परमात्मा से विरासत में मिली हुई आत्मा के सात जन्मजात गुण हैं । आत्मा अष्ट शक्तियाँ और सात गुणों सहित एक चैतन्य ज्योति बिंदु है ।
आत्मा के सात गुण हैं पवित्रता , शांति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति और ज्ञान । जब हम अपने आत्मिक स्वरुप में स्थित रहते हैं तब आत्मा के सातो गुणों की महक से आत्मा में एक विशेष चमक बढ़ जाती है जो प्रायः किसी भी आत्मा को अपनी तरफ चुम्बक की तरह आकर्षित कर लेती है जैसे हम हरियाली की तरफ आकर्षित होते हैं । इसलिए ही बाबा ने हमें रूप बसंत बन कर रहने का डायरेक्शन देते हैं अर्थात अपने को आत्म निश्चय कर आत्मा के सातो गुणों में रमण करना और सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को अपने प्रत्यक्ष कर्मों और गुणों से संतुष्ट कर ख़ुशी प्रदान करना । तो आइए इन गुणों का स्मरण कर उनको अपनी वृत्ति, दृष्टि व कृति में उतारें अर्थात उनके साथ जियें । २१ बार ७ गुणों के स्वमान का अभ्यास ओम ध्वनि के साथ करते हुए स्वयं में और विश्व में इन गुणों वा शक्तियों के वायब्रेशन्स फैलायें ।
On Godly Service,
BK Anil Kumar
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4 апр 2020