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240 વર્ષ પહેલા યુપી ના છપૈયા ખાતે જન્મેલ ઘનશ્યામ પાંડે જાદુગર નો જન્મ થયો તે સમયે ગુજરાત ના સાધુ સંતોય જનમ્યા ગુજરાત ના સાધુ સંત સાધુ સંત રહ્યા અને આ સ્વામી લોકો એ ઘનશ્યામ પાંડે જાદુગર ને ભગવાન બનાવી ધર્મ ના નામે ધંધો કરવા લાગ્યા
(मुजे उसके बारे में पूछा गया था तो उसके हितमे जारी) आप ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि सब धर्माचार्यों से पुस्तिका जैसी तालिका मांगकर धर्म का शुध्द स्वरूप प्रस्तुत करे,, अब देखो ,,, ऐसा हो जाए तो बहोत ही अच्छी बात है ये होना ही चाहिए,, इसकी सख्त जरूरत है, क्योकि कौन सही है और कौन गलत है ,, कौन पूरा है और कौन आधा अधूरा वो सामने आहि जाएगा ,, इसमे में अपनी कुछ राय देना चाहता हु जो में बहोत सालो से सोच रहा हु, सब सम्प्रदाय अपनी अपनी कह रहा है कि भगवान ऐसा है,,कोई कह रहा है वैसा है, मुस्लिम भी कुछ और कह रहा है,, ईसाई अपनी मनमुखी बात करता है, सिक्ख,, बौद्ध, यहूदी, जैन,, सब अपनी अपनी बातें कह रहा है,,, इसमे कौन सही कह रहा है और कौन गलत,, ये है सबकी प्रोब्लम, कोई कहता है भगवान ऊपर है कोई कहता है कि बाहर है,, कोई कहता है भगवान हमारे भीतर है,, इसमे ये बड़ी विडंबना है, कोई कहता है भगवान निराकार है, कोई कहता है कि भगवान साकार है, कोई कहता है कर्म योगी बने,, कोई कहे भक्ति योगी बने, कोई कहे मुक्ति जीते जी होती है, कोई कहे मुक्ति मरने के बाद होती है, कोई कहे ध्यान करो,, जैसे अनेक विध सवालों का ढेर लग गया है,,, मानस मस्तिष्क में इसमे सरकार कुछ सहयोग दे सकती है,,पर मेरी बुद्धि के तहत इतना कह सकता हु की भगवान के बारे अनेक सवाल है ,, एक बात है भाई की ईश्वर सबका एक है ये बात की सहज से स्वीकृति हो सकती है,, पर इसमे ही बहोत बड़ी बहस है और वो है, की ईश्वर सबका एक है पर वो है कौन? इसमे पूरी दुनिया डूबी हुई है, इस वजह से लड़ाई ,, दंगा फसाद, जातिवाद,, धर्मवाद ,, उच्च नीच के भेदभाव खड़ा हो गया है इसको ठीक करे तो कैसे करे? ओर कैसे किया जाए? वो सबका ईश्वर एक है, वोै है कौन को लेके आवाज जो बुलंद हो जाए तो , इसमे बड़ी रुकावट ये है कि सब अपनी अपनी बाते तो कर ही रहा है, तो इसमें एक दूसरे की कोई सुनेगा नही हम सही हम सही का नारा आज भी गूंज रहा है ,, भविष्य में भी वही ही होगा क्योंकि ऐसा इंसान या कोई ऐसी सरकार नही है कि मैने भगवान को देखा है,, वो सबका एक ईश्वर है जिसको मेने जाना है वो लो ये रहा, ऐसा कहने वाला कोई है तो नही और कोई मानेगा भी नही,,,,,,,,, समझ सबकी अलग है,, इसलिए ऐसा होकर ही रहेगा सबको एक ही सूत्र में बांधने के लिए सरकार को चाहिए कि सारे जहाँ (कम से कम भारत)के धर्माचार्यों को इक्क्ठा किया जाए औऱ अपनी अपनी बातें दर्ज करे,,, इसमे बहोत बड़ी ज्ञान चर्चा हो, वो चाहे कितने दिन क्यो न चले (इसमे एक रूल्स हो कि ,, 1 सब धर्माचार्यों को आना जरूरी है, 2,,, जो नही आये उस धर्माचार्यों को पाबंधी लगाया जाए, 3,,, सब अपनी अपनी राय कहे, 4,,, एक दुसरो से सवाल की बरसात हो, 5 सबको पूछे गए सवाल का जवाब देना जरूरी है, 6,,, जो सवाल का जवाब दे न सके उसका प्रचार भारत में प्रतिबंध, 7,,, जो भी शेष रहे वो ही एक सम्प्रदाय भारत मे शिरमोर, 8,, पीछे से किसीकी बात सुनी नही जाएगी, 9,,, जो भी कहना है वो यहाँ पर ही कहे,,, 10 मौन की भाषा अमान्य होगी, 11,,, जबतक फैसला न हो तबतक शांति बनाए रखे, 12,,,जो भी इस सवाल के दौरान क्रोध या ऐसी कुछ हरकत करे तो उसकी हार मान्य करनी होगी, 13,,,सरकार ऐसी व्यवस्था दे जीसमे सबको बोलने का मौका दे और साथ सुनने का भी, 14,,,उस मंच का लाइव प्रसारण हो, 15,,, जो भी हार जाए उसकी किताब का नाश हो या पूरे भारत मे बेंड लगाया जाए और उसकी माहिती सबको मिले, 16,,, एक भी सवाल करना बाकी न हो ताकि समस्या बनी रहे , 17,,,, आउट कन्ट्री जो है और उसका नेतृत्व जो भारत मे है उसको भी बुलाया जाए और उसका न आने का मतलब हार है ऐसा सबके मन मे पक्का करदो, ताकि बादमे उसकी बहस न रहे,, वैसे भी सब सवाल करने में माहिर तो है ही उसी तरह जवाब भी दे दो,,, जो शेष बाकी रहे वो सबको मान्य करे,,, ऐसा ही एक तरीका है भारत को सुख और शांति का और कोई है तो आप बताए? आवाज बुलंद हो,, ये भारत है चाहा तो सबकुछ हो सकता है बस ये आवाज बुलंद होनी चाहिए,,,,, अस्तु,,,,, Vijay kalsariya
Tamne paisa સ્વામિનારાયણ ભગવાને આપ્યા એવું નહિ માનતા કેમકે તમારી કરતા ભક્તિવાન લોકો બહુજ ગરીબ છે,,, ઈતો પૈસા ના પાવરે સેમિનાર થાય એટલે 7,,,,, થી8,,,, 8,,,, લોકો સાંભળે બાકી બુદ્ધિ વાળા લોકો તમારી કરતા તો બહુજ પડેલા છે આ દુનિયામાં
(मुजे उसके बारे में पूछा गया था तो उसके हितमे जारी) आप ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि सब धर्माचार्यों से पुस्तिका जैसी तालिका मांगकर धर्म का शुध्द स्वरूप प्रस्तुत करे,, अब देखो ,,, ऐसा हो जाए तो बहोत ही अच्छी बात है ये होना ही चाहिए,, इसकी सख्त जरूरत है, क्योकि कौन सही है और कौन गलत है ,, कौन पूरा है और कौन आधा अधूरा वो सामने आहि जाएगा ,, इसमे में अपनी कुछ राय देना चाहता हु जो में बहोत सालो से सोच रहा हु, सब सम्प्रदाय अपनी अपनी कह रहा है कि भगवान ऐसा है,,कोई कह रहा है वैसा है, मुस्लिम भी कुछ और कह रहा है,, ईसाई अपनी मनमुखी बात करता है, सिक्ख,, बौद्ध, यहूदी, जैन,, सब अपनी अपनी बातें कह रहा है,,, इसमे कौन सही कह रहा है और कौन गलत,, ये है सबकी प्रोब्लम, कोई कहता है भगवान ऊपर है कोई कहता है कि बाहर है,, कोई कहता है भगवान हमारे भीतर है,, इसमे ये बड़ी विडंबना है, कोई कहता है भगवान निराकार है, कोई कहता है कि भगवान साकार है, कोई कहता है कर्म योगी बने,, कोई कहे भक्ति योगी बने, कोई कहे मुक्ति जीते जी होती है, कोई कहे मुक्ति मरने के बाद होती है, कोई कहे ध्यान करो,, जैसे अनेक विध सवालों का ढेर लग गया है,,, मानस मस्तिष्क में इसमे सरकार कुछ सहयोग दे सकती है,,पर मेरी बुद्धि के तहत इतना कह सकता हु की भगवान के बारे अनेक सवाल है ,, एक बात है भाई की ईश्वर सबका एक है ये बात की सहज से स्वीकृति हो सकती है,, पर इसमे ही बहोत बड़ी बहस है और वो है, की ईश्वर सबका एक है पर वो है कौन? इसमे पूरी दुनिया डूबी हुई है, इस वजह से लड़ाई ,, दंगा फसाद, जातिवाद,, धर्मवाद ,, उच्च नीच के भेदभाव खड़ा हो गया है इसको ठीक करे तो कैसे करे? ओर कैसे किया जाए? वो सबका ईश्वर एक है, वोै है कौन को लेके आवाज जो बुलंद हो जाए तो , इसमे बड़ी रुकावट ये है कि सब अपनी अपनी बाते तो कर ही रहा है, तो इसमें एक दूसरे की कोई सुनेगा नही हम सही हम सही का नारा आज भी गूंज रहा है ,, भविष्य में भी वही ही होगा क्योंकि ऐसा इंसान या कोई ऐसी सरकार नही है कि मैने भगवान को देखा है,, वो सबका एक ईश्वर है जिसको मेने जाना है वो लो ये रहा, ऐसा कहने वाला कोई है तो नही और कोई मानेगा भी नही,,,,,,,,, समझ सबकी अलग है,, इसलिए ऐसा होकर ही रहेगा सबको एक ही सूत्र में बांधने के लिए सरकार को चाहिए कि सारे जहाँ (कम से कम भारत)के धर्माचार्यों को इक्क्ठा किया जाए औऱ अपनी अपनी बातें दर्ज करे,,, इसमे बहोत बड़ी ज्ञान चर्चा हो, वो चाहे कितने दिन क्यो न चले (इसमे एक रूल्स हो कि ,, 1 सब धर्माचार्यों को आना जरूरी है, 2,,, जो नही आये उस धर्माचार्यों को पाबंधी लगाया जाए, 3,,, सब अपनी अपनी राय कहे, 4,,, एक दुसरो से सवाल की बरसात हो, 5 सबको पूछे गए सवाल का जवाब देना जरूरी है, 6,,, जो सवाल का जवाब दे न सके उसका प्रचार भारत में प्रतिबंध, 7,,, जो भी शेष रहे वो ही एक सम्प्रदाय भारत मे शिरमोर, 8,, पीछे से किसीकी बात सुनी नही जाएगी, 9,,, जो भी कहना है वो यहाँ पर ही कहे,,, 10 मौन की भाषा अमान्य होगी, 11,,, जबतक फैसला न हो तबतक शांति बनाए रखे, 12,,,जो भी इस सवाल के दौरान क्रोध या ऐसी कुछ हरकत करे तो उसकी हार मान्य करनी होगी, 13,,,सरकार ऐसी व्यवस्था दे जीसमे सबको बोलने का मौका दे और साथ सुनने का भी, 14,,,उस मंच का लाइव प्रसारण हो, 15,,, जो भी हार जाए उसकी किताब का नाश हो या पूरे भारत मे बेंड लगाया जाए और उसकी माहिती सबको मिले, 16,,, एक भी सवाल करना बाकी न हो ताकि समस्या बनी रहे , 17,,,, आउट कन्ट्री जो है और उसका नेतृत्व जो भारत मे है उसको भी बुलाया जाए और उसका न आने का मतलब हार है ऐसा सबके मन मे पक्का करदो, ताकि बादमे उसकी बहस न रहे,, वैसे भी सब सवाल करने में माहिर तो है ही उसी तरह जवाब भी दे दो,,, जो शेष बाकी रहे वो सबको मान्य करे,,, ऐसा ही एक तरीका है भारत को सुख और शांति का और कोई है तो आप बताए? आवाज बुलंद हो,, ये भारत है चाहा तो सबकुछ हो सकता है बस ये आवाज बुलंद होनी चाहिए,,,,, अस्तु,,,,, Vijay kalsariya
Sar mein Suraj Gupta Uttar Pradesh Se hun main bhi aap hi Ki tarah kuchh kam karke apna bhavishya banana chahta hun kripya aapke chhatrachhaya mein mujhe Rahane ka mauka Den aur mujhe apni company mein chhoti jagah Ho se kam karne ka mauka de main aapko niraash nahin karunga aur aap kyon company mein Puri lagan aur mehnat se karya
Sir mai apke company me kam karna chahta hu sir eske liye mai apna ghar chhor chuka hu sir kisi ke kahne par mai daimond ka kam Sikh rha hu sir kya apke company me mujhe sikhne ka muka nhi mile ga sir agar app parmison de dete to bahut kripa hota mujh pe sir
आप हीरा सीखना छोड दो दूसरा ओर कोई बिजनेस करो क्योंकि हीरा बंध भी हो सकता है हिरे में अभी मंदी चल रही है और फिर तेजी कभी नही आने वाली और ये सवजी को कुछ मत कहो वो साला एक नंबर का हरामी है ઇ નાલાયક ના પેટનો છે वो आपके सवाल का भी जवाब भी नही देगा आगे आपकी मरजी
@@jayeshbhai9456 (मुजे उसके बारे में पूछा गया था तो उसके हितमे जारी) आप ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि सब धर्माचार्यों से पुस्तिका जैसी तालिका मांगकर धर्म का शुध्द स्वरूप प्रस्तुत करे,, अब देखो ,,, ऐसा हो जाए तो बहोत ही अच्छी बात है ये होना ही चाहिए,, इसकी सख्त जरूरत है, क्योकि कौन सही है और कौन गलत है ,, कौन पूरा है और कौन आधा अधूरा वो सामने आहि जाएगा ,, इसमे में अपनी कुछ राय देना चाहता हु जो में बहोत सालो से सोच रहा हु, सब सम्प्रदाय अपनी अपनी कह रहा है कि भगवान ऐसा है,,कोई कह रहा है वैसा है, मुस्लिम भी कुछ और कह रहा है,, ईसाई अपनी मनमुखी बात करता है, सिक्ख,, बौद्ध, यहूदी, जैन,, सब अपनी अपनी बातें कह रहा है,,, इसमे कौन सही कह रहा है और कौन गलत,, ये है सबकी प्रोब्लम, कोई कहता है भगवान ऊपर है कोई कहता है कि बाहर है,, कोई कहता है भगवान हमारे भीतर है,, इसमे ये बड़ी विडंबना है, कोई कहता है भगवान निराकार है, कोई कहता है कि भगवान साकार है, कोई कहता है कर्म योगी बने,, कोई कहे भक्ति योगी बने, कोई कहे मुक्ति जीते जी होती है, कोई कहे मुक्ति मरने के बाद होती है, कोई कहे ध्यान करो,, जैसे अनेक विध सवालों का ढेर लग गया है,,, मानस मस्तिष्क में इसमे सरकार कुछ सहयोग दे सकती है,,पर मेरी बुद्धि के तहत इतना कह सकता हु की भगवान के बारे अनेक सवाल है ,, एक बात है भाई की ईश्वर सबका एक है ये बात की सहज से स्वीकृति हो सकती है,, पर इसमे ही बहोत बड़ी बहस है और वो है, की ईश्वर सबका एक है पर वो है कौन? इसमे पूरी दुनिया डूबी हुई है, इस वजह से लड़ाई ,, दंगा फसाद, जातिवाद,, धर्मवाद ,, उच्च नीच के भेदभाव खड़ा हो गया है इसको ठीक करे तो कैसे करे? ओर कैसे किया जाए? वो सबका ईश्वर एक है, वोै है कौन को लेके आवाज जो बुलंद हो जाए तो , इसमे बड़ी रुकावट ये है कि सब अपनी अपनी बाते तो कर ही रहा है, तो इसमें एक दूसरे की कोई सुनेगा नही हम सही हम सही का नारा आज भी गूंज रहा है ,, भविष्य में भी वही ही होगा क्योंकि ऐसा इंसान या कोई ऐसी सरकार नही है कि मैने भगवान को देखा है,, वो सबका एक ईश्वर है जिसको मेने जाना है वो लो ये रहा, ऐसा कहने वाला कोई है तो नही और कोई मानेगा भी नही,,,,,,,,, समझ सबकी अलग है,, इसलिए ऐसा होकर ही रहेगा सबको एक ही सूत्र में बांधने के लिए सरकार को चाहिए कि सारे जहाँ (कम से कम भारत)के धर्माचार्यों को इक्क्ठा किया जाए औऱ अपनी अपनी बातें दर्ज करे,,, इसमे बहोत बड़ी ज्ञान चर्चा हो, वो चाहे कितने दिन क्यो न चले (इसमे एक रूल्स हो कि ,, 1 सब धर्माचार्यों को आना जरूरी है, 2,,, जो नही आये उस धर्माचार्यों को पाबंधी लगाया जाए, 3,,, सब अपनी अपनी राय कहे, 4,,, एक दुसरो से सवाल की बरसात हो, 5 सबको पूछे गए सवाल का जवाब देना जरूरी है, 6,,, जो सवाल का जवाब दे न सके उसका प्रचार भारत में प्रतिबंध, 7,,, जो भी शेष रहे वो ही एक सम्प्रदाय भारत मे शिरमोर, 8,, पीछे से किसीकी बात सुनी नही जाएगी, 9,,, जो भी कहना है वो यहाँ पर ही कहे,,, 10 मौन की भाषा अमान्य होगी, 11,,, जबतक फैसला न हो तबतक शांति बनाए रखे, 12,,,जो भी इस सवाल के दौरान क्रोध या ऐसी कुछ हरकत करे तो उसकी हार मान्य करनी होगी, 13,,,सरकार ऐसी व्यवस्था दे जीसमे सबको बोलने का मौका दे और साथ सुनने का भी, 14,,,उस मंच का लाइव प्रसारण हो, 15,,, जो भी हार जाए उसकी किताब का नाश हो या पूरे भारत मे बेंड लगाया जाए और उसकी माहिती सबको मिले, 16,,, एक भी सवाल करना बाकी न हो ताकि समस्या बनी रहे , 17,,,, आउट कन्ट्री जो है और उसका नेतृत्व जो भारत मे है उसको भी बुलाया जाए और उसका न आने का मतलब हार है ऐसा सबके मन मे पक्का करदो, ताकि बादमे उसकी बहस न रहे,, वैसे भी सब सवाल करने में माहिर तो है ही उसी तरह जवाब भी दे दो,,, जो शेष बाकी रहे वो सबको मान्य करे,,, ऐसा ही एक तरीका है भारत को सुख और शांति का और कोई है तो आप बताए? आवाज बुलंद हो,, ये भारत है चाहा तो सबकुछ हो सकता है बस ये आवाज बुलंद होनी चाहिए,,,,, अस्तु,,,,, Vijay kalsariya
Devangi Prajapati lage che k Tamari family ma thi koi hk ma che. jene kam nathi thatu etle savjibhai NE kharab Bolo cho. pan problem Tammara family member no che. hk no nathi.