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12 Mahadev Temples With Krishna Manjhi || Shri Achleshwar Mahadev Temple Gwalior 

ITSAFARNAMA27
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12 Mahadev Temples With Krishna Manjhi || Shri Achleshwar Mahadev Temple Gwalior
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अचलेश्वर महादेव का मंदिर सड़क के बीच में बना हुआ है। जब सिंधिया राजवंश ने ग्वालियर पर कब्जा जमाया तब राजाओं की शाही सवारी इस रास्ते से निकलने लगी। लिहाजा तत्कालीन राजा ने इस मंदिर को दूसरी जगह स्थापित करने के मकसद से शिवलिंग (Shivling) खुदवाया, लेकिन उसका छोर नहीं मिला।
300 साल प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर: इस मंदिर की शिवलिंग को सिंधिया राजवंश से लेकर अंग्रेज तक नहीं हटा सके, अचलनाथ करते हैं मनोकामनाएं पूरी
सैंकड़ों साल पुराने इस शिव मंदिर (Shiv Mandir) के नाम के पीछे भी एक प्राचीन गौरवशाली कहानी है। अचलेश्वर महादेव का मंदिर सड़क के बीच में बना हुआ है। जब सिंधिया राजवंश ने ग्वालियर पर कब्जा जमाया तब राजाओं की शाही सवारी इस रास्ते से निकलने लगी। लिहाजा तत्कालीन राजा ने इस मंदिर को दूसरी जगह स्थापित करने के मकसद से शिवलिंग (Shivling) खुदवाया, लेकिन उसका
आखिर में राजाओं ने लोहे के जंजीरें बांधकर शिवलिंग को हाथियों से खिंचवाया। शिवलिंग हिला तक नहीं पाए। आखिर में शिवजी ने सिंधिया राजा को सपना देकर कहा कि मैं अचल हूं मुझे हटाने की कोशिश मत करो, जिसके बाद सिंधिया राजवंश ने यहां एक भव्य मंदिर बनवाया और इस शिवलिंग का नामकरण अचलनाथ या “अचलेश्वर महादेव के रूप में हुआ”।
750 साल पुराना है शिवलिंग
अचलेश्वर महादेव के बारे में कहा जाता है कि ये स्वयंम्भू शिवलिंग हैं। करीब 750 साल पहले ये स्वयं प्रकट हुआ था। बाद में यहां छोटा सा मंदिर बना दिया गया था। ग्वालियर पर कब्जा करने के बाद सिंधिया राजवंश ने अठारवीं सदी में ग्वालियर को राजधानी (Capital) बनाया। सिंधिया राजवंश ने राजकाज चलाने के लिए उस दौर में महाराजबाड़ा बनवाया। इसके साथ ही किले के नीचे जयविलास महल (Jai Vilas Palace) बनाया था।
महाराजबाड़ा से जयविलास महल तक जाने वाले रास्ते में पेड़ के नीचे ये शिवजी का मंदिर था। सिंधिया राजवंश के राजाओं की सवारी इसी रास्ते से निकलती थी। रास्ते में बने छोटे से मंदिर को तत्कालीन राजा ने इसे हटाने के लिए कहा। जब राजा ने शिवलिंग को हटाने की कोशिश की तो ये शिवलिंग हिला तक नहीं। बाद इसे खोदने की कोशिश हुई, लेकिन गहराई तक शिवलिंग निकलता चला गया। आखिर में राजा ने हाथियों से जंजीरें बांधकर शिवलिंग को उखाड़ना चाहा, लेकिन हाथियों ने भी जोर लगा लगा कर जबाव दे दिया। जंजीरें टूट गई तो आखिर में थक हारकर सिंधिया के सेनापति भी महल लौट गए।
इसी रात सिंधिया राजा को शिव जी ने सपना दिया। जिसमें शिवजी ने प्रकट होकर कहा कि मैं अचल हूं यहां से मुझे हटाने की कोशिश मत करो। दूसरे दिन राजा ने अपने खास लोगों को वाकया सुनाया। फिर अगले दिन राजा ने कारीगर बुलवाए और फिर रास्ते पर स्थित इस मंदिर को भव्य बनवाया और इस शिवलिंग को अचलनाथ के नाम से पूजना शुरू किया। इस तरह ये शिव मंदिर अचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
अचलेश्वर महादेव की आस्था अटूट
अचलेश्वर महादेव के अचल और अटल होने के चलते भक्तों की आस्था भी अटूट है। जो भक्त बाबा अचलनाथ के दरबार में आस्था के साथ मन्नत मांगता है, अपनी आस्था और भक्ति पर अटल रहता है बाबा अचलनाथ उन भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। भक्त भी कहते हैं कि अचलनाथ को राजा महाराजा या अंग्रेज हिला नहीं पाए थे। कई भक्त तो ऐसे हैं जो ग्वालियर से बाहर चले गए, लेकिन बाबा की भक्ति के चलते वापस अचलनाथ की नगरी में लौट आए।
कहते है कि अगर भक्त अपनी भक्ति पर अटल है, तो अचलनाथ भी उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यही वजह है कि दूर-दूर से लोग अचलनाथ के दरबार मे आते हैं। खासकर सावन महीने (Sawan) के साथ ही शिवरात्रि (Shivratri) पर भक्तों का सैलाब दर्शन के लिए उमड़ता है।

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20 авг 2024

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Комментарии : 10   
@nishantff185
@nishantff185 Месяц назад
@krishna_manjhi
@krishna_manjhi Месяц назад
🌷🧿🌷
@nehayadav-cx5jr
@nehayadav-cx5jr Месяц назад
Har har Mahadev 🙏
@krishna_manjhi
@krishna_manjhi Месяц назад
Harhar mahadev ji
@divyarao5028
@divyarao5028 Месяц назад
Har har Shambhu 🙏😊 har har mahadev
@krishna_manjhi
@krishna_manjhi Месяц назад
Har Har Mahadev🙏
@dollkush2248
@dollkush2248 Месяц назад
Har har mahadev 🙌🏼🙏🏽
@krishna_manjhi
@krishna_manjhi Месяц назад
Sukriya Mahadev ji Ko Ek Najar Dekhne Ke liye🌷
@swati0751
@swati0751 Месяц назад
Gwalior elevated road
@krishna_manjhi
@krishna_manjhi Месяц назад
is manth ke bad paka
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