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क़ुतुब मीनार के काम्प्लेक्स में जब हम काम्प्लेक्स में प्रवेश करते हैं जब हम काम्प्लेक्स में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले हमारा ध्यान जाता है अलाइमिनार पर । कहते हैं कि इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने शुरू करवाया था लेकिन पहली मंजिल का काम भी पूरा नहीं हुआ और अलाउद्दीन की मौत हो गई। इतिहास में बताया जाता है कि अलाउद्दीन की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारियों ने इसे बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
दूर से ही दिखाई दे जाने वाला ये गगनचुम्बी स्तम्भ जिसे आज क़ुतुब मीनार कहते हैं, दूर से देखने पर ये इस्लामिक संरचना दिखाई देती है क्योंकि इस पर कुरआन की आयतें लिखी गई हैं। लेकिन इसका सच जानने के लिए हमें थोड़ा नजदीक जाना होगा। हम केवल उन साक्ष्यों पर बात करेंगे जो यहां बिखरे पड़े हैं। क़ुतुब मीनार के पास ही कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद है। हिंदी में कुव्वत उल इस्लाम का मतलब होता है 'इस्लाम की शक्ति'। लेकिन ये वो शक्ति है जो यहाँ इस परिसर में मौजूद बहुमूल्य हिन्दू आर्किटेक्चर तथा एस्ट्रोनॉमिकल नॉलेज की विरासत को नष्ट करके दिखाई गई।
जब हम इस मस्जिद में एंट्री करते हैं तो यहाँ बने बरामदों के स्तम्भों पर हिन्दू-जैन आर्किटेक्चर दिखाई देता है। यहाँ इन स्तम्भों पर घंटियां, सिंह मुख, रामायण के दृश्य व अन्य कलाकृतियां आप साफ़ देख सकते हैं। जो किसी मस्जिद में नहीं हो सकती। और यही घंटियाँ आप क़ुतुब मीनार पर भी देख सकते हैं। आपको पता ही होगा कि कोई भी मुस्लिम शासक मस्जिद या अपने किसी भी स्थापत्य में घंटियां नहीं बनवा सकता क्योंकि इस्लाम के अनुसार घंटिया शैतान की आवाज हैं। साथ ही खंडित प्रतिमाओं के खाली स्थानों को देखकर भी समझा जा सकता है कि यहाँ कभी देव प्रतिमाएं हुआ करती थीं। और यहाँ से इनका नामोनिशान मिटाने की कोशिश की गई है। साथ ही यहाँ परिसर में ही बिखरी अन्य देव प्रतिमाओं को भी साफ़ साफ़ देखा जा सकता है। क्या इस तरह की प्रतिमाएं किसी मस्जिद के परिसर में हो सकती हैं ? इनके अलावा आप यहाँ भगवान् गणेश की प्रतिमा भी देख सकते हैं। इसलिए देखा जाए तो क़ुतुब मीनार और ये मस्जिद इस्लाम के विरुद्ध हैं लेकिन इन आक्रांताओं ने अपनी जिद पर अड़कर इस्लाम के खिलाफ जाकर मंदिरों में ही फेरबदल करके मस्जिदें बनवा दी।
इस परिसर की सबसे ख़ास चीज है यहाँ स्थापित यह लौह स्तम्भ । जिसे गरुड़ स्तम्भ भी कहा जाता है। संभवतः पहले इस पर गरुड़ की प्रतिमा विराजमान थी। गरुड़ को भगवान् विष्णु की सवारी के रूप में जाना जाता है।
21 сен 2024