सादर नमन गुरुजी। आज ब्राम्हणों के बारे में विस्तृत जानकारी आपने दी। इतना डिटेल में हमे भी नही पता था। हा, हमारे बुजुर्गो से ये जरूर सुना था की,,,, सारस्वत ब्राह्मण ही सब से ऊंचे, महान, ईश्वर भक्त होते है😂😂😂 जब ब्राम्हण समाज इतनी उपजातियों में बटा हुआ है, और सबका यही मानना है की, हम किसी से कम नही। तो अन्य जाति समुदायों के साथ उनका मेलजोल संभव ही नही है। वैसे,, अपवाद तो होते ही है। आपके इस ज्ञानवर्धक वीडीओ के लिए धन्यवाद। आज का दिन शुभ हो,, शुक्रिया गुरुजी🎉🎉
जी मैडम , आपने सही कहा अपवाद तो हर जगह होते हैं उसकी जीती जागती मिशाल आप स्वयं है : वैसे हर समाज में सभी लोग एक जैसे नहीं होते : ब्राह्मण जाति में भी बुद्धिवादी, मानवतावादी , आधुनिक प्रगतिशील विचारों के समर्थक ब्राह्मण बन्धु हैं किन्तु उनकी संख्या बहुत कम है : सदैव की भाँति आपके ह्रदय स्पर्शी विश्लेषण हेतु ह्रदय से आपका आभार, नमस्कार , शुभाशीष , शुभरात्रि मैडम VARSHA BHAGAT JI !
हम ब्राह्मण है हम सभी ब्राह्मणों का बहुत सम्मान करते हैं कोई भी ब्राह्मण यदि ये कहता है कि वह हमारे से श्रेष्ठ ब्राह्मण है तो हमें कोई दुःख नहीं होता बल्कि उनकी नादानी पर मुस्कराते हैं, हीरे-जवाहरात खुद बोलकर अपनी कीमत नहीं बताते। दूसरी बात ये कुछ भी मायने नहीं रखता की कोई हमें नीचा समझें या ऊंचा महत्वपूर्ण यह है कि ईश्वर हमारे बारे में क्या धारणा रखते हैं।
सप्त म्हारी सीजन 4 उनसे भी पूर्व होने वाले महर्षि सनक आदि जन 11 मा ऋषियों की संतान है ब्राह्मण सब के सब एक समान है भ्रमित मत करो पारस स्वयंभू आदि 14 मनु जिनकी संसार में यह संपूर्ण प्रजा है परमपिता परमेश्वर ने कर्मों के अनुसार ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र यह वर्ण व्यवस्था की है और कर्म प्रधान है विश्व में परमात्मा की दृष्टि में जो उत्तम है वही उत्तम है संसार से किसी मनुष्य का कोई संबंध नहीं है जो परमात्मा की दृष्टि में उत्तम है वही उत्तम है नर लॉक ही नहीं ऐसे करोड़ों करोड़ों लॉक ब्राह्मण हैं तो सब है बाकी कुछ भी नहीं है न मृत्यु लोक गंधर्व लोक असुर लोक देवलोक बैकुंठ आदि आदि सब जगह ब्राह्मण ही संचालन करते हैं यह शाश्वत सत्य है था और सदैव रहेगा जय आदि वैदिक सनातन धर्म की जय परमेश्वर की
आदरणीय जय श्री सीताराम जी । श्री रामभद्राचार्य जी ने दीक्षित ,पाठक ,द्विवेदी ,उपाध्याय ,तिवारी त्रिगुण ब्राह्मण को नीच शब्द से संबोधित किया है उनका कहना था कि इन ब्राह्मणों ने पैसा लेकर शिक्षा प्रदान की है इसलिए यह सभी नीच ब्राह्मण है । मेरा कहना है कि रामभद्राचार्य जी श्री राम कथा कहते हैं तो क्या शुल्क नहीं लेते हैं ।पाठक और तिवारी जितने भी ब्राह्मण हैं यह सभी में सम्मिलित हैं सरयू पारी कान्य कुब्ज श्रीगौड ,भार्गव ,सानढय,मराठी ,मैथली❤
Sar aapane jankariTo acchi Di Lekin is Puri vartalap mein neet jaati ka bar bar ullekh kia to main aapko batana chahta hun is Dharti per sabse niche jaati ka prani agar koi hai to vah Brahman Jo Shyam sarvshreshth manta hai
सर आपने लिखित पुस्तकों के आधार पर ब्राह्मणों के भेद बताए, आप को बहुत बहुत धन्यवाद। महोदय ब्राह्मण की उत्पत्ति और जातियों के विषय में समय और काल स्थिति और परिस्थितियों के अनुसार बनती चली गई जिससे इनकी शाखाएं भी बढ़ती चली गई। जो भी ब्राह्मण अपने को सर्वोच्च मानता है उसको भी अपनी लड़कियों की शादी कहां करेंगे ? खामखा अपने से नीचे श्रेणी में आना पड़ेगा, आखिर उसे अपने से उंचा स्थान दोगे? और ब्राह्मण का विभाजन केवल शादी विवाह के कारण होते हैं, हुए हैं, और आज भी हो रहे हैं। पुस्तक को लिखने वाले महापुरुषों को प्रणाम, जिन्होंने इतनी मेहनत करके जैसे-तैसे कम से कम लोगों को जानकारी देने का काम किया।
आदरणीय आपने अच्छी जानकारी दी है। एतदर्थ साधुवाद। आपने भगवान् शिव को अनार्यों के देवता कहा तब भगवान् राम को ब्रह्म हत्या पाप के निवारण के लिए शिव स्थापना क्यों? जो यह सिद्ध करता है कि आर्य- अनार्य का भेद न तो क्षेत्र पूरक है न ही प्रजाति पूरक? बल्कि यह हिंदुओं / भारतीय समाज को बांटने का षड्यंत्र मात्र है। सर्वे हिन्दू सहोदराः नो हिंदू पिता भवेत् आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
In south India, Brahmin classification is completely different, mainly Advait ,Dwait, Vishishtadwait and second classification based on 4 Vedas only. Very few sub classifications. However very interesting and new to Karnataka. I am Shuklayajurved brahmin from Karnataka.
भाई ये तो बहुत पुरानी बात है जो आज के समय मे प्रसंगिक नही है। लेकिन आज के समय मे जो अफसरशाही वर्ग हुआ है वो बहुत घातक है। और ये बात आज के लोगों को 50 साल बात समझ मे आयेगी।
Hare Krishna ! बहुत अच्छी जानकारी! दरसल सनातन के विकृत रुप में एसी भ्रामक बातें कही गयी हैं! जो सरयू के पार हैं वे सर्युपारीण! यानी यदि मैं सरयू के इस पार हूँ तो आप मेरे लिये सर्युपारीण और आपके लिये मैं सर्युपारीण !! कोई सरयू के इस पार होगा - कोई सरयू के उस पार होगा!
शंकराचार्य ने चार पीठ की स्थापना की थी और वहाँ के हेड ही शंकराचार्य कहलाते हैं ।आजकल बहुत लोग अपने को शंकराचार्य कहलवाकर अपने अहंकार की टुस्ती करते हैं । राम भद्राचार्य न तो परमहंस हैं न संत न साधु और नहीं आध्यात्मिक हैं ।वे केवल शास्त्र पडकर मात्र एक किताबी विद्वान पुरुष हैं ।
भाई हमारे महाराष्ट्र में ही ब्राह्मणों की चार जातियां है। देशस्थ, कोकनस्थ ,यजुर्वेदी,और किरवंत इसमें किरवंत जात सबसे निचली मानी जाती है। दुसरे ब्राह्मण किरवंत ब्राह्मणों से रोटी बेटी का व्यवहार नहीं करते।
सभी जाति के लोग अपनी ही जाति को श्रेष्ठ मानते है। मैं कोली/कोरी जाति से हूं इसलिए मैं भी अपनी जाति को श्रेष्ठ मानता हूं अत: कोई भी अपनी जाति को श्रेष्ठ मान सकता है। सभी को अपनी अपनी ढफली बजाने का पूर्ण अधिकार है
जयदेव का भाई बॉब देव जिसने भविष्य पुराण में अमूल चक परिवर्तन करके ब्राह्मणों के बंटवारे का श्री गणेश किया इसका प्रमाण जोधपुर महाराज के संग्रहालय में आज भी है
जो अपने को ऊंचा कहे तो इसमे उसकी चालाकी है मगर कोई दूसरा अपने को नीचे समझे इसमे उस दूसरे इंसान की साफ साफ मूर्खता है, और हमारे देश मे दूसरे प्रकार के मूर्ख इंसानों की संख्या अनगिनत है, अगर पढ़ा लिखा व्यक्ति अपने को नीचे समझे तो वो मुर्ख ही है पढ़ाई लिखाई व्यर्थ है ऐसे इंसान की... जिसमें समता की चाह नहीं वो अच्छा इंसान नहीं...
यह सत्य है कि ब्राह्मणों में भी भेद होते है। मेरे पिता एक तेलुगु भाषि नन्दवरीक सम्प्रदाय के ब्राह्मण है। यदि किसी व्यक्ति का उपनाम Iyer होता है तो वो तमिल भाषी नन्दवरीक ब्राह्मण होता है।
India ko jo dusra desha se aaya thay o brahman na Pathan ham kiya malum ? O hi sala logon ko Musliman ( Pathan) soch kinyu ki Job hindu rastra me usi time me Brahman nenhi thaee , tab muslman rastra me brahma kanha se aae ? Gamvira me soch ,
कमालकी जानकारिया दिया आपने, बोस । Hats off ! इसी तरहसे आगे बढते रहिये ।मै नेपालसे हु । अगर हो सके तो नेपालके ब्राहमणो और जातियो उपर भी शोध किजियेगा - गुजारिश करता हु । एक भिडियो होजाये ।
किसी भी ब्राह्मण से पूछिए_ उसका जाति कौन-सा है? और वर्ण कौन-सा है? दोनों का एक ही उत्तर होगा_ "ब्राह्मण।" ब्राह्मण कोई जाति नहीं है। शास्त्र प्रतिपादित करते हैं कि चार वर्ण में से ब्राह्मण भी एक वर्ण है। ब्राह्मण वर्ण श्रेष्ठ होने से कुछ लोगों ने चालाकी-पूर्वक ब्राह्मण शब्द को अपना जाति बना दिया। ब्राह्मणों को छोड़कर भारतवर्ष में जितने भी जातियां हैं वे शूद्र, वैश्य और क्षत्रीय वर्ण के अंतर्गत आते हैं। ऐसा तथाकथित ब्राह्मण मानते हैं। ब्राह्मण शब्द को अगर जाति मान लिया जाए तो इनका वर्ण क्या है? अगर ब्राह्मण शब्द को वर्ण मान लिया जाए तो इनका जाति क्या है? इस भ्रामिक स्थिति का लाभ उठाते हुए अपने आप को श्रेष्ठ घोषित कर दिया। हम जब तर्क करते हैं तो वे वर्ण व्यवस्था को गुण, कर्म और स्वभाव के सिद्धांत पर आधरित परिभाषा करते हैं। फिर वे अपने जाति कालम में ब्राह्मण क्यों लिखते हैं? बड़ा झोल है भाई !!!!!!🤔 ब्राह्मण जाति या वर्ण ? मेरे समझ से परे है। विनम्र प्रार्थना है ।भारतवर्ष में कोई ऐसा विद्वान है जो मेरे इस शंका का समाधान कर सकता है?🙏
आपका मनताब्य ही मेरा मनताब्य है। मैं भी यही सोचता हूं। पंडितों ने धूर्तता से खुद को ब्राह्मण बना दिया। और बाकी के ब्राह्मण के जातियों को identification पर ही खतरा कर दिया।
🙏जय भीम नमो बुद्धाय, बटवारा हर जगह किया है बाहमल ने खुद में भी और बहुजनो में भी गजब की खूबसूरती है इनकी, बाहमल की जातिवाद छुआछूत उपजाति बटवारे इनसे कभी ये ऊपर उठकर समानता के बारे में क्यो नही सोचते।🙏
क्या सरयूपारीड ब्राहमण सबसे ऊंचे होते हैं हमारी जानकारी में तो गौड समसे महान होते है, कुछ लोगों का मानना है कि सनाढ्य सर्वोपरि मैं सही में कौन उच्च और कौन नीच है और कैसे कृपया विस्तार से समझाऐ
Ganesh Ji jab ramayan likh rahe the tab sarswati nadi ke shor se sun nahi pa rahe the to shrap diya tabhi se sarswati nadi kuch dur bah kar patal me chali jati hy aj bhi yah nadi hy 🙏🙏🕉️🕉️
इसी पुस्तक से एक और वीडियो है उसमें जिझौतिया का वर्णन हो सकता है : फिर भी कोई प्रमाण मिला तो वीडियो बनाने का प्रयास करेंगे : शुक्रिया शुभप्रभात PANKAJ KUMAR JI !