Our aim to create global awareness about the benifits of Agnihotra and Yoga in achieving overall wellbeing of people and protecting the environment. #arogyadev
दैनिक यज्ञ की पुस्तक ले सकते है, जिससे दैनिक यज्ञ किया जा सके, अपने निकट के आर्य समाज में साप्ताहिक यज्ञ में अवश्य जाये जिससे मंत्रो का सही उच्चारण सीख सके..
सबका भला करो भगवान सबके कष्ट मिटे भगवान सबको सन्मति दे भगवान सब सुख सच हो सब दुख झूठ धन्यवाद परमात्मा को सब देवी देवता और आत्मा ओंका र को नमो नमः सब जीवो की ओर से जारी
@@priyankaaprakashpawaar5352 Agnihotra must be performed in one peace of copper pot, shouldn't have any joints, holding rings and holes. And should have a specific size. Agnihotra should be performed at sharp Sunrise and Sunset Local Timings. Offering should be given in fire of dried Cow Dung. Offering must be of unbroken raw rice mixed with few drops of Cows Ghee and should offer with 2 mantras morning and 2 mantras "Sanskrith" evening that makes perfect. For more details contact Shivpuri / Guru Matth, Akkalkot, Sholapur, Maharashtra State. India.
Thanks for a good explanation. I too have been doing Agnihotra since 6 years. Its a brilliant homa and keeps one in a calm state of mind. Besides the cleanse around us of all viruses and pathogens.
आचार्य जी मैंने आपका वीडियो देखकर नित्य हवन शुरू कर दिया है आपको सादर नमस्ते मालूम होए जिला सवाई माधोपुर ग्राम मलारना चौड़ राजस्थान आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
महाशिवरात्रि के दिन 22/02/1963 को माधव स्वामी जी के द्वारा प्रथम अग्निहोत्र शुरू करवाया गया दो आहुति वाला इसके 5 नियम है पिरामिड आकर का पात्र गोवंश के कंडे गाय का घी अक्षत चावल सूर्योदय और सूर्यास्त का समय दो वेद मंत्र
क्रपया अग्नि होत्र में मंत्रो के पूर्व ॐ का उपयोग नहीं होता है ध्यान रखें अग्नि होत्र में पांच नियम का कठोरता से पालन करना होता है तभी इसका सम्पूर्ण फायदा होगा पहला नियम विशेष आकार का ताम्र अथवा मिट्टी का पात्र नम्बर दो क्रिस गौ वंश का घी और साबित चावल चौथा समय की पाबंदी याने ठीक सूर्य उदय और सूर्य अस्त और पांचवां नियम दो वेद मन्त्रों के साथ दो अहुती जो इस प्रकार है प्रातः काल के मंत्र है सूरयाय स्वाह सूरयये इदम नमम प्रजा पतयये स्वाह प्रजा पतयये इद नममं ध्यान रहे अग्नि होत्र की सही विधि में स्वाह के साथ आहुति दी जाती है याने मंत्र के बीच में अग्नि होत्र इतना सरल और सस्ता यज्ञ है उपरोक्त पांचों नियम के अतिरिक्त कोई भी नियम नहीं है समय प्रत्येक स्थान का गुगल के माध्यम से मिल जाता है मात्रआहुती दो चुटकी अक्षत चावल और एक बूंद गो वंश का धी आहुति देने के पर्याप्त है। अग्नि होत्र करने की तैयारी कैसे करें समय से पूर्व आप हवन पात्र में गो वंश के उपले इस तरह जमा लें ताकि हवा आर पार निकल सके जिससे धुआं रहित अग्नि तैयार हो अग्नि होत्र से पांच दस मिनट पुर्व अग्नि प्रज्वलित कर देना चाहिए और मानसिक रूप से तैयार हो जाना चाहिए तथा बाहें हाथ की हथेली पर दो चुटकी अक्षत चावल लेकर एक बूंद गो वंश के ली के मिलाकर आहुति के लिएं तैयार हो जाना चाहिए और जैसे ही समय हो तो मंत्र के साथ ही स्वाह बोलते हुए आहुति देते हुए जब तक जो आहूति दी गई है उसके भस्म होने तक खुली आंखों से ध्यान मुद्रा में बैठना चाहिए जिससे आपका मेटिटेशन का आनन्द मिल सके। नोट निवेदन है की आप कभी चाहे तो अग्नि होत्र के मूल जन्म स्थान माधव आश्रम सीहोर रोड बैरागढ़ भोपाल मध्य प्रदेश भारत जरूर आवे अथवा दूरभाष पर सम्पर्क कर सकते हैं।