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६. अनुभवकर्ता : विस्तृत अध्ययन : The Experiencer : An Advanced Study 

बोधि वार्ता
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अनुभवकर्ता का काल से क्या सम्बन्ध है? इसका देश या स्थान क्या है?
इसके कितने रूप हैं? यदि मैं आत्मन हूँ और केवल एक आत्मन है, तो दुसरे जन क्या हैं? मेरा दूसरों से क्या सम्बन्ध है? मानवीय संबंधों का क्या अर्थ है?
ऐसे कई उन्नत प्रश्नों का उत्तर हम खोजेंगे |
What is the relation of the experiencer with time? What is its place? What are its forms? If I am the only one experiencer, what are these other people? What is my relation to other people? What is the meaning of human relations?
We will explore the answers to such advanced questions.
00:00:00 अहम् और अनुभवकर्ता
00:10:35 काल और अनुभवकर्ता
00:23:05 स्थान और अनुभवकर्ता
00:32:50 अनुभवकर्ता के रूप
00:42:30 मुक्ति
00:45:50 अन्य व्यक्ति क्या हैं और संबंध
01:00:00 मानव जीवन का लक्ष्य
अंग्रेज़ी वार्ताएँ Talks in English: / @pure_exp
पॉडकास्ट (अंग्रेजी) Podcast: pexp.podbean.com
स्काइप सभा Join the Skype Meetings: pureexperiences.blogspot.com/...
#आध्यात्म #आत्मन #मनस #ब्रह्मन #अद्वैत #वेदांत #Experiencer #Time #Space #Relations

Опубликовано:

 

28 июл 2024

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Комментарии : 91   
@tanujabaghel6194
@tanujabaghel6194 2 года назад
धन्य हूं आपको सुनने का सौभाग्य मिला । सत्य की खोज में निकली थी। सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ। ह्रदय से आभारी हूं।🙏🙏🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 2 года назад
🙏
@anjalibhosale5286
@anjalibhosale5286 11 месяцев назад
धन्यवाद गुरूजी
@ranjitbisoyi
@ranjitbisoyi 2 месяца назад
Eternal 🙏🏽
@babusinghnayak9423
@babusinghnayak9423 4 месяца назад
Kya gajab hei
@MeenaKumari-ks6nk
@MeenaKumari-ks6nk 5 месяцев назад
🙏🙏🙏🙏
@dineshkumar-pu1nm
@dineshkumar-pu1nm 7 месяцев назад
🙏🙏🌺🌺🌺
@tanujabaghel6194
@tanujabaghel6194 2 года назад
गुरुदेव को कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏
@parimalasagar14
@parimalasagar14 2 года назад
🙏🏻🙏🏻
@HjHa-zu5ns
@HjHa-zu5ns 11 месяцев назад
🙏🙏🙏❤️
@kavitasaini7990
@kavitasaini7990 3 года назад
Parnam guruji🙏😊
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
🙏
@manojmadhukar1098
@manojmadhukar1098 3 года назад
आपके द्वारा की गई व्याख्या उत्तम है आपके भीतर विद्यमान आत्मा को मेरा नमस्कार 🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
नमस्कार 🙏
@kiransama3621
@kiransama3621 3 года назад
ज्ञान देने वले बहुत है ,पर जो ज्ञान आपको समझ आये वही सही है ।आपकी बात समझ आती है समझ आएगी तभी अनुकरण कर सकेन्गे।
@shubhopnishad5099
@shubhopnishad5099 3 года назад
Guruji muje jeevan ke sahi marg par laane ke liye aapka shat shat naman 🙏🏻
@Vedansh_vani
@Vedansh_vani 3 года назад
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव 🥺🙏
@manojmadhukar1098
@manojmadhukar1098 3 года назад
Thanks to share this information 🙏
@Anand.service
@Anand.service 4 года назад
Jai Gurudev
@Sueshchander
@Sueshchander 3 года назад
Your lecture is the best and real
@gouravkarhana1589
@gouravkarhana1589 2 года назад
Naman gurudev
@fenilfenil4652
@fenilfenil4652 3 года назад
आभार ✨
@jigneshparmar2500
@jigneshparmar2500 2 года назад
🙂🙏🏻
@shashikantkulkarni4307
@shashikantkulkarni4307 3 года назад
"Live from movements to movements"Shree J.Krishna Murty.I Om Shanti!.
@SameerKumar-yj5kq
@SameerKumar-yj5kq 2 года назад
🙏🙏
@manojmadhukar1098
@manojmadhukar1098 3 года назад
आपने अनुभव करता की बहुत ही सुंदर ढंग से व्याख्या की है.. आपको धन्यवाद 🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
🙏
@maltipatel3796
@maltipatel3796 3 года назад
🌹🙏🌹
@suvrittamishra2605
@suvrittamishra2605 3 года назад
Very beautiful
@nitinengg7783
@nitinengg7783 3 года назад
Love you sir
@lalitmungali4373
@lalitmungali4373 3 года назад
This video is loaded one year before .....but watched by many pepoles and only few have commented...its intresting........why all is like this...
@sonikalado1117
@sonikalado1117 3 года назад
Parnam ji
@ManjuSharma-wb2dy
@ManjuSharma-wb2dy 3 года назад
Guruji aap ne ahm ki sithti ko samjhane ke liye viedo me chart banya h, jisme aap ne vishav chit ke satar se bhi pre anubhavkrta ke roop me ahm ki sithti ko dikhaya h toh isme ahm ka nas toh nahi hua uski toh sithti badli h phir ahm nas kya h guru ji?
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
अहम् तो अभी भी नहीं है , मिथ्या है। व्यक्ति अज्ञान में स्वयं को कुछ भी मान सकता है , यही दर्शाया है।
@Sueshchander
@Sueshchander 3 года назад
Lakshay Parashar is my grand son. My name is Suresh Sharma. But ab esha feel ho raha sabhi name mere hi hain.
@a27a27
@a27a27 Год назад
aapko sat sat naman🧎‍♀️
@bodhivarta
@bodhivarta Год назад
💐🙏
@RajeshSharma-ig5ug
@RajeshSharma-ig5ug 3 года назад
Pranam guruji, aap se bahut kuch naya seekhne ko mil raha hai jiski muje salon se talash thi, kya mein aap se mil Sakta hoon
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
संपर्क की जानकारी यहाँ है : pureexperiences.blogspot.com/p/blog-page_22.html
@satyanveshi970
@satyanveshi970 2 года назад
Aapke videos dekhe to laga mujhe inhi ki talash thi🙏🙏 . Mera ek prashn hai agar sabhi jivon me ek hi anubhav-karta hai joki alag-alag chitt ke karan alag-alag anubhav karta hai-- to agar koi apne anubhav-karta ke aham shtar pe sthit ho jaye-- to use sabhi jivon ke anubhavon ka anubhav hoga?
@bodhivarta
@bodhivarta 2 года назад
सबके अपने-अपने अनुभवकर्ता नहीं हो सकते । वो वस्तु नहीं अस्तित्व स्वयं है । सम्पूर्ण अस्तित्व अनुभवकर्ता है। और सभी अनुभव उसी एक अद्वैत अस्तित्व को ही होते हैं । ज्ञान मार्ग पर इसका स्पष्ट प्रमाण मिल जाता है । गुरु की शरण में जाएं । 🙏🙂
@satyanveshi970
@satyanveshi970 2 года назад
रिप्लाई करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏😊। आपने जैसे उदाहरण दिया की एक कमरे में कुछ लोग हैं जिन्हे की मान लो कोई एक वस्तु का अनुभव होता है। उनमे एक ही द्रष्टा है जिसे अनुभव हो रहा है.. जितने लोग हैं उतने दृष्टिकोण हैं द्रष्टा के.. अगर सब में एक ही दृष्टा है तो उसे तो अन्य लोग क्या अनुभव कर रहे हैं उसका भी अनुभव होना चाहिए। जैसे मुझे और मेरे किसी दोस्त को लेते हैं दोनो में एक ही दृष्टा है। उसे जो अनुभव हो रहा है उसका द्रष्टा मैं भी हूं क्योंकि एक ही दृष्टा है.. लेकिन मुझे बस मेरे अनुभव होते हैं अन्य लोगों के अनुभव मुझे नहीं होते। मैंने आपके वीडियो देखे मुझे बहुत अच्छे लगे... क्योंकि आप व्यवहारिक ज्ञान की बात करते हैं। मुझे थोड़ा हमारे गुरु-शिष्य कि परम्परा का ज्ञान कम है.. क्या मैं आपके वीडियो देख के उनपर स्वयं से विचार कर के भी शुरू कर सकता हूँ?
@rahulshukla1780
@rahulshukla1780 3 года назад
Guruvji, aapne bataya ki nindra mrityu ke saman hai aur waha koi sambandh nahi hote. Lekin swapn me bhi hame apne parivar jano ke prati aisi hi anubhutiya hoti hain jaisi jagrit awastha me. Fir nindra ki tulna mrityu se kaise ki ja sakti hai 🙏🏻
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
उपमा मात्र समझें।
@madhumitazzz
@madhumitazzz 3 года назад
Swamiji ek Pradhan hai agar mai sham Hu ,aur San Kuch anubhav Kar Raha hu janm air mrityu ki anubhav Kar Raha hu to mujhe apna janm Yaad kyu Nahi hai ? Munhe 4/ 5 umre me pahle Ka Kuch Yaad kyu Nahi
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
अनुभवकर्ता में कोई स्मृति नहीं। शून्य है। स्मृति का दृष्टा है। स्मृति चित्त में है। जो आना जाना अनुभव है। यदि पक्की साधना नहीं , चेतना नहीं तो स्मृति नहीं। जैसे १० साल पहले मैंने इस दिन क्या किया था वो याद नहीं, पर इसका अर्थ ये नहीं होगा की १० साल पहले मैं था ही नहीं। याद न होना , और मेरा न होना , इनमे भेद समझिये।
@madhurikumari1697
@madhurikumari1697 3 года назад
Anubhavkarta aur saakshi donon me bhed kaise karen? Aatman aur aham aur anubhavkarta kya nirjeev vastuon me bhi avyakt roop me vidyamaan hai? Itni baarikee aur gahraai se aapne in vishayon ka vishleshan kiya hai ki ek star k baad ye teenon ek jaisi hi lagti hain.
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
अच्छा लगा जानकर कि ये वीडियो आपके कुछ काम आया 🙏 साक्षी और अनुभवकर्ता एक ही हैं। कई नाम है जैसा बताया है। अनुभवकर्ता वस्तुओं में नहीं है, वस्तुएं अनुभवकर्ता में हैं। मैं लोक में नहीं , सभी लोक मुझमे हैं।
@arvindkotiyal6358
@arvindkotiyal6358 Год назад
प्रणाम आपने सही कहा कि बार बार अहं अनुभव कर्ता से फिसल कर शरीर के अहं पर आ जाता है तो कृपया बताएं कि अहं अनुभव कर्ता पर ही स्थिर रहे यदि इसके लिए कोई प्रयोग किसी वीडियो में है तो लिंक दीजिये प्रणाम
@bodhivarta
@bodhivarta Год назад
जागृतावस्था के प्रयोग हैं , ज्ञानमार्ग की श्रृंखला से आरंभ करें। क्रम से देखिये। ru-vid.com/group/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
@kishorkurle2431
@kishorkurle2431 2 года назад
आत्मा और परमात्मा कैसे भिन्न है भिन्न है या अभी नहीं ?
@bodhivarta
@bodhivarta 2 года назад
आपने प्रश्न कार्यक्रम में भेजिए और सत्संग में चर्चा करें ।
@kamleshKumar-vp1wm
@kamleshKumar-vp1wm 3 года назад
नमस्ते तरूण जी, ज्ञानमार्ग से तो अभी इसी क्षण आत्मन का बोध हो जाता है। ध्यानमार्ग से मैंने अहम को वस्तु, शरीर, मन और जीव के स्तर पर अलग अलग महसूस किया है। क्या ध्यानमार्ग में अहम के अगले चरण सामुहिक मन, सावलोकिक मन और आत्मन का भी अनुभव होगा क्या ? कृपया मार्गदर्शन करें ...🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
नमस्ते। ध्यानमार्ग क्या है ? आपके गुरु कौन है ? आपका आध्यात्मिक लक्ष्य क्या है ? कृपया बताएं।
@kamleshKumar-vp1wm
@kamleshKumar-vp1wm 3 года назад
@@bodhivarta जी सर, मेरा कोई गुरु नहीं है, मेरा कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं है, मुझे नहीं पता ध्यानमार्ग क्या है ? मैंने एक बार आपको पहले भी बताया था कि एक दिन अचानक से ख़्याल आया और मैंने ध्यान करना शुरू कर दिया, फिर अध्यात्मिक ज्ञान पाने की इच्छा हुई और आपके चेनल तक पहुंच गया। ज्ञानमार्ग के गुरु आप ही और ध्यान मैं स्वयं अपने विवेक से कर रहा हूं। 🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
फिर कुछ नहीं होगा कमलेश जी। बिन गुरु बिन लक्ष्य परिणाम शून्य। यदि आपको ज्ञानमार्ग पसंद है तो उसे पूर्णता में अपनाएं। यदि आप व्यवस्थित चलना चाहते हैं तो दीक्षा कार्यक्रम में भाग लें , ऑनलाइन है, निशुल्क है , मेरे मार्गदर्शन में है। यहाँ देखें : gyanmarg.guru/index.php?lang=hi
@kamleshKumar-vp1wm
@kamleshKumar-vp1wm 3 года назад
@@bodhivartaजी सर, मैंने कमल के नाम से सदस्यता ग्रहण कर ली है। आपने बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म तैयार किया है। फिलहाल मेरे प्रश्न का कुछ उत्तर मिल जाए तो मेरी जिज्ञासा थोड़ी शांत हो जाती। बाकी जैसा आप उचित समझें। 🙏
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
गुरु और लक्ष्य से सब मिल जायेगा। बाकी आपका प्रयास भी है , गुरुक्षेत्र की कृपा भी। आपने पहला कदम लिया है, अब अच्छी संभावना है।
@ManjuSharma-wb2dy
@ManjuSharma-wb2dy 3 года назад
Guruji ye toh samajh me agya ki anubhavkrta ek h or anubhav anek h lakin agar me anubhavkrta hun toh mujhe keval is sarir or mann ke alava dushre sarir or mann ka anubhav kyon nahi ho rha h ?
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
यदि एक ही है तो सभी मन-शरीरों का अनुभव उसे ही हो रहा है। अनुभव अलग हैं , अनुभवकर्ता एक है।
@ManjuSharma-wb2dy
@ManjuSharma-wb2dy 3 года назад
@@bodhivarta guruji aap bilkul sahi kah rhe h. Ab kripya ye batiye ki jivan mukt mahtmaon ki jivaniyo me likha milta h ki unhe apne shishyon ke chiton ka bhi gyan hota h kaise
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
वही जाने। बहुत कुछ लिखा है , सत्य असत्य किसको पता।
@manmathahaldar9221
@manmathahaldar9221 3 года назад
🙏🙏🙏261120
@Sueshchander
@Sueshchander 3 года назад
You are great dear. Jo bol raha h ushka name and contact no kya h.
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
संपर्क की जानकारी यहाँ है pureexperiences.blogspot.com/p/blog-page_22.html
@Sueshchander
@Sueshchander 3 года назад
My good name is Suresh Sharma and contact no is 9560739898
@ganraj_art_gallery_officia35
@ganraj_art_gallery_officia35 3 года назад
गुरुजी इसका सार बस इतना ही है कि जन्म भी अभी है मृत्यु अभी है (वर्तमान ही सत्य है)
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
सही है। जन्म मृत्यु मिथ्या है।
@ganraj_art_gallery_officia35
@ganraj_art_gallery_officia35 3 года назад
गुरुजी एक प्रश्न है।
@ganraj_art_gallery_officia35
@ganraj_art_gallery_officia35 3 года назад
चेतन मन, ही चित्त है या अवचेतन मन ही चित्त है।और चेतना ही अनुभव कर्ता है।
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
चेतन, अचेतन, अवचेतन मन - ये पश्चिमी मान्यताएं हैं , और अर्थहीन हैं। अद्वैत दर्शनों में ऐसा कुछ नहीं। परिभाषाएं - चित्त : ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-NG1Z-zAo_hI.html चेतना : ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-djwKobkRrBI.html अनुभवकर्ता : ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-jK3luRY0VvY.html मूल ज्ञान : ru-vid.com/group/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
@ganraj_art_gallery_officia35
@ganraj_art_gallery_officia35 3 года назад
अपरोक्ष अनुभव ही सत्य है। मेरी शंका का समाधान मिल गया। गुरूजी. धन्यवाद.....
@shashank6159
@shashank6159 3 года назад
प्रणाम, कृपया मेरे कुछ प्रशनो/ संशय का निवारण करे I १. क्या अनुभव कर्ता भी एक चित्त वृति है ? यदि नही तो इसका क्या प्रमाण/ अनुमान है I २. मैं कुछ समय से साक्षी भाव का प्रयोग कर रहा हु I सभी अनुभवों के पीछे एक प्रष्ट भूमि/ a screen on which everything is projected का एहसास होता है I क्या यह भी एक चित्त वृति/ अनुभव मात्र है ? ३. जब हम किसी बिंदु, वस्तु या कार्य पर पूरा ध्यान देते है तो प्रतीत होता है की अनुभव कर्ता भी मिट जाता है और सिर्फ वह वस्तु भर रह जाती है I ऐसा क्यों होता है ? ४. मुझे ऐसा प्रतीत होता है की ध्यान/attention ही जब भीतर की और मुड़ता है तो तभी हमें अनुभव कर्ता का भोध होता है वर्ना नही, क्या यह सत्य है ? ५. चेतना , स्वचेतना और attention में क्या अंतर है ?
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
1, चित्त वृत्ति का अनुभव हो सकता है, अनुभवकर्ता का नहीं । वृत्ति आती जाती है, दृश्य है । अनुभवकर्ता स्थायी है, दृष्टा है । यदि अनुभवकर्ता का अनुभव हुआ तो किसको होगा? 2, हाँ । अनुभवकर्ता का एहसास या किसी भी और रूप में अनुभव असंभव है । ये वो चैतन्य है जो इस प्रयोग का साक्षी है । 3, यदि अनुभवकर्ता मिट जाए तो अनुभव भी मिट जाएगा । अनुभव में लीन होना भूलना है, चेतना का अभाव है । अनुभवकर्ता नित्य है , आता जाता नहीं, चेतना या उसकी स्मृति आती जाती है । 4, ये भ्रम है । अनुभवकर्ता का बोध असंभव है । ये वो है जिसको बोध होता है । न कुछ भीतर है न बाहर, ये मान्यता है, अज्ञान है । भीतर शब्द का अर्थ जानिए। शायद आप अभी भी अनुभवकर्ता को किसी अनुभव में ढूंढ रहे हैं, अनुभवकर्ता कोई भी अनुभव नहीं है । न भीतर मिलेगा न बाहर, सर्वव्यापी है । 5, चेतना या स्वचेतना अनुभवकर्ता के होने का ज्ञान है । ध्यान एक अनुभव पर स्थित होना है । दोनों चित्त वृत्तियां हैं ।
@shashank6159
@shashank6159 3 года назад
@@bodhivarta Thanks sir for so immediate and prompt reply.... कुछ और प्रशन पूछना चाहता हु I क्षमा करें १. क्या अनुभव कर्ता बिना किसी अनुभव के भी हो सकता हैI अगर सारे अनुभव के साधन हटा लिए जाये तब अनुभव कर्ता कैसे हो सकता है ? २. क्या विशुद्ध अनुभवकर्ता में होने का भाव है ? ३. चेतना और चतैन्य का अंतर भी स्पष्ट करें I
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
अवश्य प्रश्न करें। प्रश्न से ही अज्ञान दूर होगा, ज्ञानमार्ग पर हम यही करते हैं। हाँ, मेरे उत्तर पर मनन करना होगा। १. अनुभव नहीं तो अनुभवकर्ता नहीं। किन्तु ऐसा किसी ने देखा नहीं। ये दोनों नित्य हैं। दोनों सदैव साथ है , जैसे सूर्य और छाया। जैसे सिक्के के दो चेहरे , एक के बिना दूसरा नहीं। ऐसा क्यों? क्योंकि दोनों एक हैं , एक अस्तित्व के दो चेहरे हैं। अनुभव हटा लिया जाये तो अद्वैत बचेगा। द्वैत नहीं होगा। न अनुभव होगा , न अनुभवकर्ता होगा , केवल अस्तित्व याने शून्यता होगी। आश्चर्य यह है कि यह "अद्वैत शून्य" अभी भी है। इस समय यहाँ है। अनुभव-अनुभवकर्ता का भेद होने के बाद भी एकता है, अद्वैत है, शून्यता है, योग है। यह भेद एक दृष्टिकोण मात्र है। कैसे? ब्रह्मज्ञान का वीडियो देखें। २. नहीं। जब अपने होने का भाव आता है , उसे चेतना कहते हैं , जो चित्तवृत्ति है और जीव में होती है। अनुभवकर्ता में कोई भाव नहीं, ये आभाव है, निर्गुण है, पूर्णतया शून्य है। ३. अनुभवकर्ता के प्रकाश से युक्त चित्त उसकी चैतन्य अवस्था है। चेतना में बने रहना चैतन्य है। चेतना अनुभवकर्ता का ज्ञान है, चैतन्य चित्त की वो अवस्था है जो इस ज्ञान से प्रकाशित है।
@shashank6159
@shashank6159 3 года назад
@@bodhivarta धन्यवाद I आपके उत्तर पर मनन किया एवं अपने ऊपर भी ध्यान दिया/ अपने अनुभवों को देखा तो निम्न बिंदु निकल कर आते है I १. "अनुभव नहीं तो अनुभवकर्ता नहीं। किन्तु ऐसा किसी ने देखा नहीं। ये दोनों नित्य हैं।" ये आपने कहा है I २. मैं जब सारे जीवन के अनुभवों को याद करता हु तो, ऐसा क्षण कभी नही याद आता जब मैं / अनुभवकर्ता बिना किसी अनुभव के हो I यदपि जीवन अनुभवों की श्रंखला मात्र है ऐसा प्रतीत होता है I तो इससे भी येही लगता है की अनुभवकर्ता और अनुभव कभी अलग नही हो सकतेI ३. लेकिन इस Inference का एक और भी कारण हो सकता है I यदि सिर्फ विशुद्ध अनुभवक्रिया /act of experiencing पहले से मोजूद हो / नित्य हो / एक मात्र सत्य हो तो भी उससे अनुभवकर्ता और अनुभव दोनों पैदा हो जायेंगे लेकिन इस तरह से पैदा हुए अनुभवकर्ता और अनुभव को कभी अलग नही किया जा सकता क्युकी वो दोनों एक ही entity जो की अन्हुभाव क्रिया है उससे निकल रहे है / उसके दो छोर है I ४. अगर ये सत्य है तो फिर ये कहा जा सकता है की अस्तित्व और कुछ नही सिर्फ अनुभव क्रिया है I कृपया इस अनुमान में कितना सत्य है बताने की कृपा करें I क्या अस्तित्व बिना अनुभव क्रिया के भी हो सकता है ? ५. कृपया एक ज्ञान मार्ग के साधक और एक दार्शनिक के बिच क्या अंतर है ये भी स्पष्ट करें क्युकी दोनों ही तर्क और विचार करते है I मैंने कई महापुरुषो को ये कहते सुना की विचार और तर्क बाधा है I ये आपको NO-MIND/ विचार शुन्यता तक नही पहुचने देगा I
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
4, हाँ आपका निष्कर्ष सही है । अस्तित्व, अनुभवक्रिया, अनुभवकर्ता और अनुभव ये सभी समानार्थी शब्द हैं । एक ही सत्य को देखने के दृष्टिकोण हैं । यहां देखें: ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-jK3luRY0VvY.html अस्तित्व अर्थात जो है । कुछ है यह कहना तभी संभव है जब उसका अनुभव है । यदि अनुभव है तो अनुभवकर्ता या अनुभवक्रिया भी होगी । यदि ये कहें कि कुछ है किन्तु न उसका अनुभव है न अनुभवकर्ता है, तो यह काल्पनिक होगा । 5, दार्शनिक, ज्ञानी, वैज्ञानिक, योगी आदि सभी सत्य के और ज्ञान के इच्छुक हैं । परम्पराएं, भाषा, मान्यताएं भिन्न हैं । ये सभी साधनारत हैं । अज्ञान बाधा है । अज्ञानी के विचार अज्ञान दर्शाते हैं, ज्ञानी के ज्ञान । विचार चित्तवृत्ति हैं, मिथ्या हैं । अर्थात नहीं हैं । इस तरह विचार होकर भी विचारशून्यता है । जो सत्य है वो विचार के रहते भी होगा , सदैव होगा, विचारों की पृष्ठभूमि होगा, विचार उसको नष्ट नहीं कर पायेंगे । वही सत्य विचारों के आभाव में भी होगा । विचार आते-जाते हैं, सत्य अटल है । ये मान्यता कि विचारशून्यता की अवस्था में ही सत्य मिलेगा, उनकी है जो विचारों, चित्तवृत्ति आदि को सत्य समझते हैं । ज्ञानमार्ग पर बुद्धि विवेक विचार तर्क का उपयोग किया जाता है, बाधा नहीं माना जाता । इन योग्यताओं का उपयोग न कर पाना बडी बाधा है ।
@harirasmusicclassgadhavisi4569
@harirasmusicclassgadhavisi4569 3 года назад
Apaka Naam parichay
@kiransama3621
@kiransama3621 3 года назад
आनुभूती ही अनुभव करती है ।?
@bodhivarta
@bodhivarta 3 года назад
अनुभवकर्ता को अनुभव होते है।
@kiransama3621
@kiransama3621 3 года назад
अनुभव हुआ ,कि ये क्या है । सरलता आपकी बातों से है।नित्य प्रयास ।
@harirasmusicclassgadhavisi4569
@harirasmusicclassgadhavisi4569 3 года назад
Rahsya hota tabtak ras rahata he Rahsyuvad ko samjana
@dineshkumar-pu1nm
@dineshkumar-pu1nm 7 месяцев назад
🙏🙏🌺🌺🌺
Далее
ТРОЛЛИНГ СКАМЕРА СТАНДОФФ 2
00:59
Старый Дим Димыч вернулся😱
00:16
२५. सुख और मुक्ति
51:59
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