कविराजजी श्रीं रतुदानजी रोहडीया ईशराणी गाम धुनाना ना आपने कोटी कोटी नमन बस रतुदानजी जेवा दुरलभ से से ईतो चारण देव वळी ईशरदासजी नो वंश से पसी एमा खामी न होय परीपुरण रतुभाई
आदरणीय रतूदानजी का चारनी-साहित्य में योगदान अमूल्य है। आने वाली पीढि़यां पुराने शास्त्रों के संग्रह एवं संरक्षण के उनके प्रयासों के लिए ऋणी रहेंगी। आदरणीय रतूदानजी अपने द्वारा संग्रहित और संरक्षित किए गए अमूल्य खजाने के लिए अमर रहेंगे।
Badhaen kab bandh saki he age badhne valo ko, vipdaen kab rok saki hai path par chalne valonko...... Muk badhir manas atlu pradan kari sake, e akalpaniy chhe..nam sambharel pan, Pratham vakhat janva malyu bapu vise. Garv ni vat chhe. Saheb.