परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो में योग के विशेष लाभ के बारे में बताये हैं
योग हमारे जीवन का और संस्कृति का आधारभूत सत्य हैं इसके बारे में सबको मुलभुत जानकारी होनी चाहिये इससे आपकी धीरे धीरे अतिरिक्त प्रगति होती योग के धीरे धीरे आप शिखर पर पहुँचते हैं चार बाते हैं विधि समय निरंतरता एकाग्रता यदि ये चार चीजे होंगी तो आपके भीतर रूपांतरण होगा योग के विधियों में विधि इसके साथ उसका क्रम विधि में उसके लाभ भी संवाहित हैं और ये चारो चीजे होंगी तो लाभ होगा फेफड़ो से श्वसन लेना और छोड़ना कमजोर हैं 2-3 सेकंड में ले और छोड़े बहुत जोर से न करे सामान्य रूप से करे जो पूर्ण निरोगी हैं और योगी हैं वह बल पूर्वक भी कर सकता हैं भस्त्रिका अनुलोम विलोम कपालभाती ये तीनो प्राणायाम करे भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ क्या क्या होता हैं पांच प्राणों का पोषण होता हैं प्राण अपान उदान वियान समान प्राण जो कंठ से लेकर के हृदय तक वायु काम करता हैं उसकी संज्ञा हैं कंठ से लेकर जो सर तक जो वायु का काम करता हैं उसकी संज्ञा उदान हृदय से नाभि तक समान नाभि से नीचे अपान और पुरे शरीर में पांचो को जोड़ता हैं और पांचो प्राणों की शक्ति को संगठित करता हैं और सरे नश नाड़ियों में बह रहा हैं वह हैं वियान और पांच उप्प प्राण हैं नाग कुर्म किर्कल देवदत्त और धनंजय दो काम मुख्य रूप से शरीर को शक्ति देना और अशुद्धी को दूर करना दो काम एक साथ करते हैं ये जो उप्प प्राण हैं इनका काम शरीर को शुद्ध करना हैं मुख्य रूप से और पांचो प्राणों का मुख्य रूप से कार्य हैं शरीर को शक्ति देना हैं अपान का काम अशुधि को दूर करना शरीर इन्द्रियों मन के बीच में सामंजस्य रखना और चेतन आत्मा और मन बुद्धि चित मस्तिष्क के बीच में काम करना ये प्राण का विशेष कार्य हैं प्राण का विशेष प्रयोजन हैं भस्त्रिका प्राणायाम से पांचो प्राणों को पुष्ट करते हैं पांच कोषों को पुष्ट करते हैं तीनो शरीरो का पोषण होता हैं स्थूल सूक्ष्म कारण हैं ये भी बहुत बड़ा विज्ञानं हैं और हमारी तीनो अवस्थाये ठीक रहती हैं स्वप्न सशुक्ति और एक तुरीया अवस्था होती हैं योगियों की इतना बड़ा लाभ हैं भस्त्रिका का शरीर के बाहर और भीतर एक बड़ा उर्जा तैयार हो जाता हैं जब हम लम्बे गहरे श्वास लेते हैं और छोड़ते है जो व्यक्ति प्राणायाम करते हैं उनका आभामंडल सामान्य व्यक्तियों से कई गुना होता हैं सामान्यत: व्यक्ति का ओरा 3 से 4 इंच बाहर होता हैं जहाँ जहाँ चेतन होता हैं वहां यह ओरा रहता हैं और योग करने वाले व्यक्ति का ओर 2-3 इंच नही होता हैं उनका 2-5 फिट और धीरे धीरे और उनका ओरा पुरे समष्टि में छा जाता हैं इतनी दिव्यता उनमे आती हैं भस्त्रिका प्राणायाम से आती हैं दोनों दृष्टि से प्राणायाम के लाभ हैं भौतिक दृष्टि से भी और आध्यात्मिक दृष्टि से भी कपालभाती को एक सेकंड में एक बार जोर से न करे और फ़ोर्स भी नही लगाये ज्यादा फ़ास्ट करने से हायपरटेंसन बढ़ जाता है जो मोटे हैं उन्हें हर्निया हो सकती हैं इसलिये विधि पूर्वक ही योग की प्रक्रिया होगी गलत विधि से करने से नुकसान भी हो सकता हैं और बहुत ज्यादा भी हो सकता हैं कपालभाती अनुलोम विलोम 15 मिनट से आधा घंटा तक करे स्कोद्र्मा में भी कपालभाती लाभकारी हैं सोराइसिस भी ठीक होता हैं जिनके अंग टेढ़े मेढ़े थे उनके अंग प्राणायाम से ठीक हो गये हैं कपालभाती और अनुलोम विलोम करने और जडीबुटी पिलाने से ठीक हो रहे हैं रक्त कोशिकाए आक्सीजन का अवशोषण नही करती वह भी प्राणायाम से ठीक हो जाती हैं उसको कहते हैं सीक्लीन की समस्या हिमोफिलिया यह भी बड़े खतरनाक रोग हैं एक तो हीमोग्लोबिन की कमी रहती हैं हिमोफिलिया में शरीर में कही से खून बहने लगे तो वह रुकता ही नही इसके लिए पीपल शीशम व बेल का रस पिये और प्राणायाम करे आधा घंटे से एक घंटे तक कराते हैं योग से समान्य रोग तो ठीक होते ही हैं और जो पूरा जेनेस्टिकचर ठीक होता हैं यह हैं योग की महिमा यह हैं बड़ा लाभ एकाग्रता व निरंतरता यह जीवन के हर एक क्षेत्र जरूरी हैं
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10 июн 2015