParveen-ox2zu
@RaziaParveen-ox2zu 11 месяцев назад
Mam aap Hari Bindi mein bahut acche lag rahe ho aur aapki voice yah bahut acchi hai❤
@rekhasingh_10M
@rekhasingh_10M 11 месяцев назад
😊😊 thanks
@monasharma8484
@monasharma8484 2 месяца назад
मेरे विचार से पूरे समय स्त्री इस बात से आश्वस्त थी कि पुरुष उसे एक मित्र या परिचित का दर्जा देते हुए एक व्यक्ति का दर्जा दे रहा है...न कि एक स्त्री का। ( समाज स्त्री को कभी एक व्यक्ति या सामान्य इंसान की तरह नहीं देखता समाज केवल स्त्री के स्त्रित्व से आकर्षित होता है और स्त्री के केवल स्त्रित्व यानी स्त्री तत्व को ही महत्व देता है ) किंतु अंत में स्त्री को स्पष्ट हो गया कि पुरुष का ध्यान भी स्त्री की सजावट के लिए लगाई गई हरी बिंदी पर ही गया.. ना कि उसके खुले व्यक्तित्व या स्वतंत्र चिंतन पर।!
@rekhasingh_10M
@rekhasingh_10M 2 месяца назад
सही कहा आपने। समाज में स्त्री को या तो महान बना दिया जाता है और या तो उसका शोषण किया जाता है (आजकल शोषण भी इस प्रकार से किया जाता है कि स्त्री समझ ही नहीं पाती कि क्या किया जाए?) स्त्री को महानता की नहीं बल्कि समानता एवं सम्मान की आवश्यकता है। जहांँ तक पुरुष की बात की जाए तो पुरुष की परवरिश भी इस प्रकार से की जाती है कि वो बचपन से ही स्वयं को पुरुष समझने लगता है।इंसान शब्द को हम केवल किताबों में, भाषणों में, विद्यालयों आदि में केवल मौखिक और लिखित तौर पर प्रयोग करते हैं। स्त्री और पुरुष स्वयं को स्त्री और पुरुष ही मानते हैं। इससे बड़े दायरे में (इंसान के दायरे में) वो स्वयं को समझ ही नहीं पाते क्योंकि सामाजिक परिवेश ही इस प्रकार का है हमारे आस पास। समाज इंसान और इंसानियत की बातें तो बहुत करता है लेकिन अपने स्त्री - पुरुषों में उस इंसान को देख नहीं पाता। इस संदर्भ में, मुझे एक विज्ञापन श्रृंखला याद आ रही है जिसकी टैग लाइन है -Man will be a man always!! यह विज्ञापन श्रृंखला भी इसी विचार पर व्यंग्य करती है। ** यहाँ हरी बिंदी स्त्री के लिए उसकी स्वतंत्रता का प्रतीक है। और पुरुष के लिए उस स्त्री के स्त्रीत्व का। अपने विचार साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद 😊 शुभकामनाओं सहित!!
@Harshanu6303
@Harshanu6303 Год назад
U r ryt Mam
@rekhasingh_10M
@rekhasingh_10M Год назад
😊😊
@Harshanu6303
@Harshanu6303 Год назад
हिंदी साहित्य से मुझे बहुत लगाव है।
@rekhasingh_10M
@rekhasingh_10M Год назад
जी 😊 हिंदी साहित्य हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है और अपने जीवन को समझने में भी सहायता करता है।
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