पहाड़ के युवा लोगों के सामने रोजगार एवं अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की समस्या है। इसलिए इन लोगों को मजबूरी में अपनी मातृभूमि को छोड़कर शहर की तरफ जाना पड़ता है। अन्यथा इतनी सुन्दर आबोहवा को कौन छोड़ना चाहेगा?
इसी प्रकार दूर - दराज के इलाकों में बसे और छूटे बुजुर्गों , ग्रामीणों से मिलते रहिये । बहुत सारा स्नेह, आत्मविश्वास , भाईचारा और जीवन के प्रति उत्साह फैलाकर आईयेगा । यदि ऐसा है तो आपकी ब्लॉगिंग सच्चे अर्थों में सफल है। बेटा मैं उनका आनन्द ले रही हूँ । तुम्हें शुभकामनायें।😊😊
पहाड़ के गौं इन्ही लोगो से जिंदा है। इन ऊचाइयों पर सुबिधाये बहुत कम हो जाती है पर लोगो के उत्साह व काम के प्रति साहस बहुत अधिक होता है। बहुत अच्छा पांडेय जी।
Sir ak kaam kijiye hamare gaon main bhi jaye borakhet post office chankana please waha ki halat dikhaye gaon main road nahi aur ghar banjar pad gaye hai