Dil ghamghin hokar bhi muskurata hai Muddato bad bhi e Sanam tu kyu yaad aata hai Ankhome nami si hai phir bhi ashko ko chupata hoo E be wafa har sham tu kyu yaad aata hai
उसके होटों पे जब मेरा नाम जब आया होगा खुद को रुसवाई से कैसे बचाया होगा सुन कर अफसाना मेरे बर्बादी का क्या उसको अपना सितम याद नही आया होगा। मैं गम के घर में कैद हु बाहर नही हु मै ठोकर न यू लगा मुझे पत्थर नही हु मै
इनको सुनकर इस दुनिया का ख्याल नही आता गुजरे जमाने के हर पल याद आते है ऐसा लगता जैसे दुनिया बेजान हो गई बस अकेला रह गया हूं गम की अँधेरी यादो मे बचपन 1995 से सुन रहा हूँ समुंदर से भी ज्यादा गहराई है लगता मेरे लिए ही ये गीत बने है
Ab mujhe bandhan men mat bandho Men Ek Bhed Bakri Bhains palne Wala mere Buragon ne bhi Gaye nahi paali men apne Dil.Awaaz nahi janzeer men nahi kaid kar