हो निगाहें करम सदका हसनैन का सिर्फ इतना कहा बात बनती गई अपने सरकार को उनके सरकार का बास्ता दे दिया बात बनती गई मैंने हर दौर पर है मुसीबत सही साल भर मुझसे तकदीर रूठी रही ए मेरे दोस्तो मेरे सरकार का उर्स जब आ गया बात बनती गई गौसे आजम के उस पियारे दरबार से कह रही हैं नसीबा ये संसार से बनने वाली तो थी ही नहीं बात पर आपने कह दिया बात बनती गई कह रहे हैं मदारी यही हर घड़ी देखते देखते अपनी किस्मत बनी मेरे जिन्दा मेरे जिन्दा मेरे लिए तेरा दर किया मिला बात बनती गई लेके बिगड़ा मुकद्दर भटकता रहा जाने कब से था आका मै उलझा हुआ जैसे ही आपका एक इशारा हुआ मेरे मुुश्किल कुशा बात बनती गई अजनबी लोग थे अजनबी शहर था और मैं बे जबां जब ना कुछ कह सका मैंने सरकार का है तस्सबूर किया फायदा ये हुआ बात बनती गई जिस जा आया है हर एक दर पर कभी हो सकी ना मुराद पूरी कही जब मदारी बना खाली दामन भरा दिल का दीपक जला बात बनती गई मुस्किले मेरी हदसे बढ़ती गई जब समझ में मेरे कुछ भी आया नहीं जैसे ही मेरे होटों पे बे सख्ता दम मदार आ गया बात बनती गई जब ना पाई मुसीबत से कोई मफर आके काशिफ़ मैं आका की दहलीज पर अल मदद अल मदद ए मदारे बस ये कहता रहा बात बनती गई