श्री राम शिव पूजा
नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम्
सीतासमारोपित वामभागम् ।
पाणौ महासायकचारूचापं
नमामि रामं रघुवंशनाथम् ॥
दो. श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
जब तें रामु ब्याहि घर आए।
नित नव मंगल मोद बधाए ॥
भुवन चारिदस भूधर भारी।
सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी ॥
रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई।
उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई ॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती।
सुचि अमोल सुंदर सब भाँती ॥
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।
जनु एतनिअ बिरंचि करतूती ॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी।
रामचंद मुख चंदु निहारी ॥
मुदित मातु सब सखीं सहेली।
फलित बिलोकि मनोरथ बेली ॥
राम रूपु गुनसीलु सुभाऊ।
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ ॥
ॐ यस्यांके च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके ,
भाले बाल विधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट् ।
सोऽयं भूति विभूषण:सुरवर:सर्वाधिप: सर्वदा ,
शर्व: सर्वगत: शिव: शशिनिभ: श्री शंकर: पातुमाम् ॥
इति श्री राम शिव पूजा
20 июн 2024