अकथ कहानी : एक महायोगी का जीवन चरित By स्वामी भक्तिमणि जी #Siddhsant Episode 154
हिमालय से आये अवधूत ने दिखाए 27 जन्म :अकथ कहानी By स्वामी भक्तिमणि जी
स्वामी विश्वात्मा बावराजी महाराज, चंडीगढ़, भारत से, ब्रह्मरिषि मिशन के प्रमुख संस्थापक और आध्यात्मिक निर्देशक हैं। यह मिशन, जिसकी जड़ें भारतीय मिट्टी में गहरी हैं, की शाखाएं यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन देशों में फैली हुई हैं। मिशन को समझने के लिए इसके स्रोत: गुरुदेव श्री विश्वात्मा बावरा जी महाराज को समझना जरूरी है।
गुरुदेव का जन्म 11 जनवरी, 1934 को भारत के वाराणसी जिले के कंवल ज्ञानपुर गांव में हुआ था। वे एक विद्वान भट्ट ब्राह्मण परिवार से आते हैं। गुरुदेव ने बचपन में स्कूली शिक्षा से दूरी बनाए रखी और गाय चराने और कुश्ती में समय व्यतीत किया। उन्होंने 18 वर्ष की आयु में हिमालय के एक महान अवधूत योगी, भगवान चंद्र मौली जी महाराज के चरणों में आत्मसमर्पण किया और उनसे दीक्षा प्राप्त की। उनके मार्गदर्शन में गुरुदेव ने विभिन्न योग साधनाएं कीं और उच्चतम आध्यात्मिक स्थितियों को प्राप्त किया।
उन्होंने समाज में जाकर भगवद गीता के अध्ययन और उपदेश का कार्य आरंभ किया। उन्होंने भारत और विश्व के कई हिस्सों में अपने मिशन के केंद्र स्थापित किए और अनेक लोगों को आध्यात्मिक रूप से उन्नत किया।
✅Disclaimer :
"इस कार्य के सभी कॉपीराइट अधिकार लेखिका स्वामी भक्तिमणि जी के पास सुरक्षित हैं। यह जीवनी उनके आदेशानुसार ही मैं रिकॉर्ड कर रहा हूँ। कृपया बिना अनुमति के इस जीवनी को कहीं भी प्रकाशित या उपयोग में न लाएं।"
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16 сен 2024