🙏 परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी 🙏
आप लोगों ने आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया ये भी एक जन्मदिन है, एक महान कार्य के लिए आप लोग तैयार हुए हैं और ये महान कार्य आजतक कभी हुआ नहीं, उसके आप संचालक हैं, इससे बढ़ के और मेरे लिये क्या सुखद साधन है, कभी सोचा भी नहीं था कि अपने जीवन में ही इतने आत्मसाक्षात्कारी जीवों के दर्शन होंगे और इतना अगम्य आनंद उठाने को मिलेगा।
इसे वातावरण की विशेषता कहें जिसमें कि आज आप देख रहे हैं कि "मनुष्य किस भ्रान्ति में घूम रहा है"।
"यत्र नार्या पूज्यंते, तत्र रमंते देवता", जहाँ स्त्री पूजनीय हो और उसकी पूजा की जाये वहीं देवता रमण करते हैं। वही स्त्री पूजनीय होती है जो अत्यंत प्रेममयी हो, जिस औरत में प्रेम का सागर बसा हो, उसी को लोग पूजते हैं, हमारे यहाँ स्त्री को शक्ति माना जाता है। 🌹
"मनुष्य एक भ्रान्ति में घूम रहा है"
जन्म दिवस पूजा
20 मार्च 1995
दिल्ली
15 сен 2024