यूरोपीय और विकसित देशो मे जो भी वैज्ञानिक तरक्की और आधुनिक अविष्कार हुए है , जो कि सभी भारत के गुलाम बनने के बाद ही हुए है , इससे साफ दिखाई देता है , इस तरक्की के पिछे पौराणिक भारतीय ग्रन्थो का ज्ञान ही है। 😢😮😢😮
भाई साहब अब युग परिवर्तन चल रहा है 2029 तक पूर्ण युग परिवर्तन हो जायेगा, भगवान का कल्कि का जन्म हो चुका है2029 मैं बो हमारे सामने आयेंगे और यही सच है जय जगन्नाथ 🚩🚩🚩
कलयुग का अंत 5000 ad में होगा आप चाहो तो पुराणों का अध्ययन कर सकते हैं! सभी से विनम्र निवेदन है कि भ्रामक प्रचार से गुरेज करें! वाट्स एप विश्व विद्यालय के ज्ञान को प्रचार प्रसार ना करें धन्यवाद!
बेटा, आपण bol रहे हो कलियुग aur khartarnak होगा लेकिन बौध्द ग्रंथ ke अनुसार 2 रा बौध्द धम्म आंदोलन chlega जो संसार ke दुःख se लोगो ko जागृत karke समता शांती स्थापित karega.
वैदिक/ब्राह्मण धर्मके सबसे पुराने ग्रंथ चार वेद माने जाते है। यह चारो वेदोंमें प्रमुख देवता इंद्र, वरुण, अग्नि, सूर्य आदि देवताए है जिसकी वेदोंमें चर्चाकी गई है। और वेदोंमें तो ब्राह्मणों/ऋषि मुनियों पशुबाली और यज्ञ हवनसे देवताओंको प्रसन्न किया करते थे। वेदोंमें मूर्ति पूजा है ही नहीं। लेकिन ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शिव, दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, आदि देव देवियां और कृष्ण, राम, परशुराम, वामन,आदि जैसे दसावतार्रोका कोई प्रमाण वेदोंमें नहीं है। तो यह नये देवताओंकी मूर्ति पूजा और यह नये देवताओ वैदिक/ब्राह्मण ग्रंथोमें आए कहां से ? यह एक बड़ा प्रश्न है। असलमें बौद्धोंकी महायान शाखा(का विकृत स्वरूप) ही वैदिक/सनातन/हिंदू/ब्राह्मण धर्म है। यह सभी देवताओं बौद्धोंकी महायान शाखा और वज्रयान शाखा से बोधिसत्व अवलोकितेश्वर बुद्धके अनेक स्वरूपोंसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शिव, जैसे देवताओंका आविष्कार ब्राह्मणों द्वारा किया।और बोधिसत्व महामाया, बोधिसत्व तारादेवी, बोधिसत्व मंजुसरीदेवी से लक्ष्मी, दुर्गा, काली, सरस्वती आदि जैसी देवीओका आविष्कार ब्राह्मणों द्वारा किया। ज्यादातर बौद्ध ग्रंथ "त्रिपिटक ग्रंथ" की जातक कथाओंसे और उस कहानियोंमें मिलावट करके और काल्पनिक पात्र घड़ के ब्राह्मणों द्वारा ग्रंथो लिखे गए हैं।(अजंता, एलोरा ,एलिफेंटा, जैसी गुफाओंमें उसी जातक कथाओंका चित्रण किया गया है। और उसी गुफाओंमें बुद्ध और बोधिसत्वोंकी मूर्तियांके प्रमाण मिलते है।) और आदि शंकराचार्यके समय जो ग्रीक और फारसी लोग बमण बनके बौद्ध भिख्खूओके साथ रहे थे वह बाद में बौद्धों से अलग होकर ब्राह्मण कहलाए और उन ब्राह्मणोंने बौद्धों के विहारों पर कब्जा किया था। जो भी आज सबसे पुराने मंदिरो दिखते है वह सभी स्थानों बौद्धोंके ही है। और वही स्थानोंमें जो भी मूर्तियां पूजते हैं वह किसी न किसी स्वरूपमें बुद्धको या बोधिसत्ववोको ही पूजा कर रहें हैं। ऋगवेद जो अति प्राचीन माना जाता है उसकी पहली भोजपत्र लिखित प्रत सन 1464 की मिली जो "यूनेस्को"में दर्ज की गई है। "यूनेस्को" ही पुरातन साइट या स्ट्रक्चर्सको वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करती है। उस परसे मालूम होता है, की बाकीके तीन वेद और सभी ब्राह्मण ग्रंथो तो बादमें ही लिखे गएं होंगे। सभी ब्राह्मण ग्रंथो संस्कृत भाषामें ही लिखे गएं हैं। पाली प्राकृत भाषा (जो धम्म लिपि में लिखी जाती है उसी भाषा)से ही संस्कारित हो के संस्कृत भाषा (जो देवनागरी लिपिमें लिखी जाती है वह) ७ वी सदी से १२ वी सदी दरमियान अस्तित्वमें आई है। इसलिए सभी ब्राह्मण ग्रंथो १२ वी सदीके बाद ही लिखे गए हैं वह भी ज्यादातर मुगल काल और अंग्रेज कालमें। फारसी ग्रंथ जैंद अवेस्ता की कॉपी करके वेद लिखे गए हैं। बौद्घ ग्रंथ धम्म पद की कॉपी करके भगवद गीता लिखी गई है। त्रिपिटक ग्रंथ की दशरथ जातक कथा, महाकपि जातक कथा, साम जातक कथा और महायानी ग्रंथ लंकावतार सूत्र के पात्रों और कहानियांकी मिलावट करके रामायण महाकाव्य लिखा गया है। घत जातक कथा के वासुदेव पात्र को श्रीकृष्ण बना के और कई सारी कहानियां की मिलावट करके महाभारत ग्रंथ लिखा गया है। सन 1893 में शिकागो (अमेरिका) में धर्म समेलनमें स्वामी विवेकानन्द ब्राह्मण धर्म का ही प्रतिनिधित्व करने गए थे। तब भी सनातन/हिंदु धर्मका कोई अलग अस्तित्व नहीं था। इसलिए वैदिक/सनातन/हिंदू/ब्राह्मण धर्म प्राचीन धर्म नहीं है। आजसे सौ साल पहले भी सनातन/हिंदू धर्मका कोई अलग अस्तित्व ही नहीं था। तब शैव, शाक्त्य, वैष्णव, जैसे अलग अलग पंथ ही थे जिसके गुरु ब्राह्मण ही थे। जो पिछले सौ सालसे एक होके यह वैदिक या ब्राह्मण धर्म ही आज सनातन/हिंदूधर्म बना है या कहलाता है। सच्चे पुरातात्विक प्रमाणोंके साथ सच्चा इतिहास पढ़ो और जानो।
Bhai aapse ue ummid nahi tha scince channel me aap dharm ko link kar rahe ho sab dharmik granth kalpanik hai mai apka 2019 ka subscriber hu apka video bohot pahle se dekhta aa raha hu
Agar apko sabit karna hai na aapne ye Jo bhi bola sahi hai to aajana scince journey channel par human with science par live debate mai apka purana subscriber hu aisa video to mat dalo bhagwan exist hi nahi karta