बिल्कुल सही फरमाया जी आपने गाने बजाने से कुछ नहीं होगा सतगुरु वचन निभाना पड़ेगा संतों के बताए हुए मार्ग चलना पड़ेगा अनुशासन में रहना होगा और संगत को भी अनुशासन में रखना पड़ेगा जहां अनुशासन और आदर होता है वहां प्रेम भी प्रकट हो जाता है और जहां प्रेम होता है वहां सतगुरु विराजमान होते हैं इसलिए जहां प्रेम विश्वास आदर और अनुशासन होगा तो गुरु की दया होगी और सतगुरु हाजिर नाजिर होंगे पर ये सब निस्वार्थ भाव से होना चाहिए और सतगुरु के समर्पित भाव होना चाहिए धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा हाजिर नाजिर जिन्दा राम परम संतों के न्यारे राम परम संत छसौमसताना जी महाराज तेरा ही आसरा परम संत नूरसिह जी महाराज तेरा ही आसरा जी