प्राकृतिक व्यवस्थाके स्वरूप का विश्लेषण है" जैन दर्शन"। जो सर्वज्ञ ने जाना देखा और सभी प्राणी मात्र के हित केलिए समवशरण में सौइंद्रोंके उपस्थिति में प्रस्तुत किया।जिसे हमें श्रद्धा पूर्वक स्वयंके हित के लिए स्वीकार करना चाहिए । विपिन जी की प्रवचन शैली का क्या कहना? बस अप्रतिम है । समय निकालकर अवश्य सुनना और निर्णय करना। 😊