मितावली ग्राम पडावली से 3 किलो मीटर पूर्व में स्थित है. यह मंदिर मुरैना से 55 किलोमीटर और ग्वालियर से 40 किलो मीटर दूर है. यहां आप निजी वाहन से पहुंच सकते हैं. इसके साथ आप अन्य स्थान बटेसर, पड़ावली, ककनमठ देख सकते हैं. यह मंदिर मितावली गाँव की लगभग 100 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे स्थानीय लोग एकोत्तर सौ महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं, परंतु यह मंदिर 64 योगिनी नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक है.
अभिलेख से ज्ञात होता है कि इस मंदिर का निर्माण 1323 ईस्वी में महाराज देवपाल द्वारा कराया गया था. यही से महाराज कीर्तिसिहदेव, श्री हम्मीरदेव, थानसिह चौहान, पृथ्वीसिह चौहान, रायसिह आदि के अभिलेख प्राप्त हुए हैं. सम्भवतः ये स्थानीय शासक रहे होंगे. यहाँ से प्राप्त महल के अवशेष स्थानीय शासकों के प्रतीत होते हैं. एक अन्य अभिलेख से जानकारी प्राप्त होती है कि इस मंदिर को तोमर राजा वीरमदेव का संरक्षण प्राप्त था. इसी अभिलेख में उसे तेजोरत्नम् कहा गया है.
गाँव में 5 से अधिक मंदिर के अवशेष मिले हैं. पहाड़ी की तलहटी में आदमकद अपूर्ण मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जो केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालय, ग्वालियर किले में संग्रहित हैं. कुछ विद्वान इन मूर्तियों को बनावट के आधार पर कुषाण कालीन मानते हैं, इसमें से कुछ की पहचान बलराम, कार्तिकेय, यक्षिणी से की गई है, परंतु यह मूर्ति किसी स्थानीय देवता या लोक देवता की प्रतीत होती हैं. इसी पहाड़ी के समान्तर एक अन्य पहाड़ी पर 3 से अधिक मंदिरों के अवशेष दिखाई दे रहे हैं, जो स्थानीय खनन माफिया द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिए गए हैं. मंदिर के पास गाँव से अपूर्ण आदमकद नंदी, हाथी, जैन प्रतिमा खुले मे पड़ी हुई हैं.
यह मंदिर गोलाकार है और इसका निर्माण ऊंचे मंच पर किया गया है. मंदिर के मध्य में एक गोलाकार गर्भगृह और उसके आगे स्तम्भों पर आधारित गोलाकार मंडप का निर्माण किया गया है. मंदिर का मुख पूर्व की ओर है एवं मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर के 170 फीट व्यास के घेरे में अंदर की ओर 64 कक्ष बने हुए हैं. इन 64 कक्षों के आगे स्तंभों पर आधारित मंडपों का निर्माण किया गया है. इन 64 कक्षों की शृंखला में 51 शिवलिंग प्राप्त हुए हैं, शेष कक्ष खाली हैं. मंदिर के विभिन्न हिस्सों पर शिव परिवार, विष्णु, नवग्रह, गंगा यमुना आदि को उकेरा गया है. गोलाकार मंदिर के सामने एक मंडपिका प्रकार का मंदिर है.
इस मंदिर के संबंध में कुछ यूट्यूबरों और फर्जी इतिहासकारों ने झूठ और भ्रामक बाते फैला रखी है. किसी ने इसे तंत्र विद्या का केंद्र, तो कुछ इसे गणित और ज्योतिष केंद्र बताया है. कुछ ने हद पार कर इसे यूनिवर्सिटी ही बना दिया. परंतु इस संबंध में कोई प्रमाण अभी तक उपलब्ध नहीं है.
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20 сен 2024