नमस्कृत्यं सोमसमः आत्मां सौजन्यकः। सोमादित्य निर्मातः भूरचनां वेधसः।। सर्वस्व विश्वव्यापकं सर्वस्व कोकदेवः। केशवाच्युत त्रिविक्रमाधवादि नमेण आहतः ।।🙏🙏 भावार्थ : सोम (अमृत) के समान आत्मा को मधुर/ अच्छे लगने वाले। सूर्य, चन्द्र के निर्माता, पृथ्वी को रचने वाले। जो पूरे विश्व मे व्यापक हैं, सर्वाधिक पूजनीय हैं। जिनको केशव, अच्युत, त्रिविक्रम, माधव आदि अनेक मधुर नामों से जाना जाता है। अपने उन इष्टदेव श्री हरि को मै नमन करता हूं।
बोहुत आछा काम कर रहे हैं । नई पीढ़ी को इन सब संसकृति श्लोक से परिचय होगा ओर नित्य ओर दिब्य अनुभूति की प्राप्ति करेँगे । एह सभी श्लोक बिध्यालय में भी पढ़ाया जाना चाहिए ।।
🌹👌🙏సనాతన సంస్కృతి కాపాడటానికి మీరు చేస్తున్న ప్రయత్నానికి గర్విస్తున్నాను వీటిద్వారా హిందూ జనులను సన్మార్గంలో నడిపించడం అనే ప్రయత్నం ఈ కలియుగం లో గొప్ప గా ఉందండి భగవంతుడి ఆసిస్సులు మెండుగా అన్ని విషయాల్లో ఉండుగాక 🌹🌹👍