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परमात्मा अविनाशी है वह कल भी था आज भी है और कल भी रहेगा, परमात्मा कोई शरीर नहीं है वह तो विश्वचेतना शक्ति है। आपकी परमात्मा की खोज यदि समाप्त नहीं हुई है इसका अर्थ यह है कि आप अभी भी परमात्मा के भूतकाल के रूप को ही वर्तमान में खोज रहे हैं समय के साथ परमात्मा भी अपना रूप बदलकर अवतरित होता है हर जन्म में उसके रूप अलग-अलग हो सकते हैं। यदि आपको वर्तमान के परमात्मा की खोज है तो आपको भूतकाल के परमात्मा के रूप को छोड़ना होगा, वर्तमान के माध्यम को परमात्मा के रूप में स्वीकार करना होगा। परमात्मा की प्राप्ति के लिए परमात्मा की अनुभूति के लिए कोई कंडीशन नहीं रखनी होगी। यदि आप सोचे कि मुझे उसी रूप में परमात्मा मिलेगा तो ही मैं परमात्मा को स्वीकार करूंगा या करूँगी, तो यह कंडीशन आपकी प्रभु प्राप्ति में बाधा बन सकती है। इस विषय में विस्तृत रूप से मार्गदर्शन दिया है हमारे परम पूज्य सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामी जी ने इस वीडियो के माध्यम से।
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Samarpan Library.
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27 авг 2024