भारत के अंतिम हिन्दू राजा, जिनको इतिहास भूलता जा रहा है
#Hemu_ki_Haveli #सम्राट_हेमचंद्र_विक्रमादित्य_की_हवेली
निवासी : कुतुबपुर, रेवाड़ी(हरियाणा)
जन्म : विजयादशमी दिवस 1501
इतिहास के पन्नों में हेमू :---
आज से लगभग 450 वर्ष पहले मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 22 युद्धों में लगातार विजयी रहे। वह अकबर की फौजों को हराकर दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले, हेमचंद्र विक्रमादित्य ऐसे राजा थे। जिनमें वीरता, रणनीतिक कौशल और राजनीतिक दूरदृष्टि का अद्भुत मेल था। हेमू इतिहास के उथल-पुथल भरे अपने कालखंड में ऐसे संघर्ष के प्रतीक हैं। जिसकी महत्ता व उद्देश्य राष्ट्रीय एकता स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता थी। कई इतिहासकारों ने उनकी शूरवीरता, निर्भीकता और सफलता के दृष्टिगत हेमू को मध्यकालीन भारत का नेपोलियन कहकर संबोधित किया है।।
जन्म, बचपन व व्यापार :
हेमू का जन्म सन 1501 में राजस्थान के अलवर जिले के "मछेरी" नामक एक गांव में
रायपूर्ण दास के यहां हुआ था इनके पिता पुरोहिताई का कार्य करते थे। सन 1516 में व्यापार करने के लिए वे लोग मछेरी से रेवाड़ी चले आए। रेवाड़ी उन दिनों एक अच्छा खासा व्यापार केंद्र था। रायपूर्णदास रेवाड़ी के कुतुबपुर नामक गांव में बस गए। रेवाड़ी में रहते हुए ही हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए उन्होंने शेरशाह सूरी की सेना को कई प्रकार के साजो सामान की आपूर्ति प्रारंभ की। खाद्य सामग्री के साथ-साथ उन्होंने शेरशाह सूरी की सेना को शोरे की आपूर्ति भी प्रारंभ की। यह शोरा वह पुर्तगालियों से आयात करते थे जो तोपों के लिए बारूद बनाने में प्रयोग किया जाता था। उन्होंने तोपे बनाने के लिए रेवाड़ी में पीतल की ढलाई का उद्योग भी प्रारंभ किया ।। सन 1540 में शेर शाह सुरी ने मुगल शासक बाबर के पुत्र हिमायुं को हराकर भारत से भागने पर विवश कर दिया था।
सरकार द्वारा अवहेलना:-
हरियाणा के यह महान योद्धा आज भी भारत के व हरियाणा के इतिहास के पन्नों से गायब है। पाठ्यक्रम में उनका शामिल ना होना ।कहीं कोई स्मारक का ना होना, उनके राज्याभिषेक दिवस व शहीदी दिवस की सुध ना लेना। सरकार की हेमू के प्रति अवहेलना दिखती है। हरियाणा सरकार व केंद्र सरकार से यह अपेक्षा है कि इस महान योद्धा को उनकी उपलब्धियों के अनुरूप इतिहास के पन्नों में सम्मान प्रदान करें।
11 фев 2020