Pranaam Pujya Baaee Ji ! Its such a precious detailed satsng on Karma.We wish n pray that Sri Guru Maharaaj ji n Pujya Baba Ji will bless us with Sadbuddhi n protect us from such karmas.We pray for Ur grace as well. Thanx for the guidance.Pranaam. once again.
कर्म बंधनों से मुक्त हो ना आसान नहीं। स्वर्ग बैकुंठ आदि प्राप्त करके भी मनुष्य कर्म बंधन से मुक्त नहीं हो सकता। फिर 84 में आना पड़ेगा। करण बंधन मुक्ति पाने के लिए केवल इस 28 में कलयुग में ही मौका मिला है। सतयुग आदि से कोई भी कर्म बंधन से मुक्त नहीं हुआ। लेकिन इस कलयुग में प्रेम लक्षणा भक्ति के कारण कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ हो गया है। जब तक प्रेम लक्षणा भक्ति प्राप्त नहीं होगी जिसका प्रगट होना इस कलयुग में हुआ है। कोई भी कर्म बंधन से मुक्त नहीं हो सकता। इसलिए कभी चारों युगों में श्रेष्ठ है। अभी तीन तीन प्रकार की है। अष्टांग योग अष्टधा नवधा भक्ति और प्रेम लक्षणा दसधा भक्ति जो कलयुग में अवतरित हुई है। उसे ही प्राप्त करना होगा। सभी कॉलेजों में जन्म लेना संभव होगा। इसलिए खोजो, खोज बड़ी संसार रे तुम खोजों साधो। खोजा खोजा तो सतगुरु पाइए, सतगुरु संग करतार रे।। सभी परमात्मा की बात करते हैं। लेकिन प्रेम लक्षणों को जानना जरूरी है। जो विजियाभिनद बुध निष्कलंक द्वारा प्रकट हुई है। जिनका श्री निजानंद संप्रदाय है। निजानंद संप्रदाय ब्रह्म मुनियों का संप्रदा है। जिसके कारण तीसरी बार ब्रह्म आत्माएं कलयुग में आई है। पहले दो बार ब्रजराज में आई थी। तीसरी बार कलयुग में आई है। उन्हीं के लिए कहा है। नवधा से न्यारा कहा, 14 लोक में ना ही। सो प्रेम कहां सेपाइए, जो बसंत गोपी का माही।।