कीर्त्तनीयः सदा हरिः
परमपुरुष सबके प्रिय हैं । इसलिए मनुष्य उन्हें 'बाबा' बोलकर ही पुकारते हैं। उसी प्रकार सारे जीव भी परमपुरुष के लिए प्रिय हैं। इसलिए परमपुरुष के लिए जगत् की प्रत्त्येक वस्तु ही बाबा है । यह पारस्परिक सम्पर्क है । इसलिए भक्त जब 'बाबा नाम केवलम्' कीर्त्तन करते हैं, परमपुरुष भी तब 'बाबा नाम केवलम्' कीर्त्तन करते हैं। इसका कारण है कि परमपुरुष हैं, इसलिए भक्त हैं, दूसरी ओर भक्त हैं इसीलिए परमपुरुष हैं। यहाँ दोनों का अस्तित्व परस्पर - निर्भरशील है ।
श्री श्री आनन्दमूर्ति
"ज्ञात्वा देवं मुच्यते सर्वपाशैः"
भक्तिरस और कीर्त्तनमहिमा
बाबा नाम केवलम्
11 май 2024