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28वीं पुण्यतिथि पर विशेष: श्मशान यात्रा को तमाशा क्यों मानते थे राज कुमार ? RAJ KUMAR 

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28 वीं पुण्यतिथि पर विशेष: राज कुमार (RAJ KUMAR )फिल्म उद्योग में श्मशान यात्रा को तमाशा क्यों मानते थे RAJ KUMAR
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राज कुमार की 28 वीं पुण्यतिथि (तीन जुलाई 2024 ) पर विशेष: मशहूर फिल्मकार मेहुल कुमार की से हुई बातचीत पर आधारितः
बॉलीवुड में अपने अंदाज और अपनी शर्तों पर सदा काम करते हुए एक अलग तरह की धाक रखने वाले अभिनेता राज कुमार आज हमारे बीच नही है.राज कुमार,जिनका असली नाम ‘कुलभूषण पंडित’ था,का जन्म 8 अक्टूबर 1926 को ब्रिटिश भारत के बलूचिस्तान प्रांत (अब पाकिस्तान में) के लोरलाई में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था.1940 के दशक के अंत में वह बंबई(अब ‘मंुबई’ ) चले आए थे,जहां वह ‘बंबई पुलिस’ के अधीन उप -निरीक्षक बन गए.1960 के दशक में, उन्होंने एक एंग्लो-इंडियन जेनिफर पंडित से शादी की, जिनसे उनकी मुलाकात एक फ्लाइट में हुई थी जहाँ वह एक एयर होस्टेस थीं.बाद में उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपना नाम बदलकर गायत्री कुमार रख लिया.राज कुमार ने बतौर अभिनेता 1952 में बॉलीवुड मे कदम रखा था.अपने चार दशकों से अधिक लंबे करियर में, उन्होंने 70 फिल्मों में अभिनय किया और उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है.उन्हें 1957 में मेहबूब खान की आल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘मदर इंडिया’ से सफलता मिली थी.1959 में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला के साथ फिल्म ‘पैगाम’ में अभिनय कर सफलता का नया रिकार्ड रचा था.राज कुमार ने नए दशक की शुरुआत किशोर साहू की रोमांटिक फिल्म ‘‘दिल अपना और प्रीत पराई’’ से की थी,जिसका लता मंगेशकर द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘‘अजीब दास्तां है ये..’’चार्टबस्टर बन गया.उसके बाद ‘घराना’,मीना कुमारी के साथ‘दिल एक मंदिर’,‘फूल बने अंगारे’,‘जिंदगी’, ‘वक्त’,‘काजल’,‘उंचे लोग’,‘हमराज’, 'नील कमल’,‘हीर रांझा’,‘मर्यादा’, 'कर्मयोगी’,‘बुलंदी’ सहित कई सफलतम फिल्में की.
राज कुमार के करियर का दुखदाई पहलू यह रहा कि सत्तर का दशक उनके करियर बहुत खराब रहा.राज कुमार ने एक दशक के बाद मेहुल कुमार निर्देशित फिल्म ‘‘मरते दम तक’’ से जबरदस्त वापसी की थी.उसके बाद राज कुमार ने मेहुल कुमार के निर्देशन में ‘जंगबाज’ और ‘तिरंगा’ फिल्में की थी.राज कुमार ने सुभाष घई के निर्देशन में दिलीप कुमार के साथ दूसरी फिल्म ‘सौदागर’ भी की थी.69 वर्ष की आयु में 3 जुलाई 1996 को राज कुमार का दुःखद निधन हुआ था.लेकिन अंतिम समय तक उनकी अपनी एक धाक बनी रही.राज कुमार एकमात्र ऐसे कलाकार थे,जो सेट पर अपने परिवार को नही ले जाते थे.इतना ही नही मरने से पहले उन्होने अपने परिवार के सदस्यो को खास हिदायत दी थी कि उनका अंतिम संस्कार पारिवारिक सदस्यों के बीच खामोशी के साथ किया जाए,फिल्म इंडस्ट्ी में किसी को भी खबर न की जाए. क्योंकि उनका मानना था कि ‘‘फिल्म उद्योग में श्मशान मषान यात्रा महज एक तमाशा है.’’ राज कुमार के निर्देश पर ,राज कुमार द्वारा पहले से बताए गए फिल्म इंडस्ट्ी के उनके कुछ करीबियांे को राज कुमार की पत्नी ने दूसरे दिन राज कुमार के निधन की खबर दी थी,इनमें से एक फिल्मकार मेहुल कुमार भी थे.
बॉलीवुड में मेहुल कुमार एकमात्र फिल्म निर्देशक हैं,जिनके साथ राज कुमार ने तीन फिल्में की.इसी वजह से ‘‘फिल्मी संगम’’ चैनल ने राज कुमार की 28वीं पुण्यतिथि के अवसर पर मेहुल कुमार से खास बातचीत की...
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4 окт 2024

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Комментарии : 3   
@shivalitripathi9563
@shivalitripathi9563 3 месяца назад
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@Ravi-Buley
@Ravi-Buley 3 месяца назад
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@Cookwithrenuka-e5b
@Cookwithrenuka-e5b 3 месяца назад
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