सटीक बिश्लेषण ईश्वर की उत्पत्ति बेईमानों ने बुद्धि का शौषण कर मानसिक गुलाम बना कर राज् करने के लिये किया है ।इसलिए शिक्षा व सम्पत्ति व सम्मान से वँचित कर रखा था ।जयभीम नमौबुद्धाय जयबिज्ञान जयसम्बिधान ।
Sir aapne hamare ander sare andhaviswas,atma, parmatma,iswar ke nahi hone ka proof sabhit kar diye,jai Gautam Buddha,jai vigyan 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👍👍💙💙💙💙💙💙🚀🚀🚀🚀🚀🔭🔭🔭
You say God is Everywhere so God and soul Riletion is Deep if you Understand so you self your God so ✝️ God bless you son sorry dear ✝️ jai bhim Namo Buddhay 🔥
CAUSE AND EFFECT RELATIONSHIP: OR 'PRATITYASAMUTPAAD' IF THIS EXISTS, THAT ALSO EXISTS. IF THIS BEGINS, THAT ALSO BEGINS. IF THIS IS NOT, THAT WON'T BORN. IF THIS CEASES, THAT ALSO CEASES. IT'S THE TIMELESS LAW OF BUDDHA❤🙏💙🌷 IN LIGHT OE CAUSE AND EFFECT RELATIONSHIP THERE IS NO GOD. IF THERE IS NO GOD, THEN WHAT'S THERE? THERE IS NATURE🌿🍃 OR KUDRAT OR NISARGA. BUT TRAGEDY IS THAT NATURE IS IN NEUTRAL GENDER. NATURE IS IN 'IT' OR NEUTRAL GENDER. UNIVERSALLY THERE ARE 3 GENDERS. HE, SHE AND IT. HE AND SHE ARE LIVE GENDERS. 'IT'.. IS NEUTRAL GENDER ie STONE, METAL, WOOD. GOD IS NEUTRAL GENDER. ie GOD = STONE🗿. MAANO TO GANGA MAA HO, NA MAANO TO BAHATA PANI. I OPT "NA MAANO TO BAHATA PANI'❤🙏💙🌷. SMALL MIND BELIEVES IN LUCK, GOD, FORTUNE. STRONG MIND BELIEVES IN CAUSE AND EFFECT RELATIONSHIP. :EMERSON. EXCELLENT CRITICAL ANALYSIS OF CAUSE AND EFFECT RELATIONSHIP / 'PATITYASAMUTPAAD' IT'S SO SCIENTIFIC❤🌷💙🙏.
Insan is dharti ke sabse sunder phul hote hai jo apni Gyan me kabhi murjhate nahi, lekin koi apni Gyan se janta nahi. Hamsab sarir ko hi dekhte hai aur sarir se hi apne sabhi kaamo ko kerte hai isliye ham apne ko sarir maan lete hai aur sarir ke sath hi mer jate hai, jabki hamlogo ke sarir ko jo jivite apni saanso ko leker adrisya rup se rahte hai wahi hamsab real me hote hai, jab kisi ki sarir ki death hoti hai to sarir waisa ke waisa hi dharti per dikhaee deta hai lekin uski saanse sirf nahi dikhaee deti hai, hamsab real me adrisya hi hote hai lekin apni apni sarir se dhake hote hai jis karan rup me dikhaee dete hai, wah adrisya shakti sabhi insano me hoti hai, tumsab jis sarir ko leker alag alag dharm aur alag alag god ko kisi naam se jaante ho wah sarir to sabka bina hatya kiye hi samay ke anusar samapt ho jata hai to tumsab dharm ke naam per sadiyo se kyo kisi ki hatya kerte aaye ho aur aaj bhi kerte ho, tumsab dharti per enjoy apni dono rupo me kerne ke liye janam lete ho lekin tumsab enjoy kerne me apne ko is kader bhul jate ho ki apne real rup ko bhi bhul jate ho jis karan sarir ke sath hi apne ko bhi mera maan lete ho jis karan sabki death agyan me hi ho jati hai, tumsab gyani bano aur apne gyan se apne apne dharmo ki god ko ya us benam Satya ko apne rup me dekh lo jise dekhne ke baad hamsab apni apni Gyan se mirtue naamak bimari se dur hoker apni jeevan se parichay ker le, is dharti se alag na koi swarg hai aur na hi koi nerak hai, tumsab jab apne ko apni real rup se jode lete ho to teri death Gyan se nahi hoti hai jise tum swarg kah lo, aur jo sarir se hi apne ko jodker dekhta hai, to sarir ke sath apni bhi death hona maanker khud bhi mer jata hai, ise tum nerak kah lo, tumlogo ko swarg aur nerak ke naam per sadiyo se tumlogo ki dimag me yah baat dali gayee hai ki tumsab use sach maan liye ho, tumsab apni dimag se socho ki jab sabhi rupo me wah ek hi benam shakti hoti hai to us shakti ko tum kaise apni apni dimag se swarg aur narak me bhej sakte ho, kya tumsabo ke rup me rahne wala tera god narak me bhi ja sakte hai, tumsab apne rup ko na pahchan pane ke karan hi is dharti per hamesa jivite nahi rahte, jabki tumsab kabhi merte hi nahi keval apni apni agyan se apne rup ko badal lete ho jise tumsab mirtue kahte ho, mere pass sab aawo aur free of cost apne Satya rup ko apni sirf ek chhoti si Gyan se samajh lo aur apne apne rupo me sabse pyar kero , tum na kisi ki sarir ki hatya kero na koi tere sarir ki hatya kere kyoki tumsab yah kaam sadiyo se kerte aaye ho, tumsab ek ho aur kabhi nahi merte ho kyoki tumsab hi apne apne rupo me us benam god se jude hote ho. Insan apni Gyan se hi sansar ko dekhta hai aur wahi insan Gyan se hi apni Satya rup ko pahchanker apne false death ko bhi jaan leta hai aur apni merji se sansar me khusi purvak enjoy ko kerte huay apni jindgi ko amar bana sakta hai, yah duniya sirf Gyan per hi jivite rahti hai, ise sab aaker mere pass samajho.
य भिडियो लम्बे हो गया, छोते करते दिजीय। मन का नियम कर्म और दिव्य शक्ति नियम बिलकुल फरक बिषय है। प्रतित्यसमुत्पाद अर्थ हे कार्य धर्म कारण धर्म । श्रोतापन्ना का अर्थ मार्ग फल का ग्याँन।
मे ये बात समझने काेशिष करता हु कि अाद्मि लाेक क्या समझ्ते हे ईश्वर है कि या नाहि । ब्यबहारिक मे फाईदा नमिलाेताे या नहि देखा ताे ये मुर्तिय साबित ईश्वर नाहि हे क्युकि मुर्ति ने कुच भि नाहि देता है ताे ये झुट साबित हाे जाता है या कुच देता है ताे ईश्वर भगवान साेचता है । मे बताहु कि राजा अाखाे से देख्न त कुच भि नाहि मिलेगा राजा से फाईदा लेनाका लिये कुच पढालेखा जागिर नाेकर सेवाक हुन चाहिये या काेहि मन्त्रि नेता हाेना चाहिये बिना काम बिना अर्थ मे राजाकाे दर्शन किया कुच भि नमिलेगा राजा से फल लिन के लिये कर्म करनाहि चाहिये अाेभि कुच समय लागजैगा । अाज दुनिया ऐसा साेचता है कुच फाईदा नाहि मिला यस्काे एन्सर बनगाया भगावान ईश्वर कुच भि नाहि हे प्रक्तुयसमुत्पादन् का बात बडाया प्राकृतिदेन अाफना से चल्ता फिर्ता है यहा कुच ईश्वर भगवान नाहि हे अन्दर सब खाली है कुच नाहि ये अबैग्यानिक बात है । अरे भगवान क्या है असल भगवानका रुप जान्न तुच्छ मानवकाे प्राकृति छ्येमाेता नाहि पहुचुगे यत्ना अधिकार भि नाहि है पुरे भगवानकाे बात जान्न काेशिष मतकिजेगा चाहि हे अँधाे ने क्या हात्ति देख्ता है उसिसे रुप बुध्द दर्शन लेखागया है । बुध्द सब जान्ते हे लेकिन अात्म परमात्मा भगवान नाहि जान्ता है । मुझे से बर्साै ये अनात्मका बात किजिये सम्भव नाहि हाेते है जाे माँस खाते हे अाे लाेक भगवानका बात मत किजिये काेहि जान्नेका अधिकार नाहि हे । मे प्रश्न है जब अात्म नाहि हाेता है फेर जन्मनेका अात्म प्राण काहा से अाते हे मालुम है पहेँले बुध्द भगवान ने कन्या सुजाता से अात्म ग्यान लेलिया तबि बुध्दकाे दिब्य चच्छु ज्याेति प्रकाश स्वयम् बुदने देखा अभि बुध्द शिस्या काैन ज्याेतिकाे दर्शन करता है बुध्द माँस नाहि खातेथे अाज बुध्द मान्नेवला सब माँस खाते है माँस खाता है ताे क्या देखेगा सब अन्धकार खाली देख्ता है इसिलिये बुध्द दर्शन उल्टा बनादिया यिसिलिये अनात्मबाद का बात करता है यदि भगवान नाहि किस्काे लिये मान्न चाहाते है । अभि अाज भगवान बुध्दकाेे दर्शन सब ताेडदिया नया बुध्द अनुयायि चेला लाेक नया दर्शन अबुध्द दर्शन शुरु किया गया है । बाकि बात मे लेना देना कमेन्ट करुङ्गा । घुस्सा मत किजिये अाफका परिछण हाे रह है ।
सत्य का दर्शन करना है तो प्रभु यीशु के बारे में जाने। इस जगत में केवल प्रभु यीशु ने ही कहा है कि सत्य मै हीं हूं(यूहन्ना १४:६पबित्र शास्त्र बाईबल) प्रभु यीशु ने कभी झूठ नहीं बोला जो उन्होंने कहा वह हो गया और हो रहा है और होने वाला है(सत्यमेव जयते)
भगवान होता तो उसका स्वरूप एकही होता. अलग अलग धर्म घरतीपर ना होते. एकही धर्ममेंभी झगडे है, शिया - सुन्नी , विष्णू भक्त और शंकर भक्त के झगडे इतिहास में मशहूर है. इन्सान को आपसमें लडाने वाला भगवान ही है.
वैसे इस दुनिया मे जो चीजो या फिर जीवों के साथ जो कुछ घटित हो रहा है वह सब कुछ एक भ्रम है, कोई भी घटने वाली घटना या किसी चीज का अस्तित्व पर्मनन्ट नही है , इस का मतलब यह सारी घटनाए या फिर किसी का अस्तित्व जैसे इन्सान या फिर ईश्वर ही क्यो न हो यह एक सायन्टीफिक घटना है जो कुछ देर बाद नष्ट होनेवाली है या फिर ट्रान्स्फर होनेवाली है इस का मतलब हर किसी भी घटना का कोई अस्तित्व नही है। इस का मतलब ईश्वर का भी इस दुनिया मे कोई अस्तित्व नही है , इस दुनिया मे घटनेवाली हर एक घटना सायन्टीफिक बेसड् एक फॅ।र्मुला है , फॅ।र्मुला डिस्टर्ब होते ही उस चीज का ट्रान्स्फॅ।र्मेशन हो जाता है ! इस के लिए किसी आत्मा की या फिर उसे जिन्दा रखने के लिए ईश्वर या फिर किसी भगवान की आवश्यकता नही है।
लेकिन किसी में भूत-प्रेत आते है तो ये क्या है आत्मा को मैने अपने शरीर मे देखा है महसूस किया है निकलते।जो मेरी नही थी।बल्कि मै इन चीजो पर विश्वास नही करता हू।
Arjun ne zameen main teer marke pani prakat kiya . fhatiste ne arab ke desert main marke zamzam kuwa banaya . Nahi toh Arab ke desert main pani ka well kaha se ata aur uska. Pani khatam hi nahi ho raha hai .
अाफ्लाेक सबिका प्रश्न बिचारका लिये धन्यवाद देते हु मे बुध्द भगवानकाे मे जय जय मान्ते हु बहुत कष्ट परिछण किया कि बुध्द बनगया सफल हाेगिया । जैसा बुध्द का असलि रुप अाज नाहि है जाे भि कम्पनि पहेँले उत्पादन हाेता है अर्जुनियल हाेता है फेर मेन् मालिक मरजैगा ताे कम्पनिका पिछिले उत्पादन् डुब्लिकेट हाे सक्ता है ऐसा हि जाे भि धर्म दर्शन ऐसा हाे रहा है अाधा महान पुरुषका बचन अाधा चेला अनुयायिका बचन मिलाके जाे भि डुब्लिकेट दर्शन बन जैगा इसलिये ५०% सत्य हाे सक्ता है अाज दुनिय धरम सस्था ऐसा हाेरहा है । मे एकि बात कहुँगा मे भि साधरण कृषक हु इश्वरका परिछण ध्यान साधन मे लगाता हु मेरा मालुम है सारा प्रकाशका टेलिष्कप मे के्न्द्रित करना से तेज प्रकाश हाेता अाैर अाग जलेगा है एसा मनका एकाग्र केन्द्रित करना से विन्दु बनजाता है उहा अात्म ज्याेति प्रकाश देख सक्ते है उहि अात्मका जान्न अानन्द लेना है भगवान कुच भि रुप अाकर अजन नाहि हाेता है अात्म जिराे जिराे हाेता है जित्ना चमकवाल अात्म हाेता है उस्का जन्म नाहि हाेता है उ अक्सिजन छाेड्दिया मात्र हाइट्राेजन रुपमे बनगया ऐसा अात्म अक्सिजन हावाका घेरा बाहार जा सक्ते है उ हाइट्राेजन हावा मे अात्म मिलगया है उसिका कबि जन्म नाहि हाेता है जाे हावाअक्सिजन अन्दर अात्म रहेते है उसिका बिबिद प्राणिमे जन्म चक्कर लगाते रहता है इस लिये ज्याेतिका ध्यानका लाभ ये है विश्व ब्रमाण्ड मे शक्तिका रुप मे सदा अटल रहना है । मे बताउगा भगवानका अर्थ है अात्मज्याेति प्रकाश है अाैर अग्यानका रुप काला अँन्धेरा रात है जाे अन्धेरा मे रहेते है उसिका पलपल जन्म हाेति रहेते है अात्म हाेता है काेहि अात्म बिना किसिका जन्म नाहि हाेता है नहि ताे जन्म हाेता है ताे कहा से प्राण अात्म पुन मिलगया । असलि भगवानकाे अर्थ ये है ( प्रकृति नियाम ) इतना हि हे भगवानका अर्थ भगवानका काेहि रुप अाकर अजन काेहि नहि हाेता है । जाे समज्जैगा अाे ग्यान है जाे देख्ता है अाे ज्याेति अात्म बिकसितरुप है जाे प्रकृति नियाम जान्ते है अाे सहि मार्ग है जाे बिपरित नियाम करता है अाे पाप है अाे दुर्घटना जरुर अशान्ति हाेता है जाे प्राकृति नियाम जान्त है अाे सहि मार्ग से भावसागरकाे पार करलेगा है अात्म कभि नाश नाहि हाेता है ये ब्रमण्डका नाश हाेता है तबि अात्म रहेगा फेर लेखुँगा अाज इतना जै बुध्द जै जयजयजय ।
Yah duniya jab bhi tumsabo ke rup me dikhti hai, Sachi hoti hai, kyoki sabhi rupo me ek hi god rahte Hain. Sabhi rupo me we apni merji se jabtak unka mind kerta hai, rahte hai aur jab unka mind kerta hai, is rup yani sarir ko chhor dete hai, jise tumsab apni mirtue ka hona samajh let ho, aur mar jate ho. Yah duniya us benam god ke hone ke Karan jivite hamesa hoti hai, kyoki unki death kabhi nahi hoti hai. Tumsab apne rup ko apna maan lete ho, jis Karan tumsab god se alag hoker apni hi Gyan me merte ho, jabki tumsab aajtak kabhi mere hi nahi. Tumsab is dharti per janam leker sochte ho ki,, kabhi bhi tumsabo ko sarir ko chhorna nahi hai, hamesa sarir me jivite rahna hai, isliae tumsab Saadi kerte ho, ladka, ladki ko janam dete ho, khub Paisa jama kerte ho, Mahal banate ho, alag alag dharm banate ho, alag alag god ko bhi bana lete ho. Tumsab roj dekhte ho ki yah sarir kabhi bhi chhut sakta hai. Jab tumsabo ko is dharti per rahna hi nahi hai, to kyo tumsab Saadi, bibah kerte ho, kyo santan ko janam dete ho, kyo Paisa jama kerte ho, kyo mandir - masjid banate ho. Kyo aapas me dharm aur good ke naam per ladte ho. Tumsab jab is dharti per akele janam lete ho, aur akele hi is sarir ko chhorker chale jate ho, to kyo jhuthi duniya ko Saadi bibah kerke badate ho. Tumsab isliye marte ho, kyoki tumsab apne rup me, god ko marte samay Tak, nahi pahchan pate ho. Yaha sabhi rup god ka hi hota hai. Tumsab apne ko kabhi bhi apni Gyan se nahi pahchante ho, ki tumsab hi god ho. Is dharti per tumsab apni behosi me hi Saadi -bibah kerte ho aur behosi me hi budhe hoker mar bhi jate ho. Tumsab Saadi kero, santan ko janam do, lekin Paisa utana hi apne pass rakho, jis se tumsabo ke parivar ka bhojan, kapada aur chhota sa makan ban sake. Jab sabkuchh chhorker tumsabo ko is dharti se Jana hi hai to kyo, tumsab Hindi, Muslim, Sikh, Catholic banker aapas me ladte ho. Tumsab mere pass aawo aur sab god banker apni mirtue ke paar Chalo. Jabtak tumsab khud god nahi banoge, tabtak is sarir se us sarir ko prapt kerte hi rahoge. Jab tumsab god ban jawoge, apni sarir ko apni merji se chhorne lagoge aur dubara kisi dusre sarir me, tumsabo ka janam nahi hoga. Tumsab mere pass aaker god bano aur Amar bano, jaha kisi bhi insan ki death uski Gyan me kabhi nahi hogi, aur na hi uska janam dubara hoga. Is dharti per sabne Saadi - bibah ki, isliye tumsab bhi Saadi - bibah kerte ho, kero, lekin in sab ko karte huay kabhi to apne bare me socho ki, yah sab rista jhutha hai, kyoki hamsabo ka sarir hi jhutha hai, kyoki isko ek din sabko chhorna hai, lekin hamsab sachhe hain, kyoki hamsab sarir ke bad bhi hote hain. Yah duniya ek natak mandali ke atirikt kuchh bhi nahi hai, jisme ek hi god sabhi rupo me natak kerte hai. Tumsab apne ko pahchano aur merne ke pahle apni Gyan se sabkuchh ko jhutha samajhker, us Kendra yani us Bindu se Milo, jis point se Mil lene ke bad tumsab apni mirtue ko Jeet let ho. Mere pass sab aawo jaha Mai sabhi insano ko apni Gyan se god banaker Amar ker dunga.
Buddha was an empiricist .He realized that suffering was an empirical problem and could be mitigated only through empirical treatment.The 4 noble truths and 8 fold path are are not a high intellectual outcome.Any matured person knows it.But coming face to face with Undefined,Unseen ,Undetermined etc. is not anyone's cup of tea.Take away Atman from SBG and it is all mahayan philosophy.
Tumsab hi purn permatma hote ho, tumsabo ke alawa na koi dusra permatma hote hain, na koi dusra god hote hain, kyoki god hi sabhi rupo me janam lete hain, aur god hi sabhi rupo me, is dharti per, sabhi kamo ko kerte hai, jabtak god ko mind kerta hai, is sarir me rahte hai, aur jab unka mind kerta hai, is sarir ko chhorte hai, jise tumsab apni jeevan aur apni mirtue ka hona manker jeete aur marte rahte ho. Jub tumsab is dharti per, balak ke rup ko leker, janam let ho, us samay sudh budh god hi hote ho. Is dharti per ke log, tujhe naam aur sanskar rupi Gyan dete hai, unlogo ke pass, Jo bhi suni sunaee Gyan, dusro se sikha hua hota hai, tumsabo ko bhi dete hai. Koi tujhe Hindu bana deta hai, koi tujhe Muslim bana deta hai, koi tujhe Catholic, to koi tujhe Jain, to koi tujhe boudh, to koi tujhe etc dharmo ka bana deta hai. Koi tujhe ram ko god maan lene ko kahta hai, koi tujhe Mohammad ko god maan lene ko kahta hai, koi tujhe Jesus ko god maan lene ko kahta hai, koi tujhe aakar me god hone ko kahta hai, koi tujhe nirakar me god ko hone ka kahta hai, aur tumsab sabki bato ko maan lete ho. Tumsabo se , koi yah nahi kahta ki tumsab khud god hi ho. Koi tujhe ram ki Katha sunata hai, koi tujhe Krishna ki, to koi tujhe Mohammad ki, to koi tujhe shanker ki, to koi tujhe Durga, laxami, sarswati, kalli, etc ki, to koi tujhe Jesus ki Katha sunata rahta hai, aur tumsab apni Puri life ko, in sabhi kathao ko sunte huay bita dete ho, aur god hoker bhi , Bina god ko Jane, Bina god ko pahchane hi mar jate ho. Tumsabo ko jitne bhi god ke bare me bataya jata hai, tumsabo ki dharmik grantho se ya tumsabo ke dharm guruo ke satsang se, we sabhi insan god the, aur aaj bhi we god Hain, lekin tujhe dikhaee nahi dete hai. Jab we sab insan, is dharti per tumlogo jaisa hi balak ke rup me janam leker, apni hi Gyan se god ban gay, to tumsab bhi to, balak ke rup me hi janam liye ho, to kyo nahi apni Gyan se god ban jate ho. Tumsabo ke pass apni Gyan, ek bhi nahi hoti hai, tumsabo ka sabhi Gyan, dusre insano se liya gaya ,aur udhar ka Gyan hota hai. Tumsabo ke pass ager ek bhi apna Gyan hota, to kabhi bhi is dharti per itane god aur itane dharm nahi ban sakte the. Kyoki tumsab, apni hi Gyan se, apne god ko apne rup me dekh lete, god ko Jan lene ke liye hi tumsab, sadiyo se granth likhte ho, mandir, masjid, charch, gurudwara banate ho, kisi guru ke pass jaker satsang sunte ho, fir bhi god ko nahi dekh pate ho, na Jan pate ho, aur mar bhi jate ho. Jabki tumsab hi apne apne rup me god hi hote ho.Mai is dharti per kisi ko sadguru nahi manta hu, kyoki koi bhi guru ke satsang me, mujhe yah Katha kabhi nahi sunaee deta hai, ki dekho aur suno, hamsab hi god hai. Sadguru use Mai kahta hu, Jo apni Gyan ki Katha se, god ko, tumsabo ke rup me, dikha de. Ki dekho tumsab aise aise god hi hote ho .Ram, Mohammad, Jesus ki Katha to tumsab , apni dharmik grantho ko bhi padhker samajh sakte ho, jiski Katha ko tumsabo ke guru, satsang ke madhyam se Kahte hai, aur tumsab unko hi guru manker, unki Katha ko sunker bar bar , god hoker bhi, Bina god ko Jane hi merte ho. Tumsab mere pass aawo, aur apni Gyan se, apne god ko, apne rup me dekhker, is mirtue namak mahamari se sab mukt ho jawo. Is dharti per, Jo sabse amir yani rich man hoga, ager wah marana na chahta hoga, to mai use, usi ke Gyan se, use god banaker, uski mirtue namak bimari se mukti dila dunga. Mai bhi chahta hu, ki Mai us insan ko god banaker Amar karu, Jo is duniya ka sabse rich man apna ko janta hoga, uske bad Mai sabhi insano ko god banaker , uski mirtue se chutkara dilaunga. Tumsab kabhi bhi mar sakte ho. Marne se pahle, sab mere pass aaker,apni god ko apne rup me dekhker Amar ban jawo, jaha tumsab apni merji se is sarir ko chhoroge, kyoki death yaha kisi ki nahi hoti hai, fir bhi sabki sarir ki death hoti hai. Tumsab sarir ke sath bhi god hi hote ho, aur is sarir ko chhorne ke bad bhi god hi hote ho. Yaha koi dusra hota hi nahi hai, is duniya me sabhi rup god ka hi hota hai, tumsab agyani ho, jis Karan apne rup me god ka hona swekar nahi kerte ho.