"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ हर महीने 30 लाइव सत्र ✨ 15,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
जितना गुनाह उस बाबा का था, उससे कहीं अधिक मीडिया का भी है, क्योंकि ये तब रिपोर्ट नहीं फैलाते हैं,जब ये शुरू होते हैं, ये तब फैलाते हैं,जब अधिकतर लोग की जाने चली जाती है,
अभी इसी वक्त संस्था से जुड़ें नहीं तो समय भागता जा रहा है।। फालतू बहाना होता है।। सत्र की अपेक्षा yt Video 1/10 है शायद कम ही मैं भी पहले ऐसे ही यूटयूब पर देखता था लेकीन फिर संस्था से संपर्क किया उसके बाद :- ✨ स्वयं को सत्संगति ऊंची संगति ⭐ ✨स्वयं का अवलोकन🌟 ✨गीता परीक्षा⭐ ✨रिकॉर्डिंग वीडियो🌟 ✨लाइव सत्र⭐ ✨बातचीत सत्र🌟 ✨आत्मावलोकन पोस्ट करें⭐ ✨सुंदर दिनचर्या मिल जता है🌟
ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-4CrmOwTUfrM.htmlsi=B5kw8spX78yRo3kD बिलकुल सही बात। मैंने यह अनुभव किया है और जिंदगी के पचास वर्ष नष्ट होने के बाद जब आचार्य जी के सानिध्य में आई तब आत्म अवलोकन करने की सीख पर चलकर, दोबारा जन्म लिया है पचास की उम्र में।
आज के समय में धर्म का असली और इतना सुंदर अर्थ आचार्य जी अलावा कोई नहीं समझा सकता। इसलिए आचार्य जी की बात को जन-जन को सुनना चाहिए। शहरी और पढ़ी-लिखी जनता के अलावा आचार्य जी को गाँव-देहात और कम पढ़ी-लिखी जनता तक भी पहुंचना जरूरी है।
एक हादसा जो भौतिक रूप दिखाई नही देता~बाबाजी ने भक्तो के मन में ऐसी अन्धविश्वास,मान्यताए,धारणाए डाल दी जो लोगों को एक सही जीवन नही जीने देगी.सच्चे धर्मगुरु तो लोगों के अन्धविश्वास काटकर जीवन को सही दिशा देते है.
हमारे दुःख की कारण आत्मज्ञान का अभाव है,सिर्फ आत्मज्ञान से ही हमारे दुःख ख़तम हो पाएगा। हमे गीता के live सत्र से जुड़ कर अध्यात्म का असली अर्थ समझना जरूरी है। ✨️ आत्मज्ञान के प्रकाश में अंधे कर्म सब त्याग दो। निराश हो निर्मम बनो ताप रहित बस युद्ध हो।। -श्रीमद्भागवत गीता,श्लोक 3.3❤
हम डरे हुए लोग है कि कहीं हमारे साथ कुछ गलत नहीं हो जाए और इसी डर का फ़ायदा ये तथाकथित बाबा, समाज उठा लेते हैं, हमे आज सही अध्यात्म की जरूरत है जो सिर्फ आचार्य जी सीखा रहे हैं 🙏🙏
आम जनता से अपील है जितना हो सके भीड़ भाड़ में जाने से बचे भारत इकलौता देश है जहां लॉजिक से ज्यादा मैजिक पर विश्वास करता है लोग इसलिए हमारे देश में वैज्ञानिक लोग काम हो रहा है❤❤❤
वैज्ञानिक दृष्टि संसार को ही देखती है बस और आध्यात्मिक दृष्टि संसार के साथ-साथ स्वयं को भी देखती है। तो विज्ञान और अध्यात्म में यही अंतर हैं कि विज्ञान इस दृश्य को देखता है, इस संसार को देखता है और अध्यात्म द्रष्टा को, अहं को देखता है। -आचार्य प्रशांत
मिडिया को तो टुच्ची चीजें दिखाने से फुर्सत मिले तब ना सच्चाई को दिखाये उन्हें तो सेलिब्रिटीज, नेता, लोगों की खबरों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाना है उन्हें गरीब लोगों से क्या मतलब 😏😏😠
खेल है! स्मरण है कि खेल है। बहुत चल गया तो भी ठीक है, नहीं चला तो भी ठीक है। हमारा क्या बिगड़ गया? हम खेल को चला रहे हैं, खेल हमें नहीं चला रहा अब। सारा जगत मुझसे व्याप्त है, खिलौना नहीं हूँ मैं, खेल मुझसे है। विवशता आवश्यक नहीं।
क्या मीडिया स्वयं ही उत्तरदाई नहीं है बहुत सारे व्यर्थ के लोगों को प्रसिद्ध दिलाने में, अगर मिडिया ये निन्दा तब करी होती जब इस घटना का निर्माण हो रहा था, तो ये घटना ही नहीं होती,
अजीब मेरा देश और अजीब हम सब लोग । जो सच्चाई केलिए लढ़े जा रहा है , दहाड़ दहाड़ के गला फाड़ फाड़ के अपना खून बहा रहा है ताकि लोगों तक सच्चाई पहुंच सके, यह पृथ्वी बच सके उसको बस दूरसे शत शत नमन, और जो धर्म के नाम पर शो बाज़ी करने में और अपने लिए सम्पदा इकठा करने में लगा है उसके लिए यह लोग अपनी जान दिए जा रहे हैं ! समझ में नहीं आता हम लोग इतने मासूम हैं या बेवक़ूफ़ हैं या सब जानते बुझते पाखंड कर रहे हैं ?
Janta ne Media wahi dikhati h jo janta dekhna chati h Kase chutiye log h jo in dhogiyo ko bhagwan bana lete h Ajj ke samay ager itna murkh h to uska last me yahi hona h ya to wo khi mar diye jayega ya unka koi sosan krta rahega
मीडिया एक माध्यम है, वो लोगो को वही दिखा रहा है जो लोग चाहते है, मनोरंजन और चमत्कार। ज्ञान मीडिया फिर क्यों दिखाए क्योंकि इसकी लोगो को जरूरत नहीं , स्कूल कॉलेज भी बस इसीलिए जाते है कि कोई वैसी शिक्षा उनको मिल जाए जिसको पाकर वो अपनी मनोरंजन और चमत्कार जैसी इच्छा की पूर्ति कर पाए। आचार्य जी को सादर प्रणाम।
पहले तो मिडिया हि प्रसिद्ध दिलाती है इन फर्जि बाबाआे काे और बाद मे कुछ गलत घटना हो गइ ताे मिडिया हि बिराेध मे बाेल्ती है,इस हादसा मे फर्जि मिडिया का भि बराबर का हात है।😥😥😥
Main bhi bahut bewakoof thi.......har kisi ki baat par yakin kr leti thi..... lekin ish video k baad nhi.....ab main majboor nhi hun.... meri apni chetna hai
समय या परिस्थितियों का प्रवाह चाहे कितना ही विपरीत रहा हो संतो और ज्ञानियों ने कभी घुटने नहीं टेके बल्कि समय के प्रवाह की दिशा ही बदल डाली अपने दृढ़ संकल्प से इसलिए वो महान हैं 🙏🙏
Media hi jab dekho tab sadhguru aur baba bageshwar ko publicity deta hai...bina verify kiye ki jya ye limelight deserve krte hai....balki media ka kaam hona chahiye ki verify kare kaun audience tak pohochne layak h aur kon nahi
Duniya me Larai Nirgun vadiyon ne Nahi Sagun Vadiyon ne kiya hai ki Mera Ishwar bara hai..iska Praman ? Aao hum Lar le...Sachha Prem Nirgun Vadi hi kar sakta hai--- Vivekanada (Practical Vedanta Book)
सिर्फ सुने ही नही, जीवन मे भी उतारे तभी फायदा होगा, आचार्य जी को सुनने वालों की संख्या 50 करोड़ से भी ज्यादा हो गयी है, आचार्य जी की अमृत वाणी और लोगो तक पहुंचे इसके लिए यथासम्भव सहयोग करे, धन्यवाद।।
सारा गुनाह हम सब का है हमने देश में अज्ञान, पाखंड, धर्म के नाम पर इस जहरीले व्यापार को फैलने दिया। क्योंकि सही लोगों का चुप रहना सबसे बड़ा सहारा है इन पाखंडियों का। अरबो का व्यापार है धर्म के इस मार्केट में कल फिर कोई एक नया बाबा आ जाएगा इसकी जगह पूरी करने के लिए
मैं आचार्य प्रशांत जी की बहुत सारी पुस्तक खरीद रखी है। उनको पढ़ रहा हूं उनसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। और उनसे कुछ सीखकर और अपना कुछ थोड़ा अनुभव उपयोग करके किताब लिख रहा हूं। जिसमें कुछ अध्याय इस प्रकार है:- कामवासना या अश्लीलता और मेरा अनुभव, स्त्री मेरे विचार से, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण, समय और मृत्यु, विद्यार्थी जीवन के दिन, अमीरी और गरीबी आदी। मैं आचार्य प्रशांत जी के विचारों को हूबहू कॉपी नहीं की है बल्कि उनसे कुछ सिखके अपना ज्ञान और अनुभव दिखाया है।
Red flags 🚩🚩🚩🚩🚩 1. कोई बोले मेरे पास Super natural power है। 2. परा भौतिक शक्ति का claim 3. साज सजावट 4.photoshoots,pre -planned photoshoots 5. प्रचार without value addition, personality propaganda instead of timeless value addition. 6.
कोई आप से आके कुछ भी बोल रहा है,आप को उस पर सबसे पहले अपनी पुरी क्षमता के साथ विचार करना, ग्लैमर में, चकाचौंध में, किसी के व्यक्तित्व के विराटता के आगे, आप को झुक नहीं जाना है, भीड़ के प्रवाह में बह नहीं जाना है, रुकिए,थमिए,उसपर विचार करिए , प्रश्न पूछिए,
"maharaj" movie me year 1860 ke samay ke andhvishwas ko dikhaya gya he... Pakhando k khilaf aawaz uthane k liye "karsandas ji" ke role ko dikhaya he...