heer ranjha
heer ranjha ki film
हिंदी सिनेमा में यूं तो ढेरों सारी प्यार, लव एंगल, ट्रैंगल, स्क्वायर, सर्कल पर फिल्में बनीं। परंतु चेतन आनंद की इस हीर रांझा जैसी उत्यकृष्ठ फिल्म, हिंदी सिनेमा में अबतक कोई नही। हीर रांझा पर भी कई फिल्में बनी लेकिन चेतन आनंद की यह हीर रांझा बाकियों के हीर रांझा से बहुत ही अलग है।
आज से 54 वर्ष पहले यानी 1970 में यह फिल्म रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार दिग्गज अभिनेता राजकुमार और अभिनेत्री प्रिया राजवंश साथ ही प्राण साहब, जीवन, जयंत जी जो की अमजद ख़ान के पिता थे, पृथ्वी राज कपूर, आशा सचदेव, वीणा और अन्य सहित पद्मा खन्ना ने मुख्य भूमिका निभाई है। और सबने काव्यात्मक पंक्तियां बोली है
चेतन आनंद की फ़िल्म 'हीर रांझा' के संवाद कैफ़ी आज़मी ने काव्यात्मक अंदाज में लिखे हैं।
वह चेतन आनंद ही पहले निर्देशक थे, जिन्होंने राजेश खन्ना को अपनी फ़िल्म ‘आखरी खत’ के लिए चुना था। चेतन आनंद ने राजकुमार कुमार के साथ हकीकत, हिंदुस्तान की कसम, हीर रांझा, कुदरत जैसी फिल्में बनाई। इसके बाद चेतन आनंद ने छह फिल्में प्रिय राजवंश के साथ निर्देश किए और साथ ही करीब आए।
शबाना आज़मी कैफ़ी आज़मी की बेटी हैं। लेकिन हीर रांझा के शायराना यानी काव्यात्मक तरीके से बोले गए संवाद बेहद लोकप्रिय साबित हुए। संवाद काव्यात्मक तरीके से बोले जाने का आईडिया कैफ़ी आज़मी साहब का ही था।
हीर रांझा अविभाजित भारत के पंजाब की वास्तविक घटित कहानी है जहां ये पांच नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम के कल कल बहती बेपरवाह धारा में सोनी महिवाल, मिर्जा साहिबां और हीर रांझा जैसे बेपनाह मुहब्बत करने वाले अनूठी दास्तां की गवाह हैं
1722 में पंजाब के जंडियाला शेर खान में जन्मे वारिस शाह एक सूफी संत हुए । इस कहानी को पढ़कर ही चेतन आनंद और कैफ़ी आज़मी ने हीर रांझा को काव्यात्मक रूप दिया।
हीर रांझा पंजाब की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं में से एक है। इसके अलावा बाक़ी तीन मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नुँ और सोहनी-माहीवाल हैं। चेतन आनंद की हीर रांझा कुछ इस तरह है। रांझा (राज कुमार) तख्त हजारा गांव का सुंदर एवं लापरवाह युवक है। वह अपने सात बड़े भाइयों और उनके परिवारों के साथ एक बड़े से घर में रहता है। जबकि वारिस शाह किस्से में चार ही भाई होते हैं।
वह झांग गांव की यात्रा करने की योजना बना रहा है जहां उसके करीबी दोस्त की शादी हो रही है। उसका परिवार उसे रोकता है क्योंकि तख्त हजारा और झांग के लोग सदियों से कट्टर दुश्मन रहे हैं। वह उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर देता है और शादी के लिए निकल जाता है। शादी के नृत्य के दौरान, उसकी मुलाकात एक आकर्षक युवा लड़की, हीर (प्रिया राजवंश) से होती है। वह झांग के एक जमींदार की बेटी है। वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है। वह उससे कहता है कि जब तक चिनाब नदी बहती रहेगी वह उसके साथ रहेगा। निर्देशक चेतन आनंद ने और कैफ़ी आज़मी ने इस फिल्म में चरित्र और संवादों में जान डाल दी है। खुदा से वास्ता और सामाजिक ताना बाना चरित्र को दर्शकों के दिलों में उड़ेल देता है। जब जीवन काजी के किरदार में हैं और हीर से निकाह के लिए हामी भरने के लिए कहते है। यह फिल्म का चरमोत्कर्ष भाव है। इस कथा के कई वर्णन लिखे जा चुके हैं लेकिन सब से प्रसिद्ध बाबा वारिस शाह का क़िस्सा हीर-राँझा है। जिस पर थोड़ी कहानी बदलकर चेतन आनंद ने इसे सजाया।
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15 сен 2024