Annual Sir Syed Day Mushaira-1987 (USA) CD'S AND DVD'S AVAILABLE AT:- GOMTI AGENCIES OPP STATE BANK, AMINABAD, LUCKNOW U.P PH 9839128165, 0522 2616418, 9335918233
सर झुकाओगे तो वो देवता हो जाएगा इतना मत चाहो उसे बेवफा हो जाएगा अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा तुम्हे जरूर कोई चाहतो से देखेगा मगर वो आंखे हमारी कहाँ से लाएगा। नजाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो मकान खाली हुआ है तो कोई आएगा। तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा मैं अपनी राख में दीवार बन के बैठा हूँ अगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा रेत भरी है इन आँखों मे आंसू से तुम धो लेना कोई सुखा पेड़ मिले तो उससे लिपट के रो लेना उसके बाद बहुत तन्हा हो जैसे जंगल का रास्ता जो भी तुमसे प्यार से बोले साथ उसी का हो जाना कुछ तो रेत की प्यास बुझाओ, जन्म जन्म की प्यासी है साहिल पर चलने से पहले अपने पाँव भिंगो लेना रोते क्यों हो दिलवालों की किस्मत ऐसी होती है सारीरात युही जागोगे दिन निकले तो सो लेना। मैने दरिया से सीखी है पानी की पर्दादारी ऊपर ऊपर हस्ते रहना गहराई में रो लेना मेरी जिंदगी भी मेरी नही ये हजार खानों में बंट गयी, मुझे एक मुट्ठी जमीन दे ये जमीन कितनी सिमट गई। मुझे पढ़ने वाला पढ़े भी क्या, मुझे लिखने वाला लिखे भी क्या। जहां मेरा नाम लिखा गया, वही रोशनाई उलट गयी। तेरी याद आये तो चुप रहूं, जो में चुप रह तो गजल कहूँ। ये जीभ आग की बेल थी मेरे तन बदन से लिपट गयी मेरी बंद पलको पर टूटकर कोई फूल रात बिखर गया। मुझे सिसकियों ने जगा दिया मेरी नींद उचट गयी कही चंद राहों में खो गया कही चांदनी भी भटक गया। मैं चिराग वओ भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गयी कभी हम मीले भी तो क्या मीले वही दूरियां वही फासले। ना कभी हमारे कदम बढ़े ना कभी तुम्हारी झिझक गयी। तुझे भूल जाने की कोशिशें, कभी कामयाब ना हो सकी। तेरी याद शाख ए गुलाब है जो हवा चली तो लचक गयी। मेरी दासता का उरूज था तेरी नरम पलको की छांव में। मेरे साथ था तुझे जागना तेरी आंख कैसी झपक गयी।
तेरे हाथ से मेरे होंठ तक, वोही इंतजार की प्यास है मेरी नाम की जो शराब थी कहीं रास्ते मे छलक गयी वो चांदनी का बदन खुशबुओं का साया है। बहोत अजीज हमे है मगर पराया है। उतर भी आओ कभी आसमा के जिनो से तुम्हे खुदा ने हमारे लिए बनाया है। तमाम उम्र मेरा दम इसी धुएं में घुटा। वो एक चराग था मैंने उसे बुझाया है। आँखओ में रहा दिल मे उतरकर नही देखा। कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नही देखा बेवक्त अगर जाऊंगा सब चौंक पड़ेंगे एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा। जिस दिन से चल हूं, मेरी मंजिल पे नज़र है आंखों ने कभी मिल का पथथर नही देखा ये फूल मुझे कोई विरासत में मीले है? तुमने मेरे कांटो भरा बिस्तर नही देखा। पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला मैं मोम हु, उसने मुझे छूकर नही देखा। स्याहियों के बने हर्फ़ हर्फ़ होते है, ये लोग रात में कागज कहाँ भिंगोते है। किसी की राह में, दहलीज पर दिए ना रखो किवाड़ सुखी हुई लकड़ियों के होते है। चराग पानी मे मौजों से पूछते होंगे। वो कौन लोग है जो कश्तिया डुबोते हैं। कदईम कस्बों में कैसा सुकून होता है। थके थकाएं हमारे बुजुर्ग सोते हैं। चमकती है, कहीं सदियों में, आंसुओं से जमीन। गजल के शेर कहाँ रोज रोज होते हैं। उदास आंखों से आंसू नही निकलते हैं। ये मोतीओ के तरह सीपियों में पलते हैं मैं शाह राह नही रास्ते का पत्थर हुँ। यहाँ सवार भी पैदल उतर के चलते हैं। उन्हें कभी न बताना मैं उनकी आंखें हुन वो लोग फुल समझकर मुझे मसलते हैं। कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से कही भी जाऊं मेरे साथ साथ चलते हैं ये पेड़ है आज इससे मिल के रो ले हम यहाँ से तेरे मेरे रास्ते बदलते हैं
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ ("राख" नहीं राह) जो भी तुम से प्यार से बोले साथ उसी के हो लेना ( न कि "उसी का हो जाना ") ये अजीब ( जीभ नहीं अजीब ) आग की बेल थी मेरे तन बदन से लिपट गई
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा तुम्हें जरूर कोई चाहतो से देखेगा मगर वो हमारी तरह आँखें कहाँ से लाएगा ........बहुत खूब कहा है बशीर बद्र साहब ने शुक्रिया
کتنا سکون محسوس ہوتا ڈاکٹر بشیر بدر کو سنتے وقت ۔ سخت گرمی میں ایک پیڑ کے چھاؤں بیٹھ کر ٹھندی ہوا کھانے کا احساس ہو جیسے ۔۔ خراب موڈ انہی کو سن کر اچھا ہوتا ہے۔۔سبحان اللہ
Bashir Badr is a great poet of India . He has a sharp intelligence . He has a very good knowledge of human behaviour . He has true knowledge about the book of life which is a secret for common people .
Dr. Basir Sahab, mai kavi sammelano aur mushayaro me shrota ke roop me last 40 saal se sirkat kar raha hu. Aap ki shayri ko mai natmastak karta hu. Jo politician hindu muslim karte rahte hai unko akal kab aayegi wo log desh ko nafrat ki aag me jhonk rahe hai. Aap is samay bimar chal rahe hai. Bhagwan Ram ji se prarthana karta hu ki aap ko seeghra swasth kare.
Vijay bhai ye galat hi...politician on kaam krenge ...hindu muslim sadion se chala aa raha hai ..kasmir main shayri kaam nhi aayi ...Bashir shaeb kya agar bol denge to apna ghar chod ke chale jaooge .....hinduon ka yahi kayarpan ek din unko Puri tarah se le dooba ....pakistaan ne 4 baar hamla kiya ..Bashir shaeb kaam nahi aaye .....thoda histry phad lo
@@basheershah2849 The technological addiction in the form of electronic gadgets is the major reason for making people fray from literary activities and interests
पहले मतले मे कहानी सुनायी दूसरे मे आरोप लगाया तीसरे मे तर्क दिया चौदे मे फैसला सुनाया..हुजूर आप ने तो पुरी फिल्म 4 लाइन में ही सुना दिया महादेव आप की उमर लम्बी करे साहब
मेरी नज़र कहां से लाएगा न मैं आगे बढ़ सका ,न तुम्हारी झिझक गयी गजब के शायर हैं बशीर बद्र साहब बशीर बद्र, वसीम बरेलवी ,मुनौव्वर राणा,राहत इंदौरी आदि शायरों को सुनने का मजा ही कुछ और है
Very nice kavi sammelan shma jal jal kr pighalti rhi shayad gazal ka sher purane jhakhm kured gya na aati teri yaad na sulagti mehfil itni si ek khta sara ghar jala gyi aap pr ilzam ye hai kyon roshan kiya chragon ko ujalon ki chaha aako in parwanon ka katil bna gyi thanks jai hind
Sir mai bhi ek lekhak hu.. aur aapke collection se bahut kuch sikh kar likhta hu.. Thank you sir.. Mere channel k grow karne me kahi na kahi aapka bhi hath hai..😊
Bashir Badr sahab ki ye ghazal: Aankho.n mein raha dil mein utar kar nahi dekha Kashti ke musafir ne samandar nahi dekha Is puri ghazal k kya kehne yar, kya behetareen ghazal hai, ek ek sher iska jabardast hai 🔥🔥🔥
Meri ankon mein aapki Tasveer hai khuda jesi Agar yakeen nahin hai to khud hi Dekh lena Tum Main tumko chahta hun aur Tum mujhe Ye alag baat hai tum Kabool ye karti nahin aur humko Aap har haal mein kabool ho HINDUSTANI ❤😊
Afsos hota hai logo ko dekh kar ke in jaise bade shayaro ko koi janta nahi aur aaj kal ke ladki ke chakkar mai pade huwe logo ki shayari aise sunte hai jaise majnu
बद्र साहब की गजल *कौन याद करता है,ये हिचकियां समझती है, यू टू सायर गुलशन को बहुत लोग आते है, फूल कौन तोड़ेगा,ये कालिया समझती है। यदि यह गजल आपके कलेक्शन में हो तो एक बार जरूर सुनाएगा।
جس دن سے چلا ہوں میری منزل پے نظر ہے آنکھوں نے کبھی میل کا پتھر نہیں دیکھا یہ پھول مجھے کوئی وراست میں ملے ہیں تم نے میرا کانٹوں بھرا بستر نہیں دیکھا پتھر مجھے کہتاہے میرا چاہنے والا میں موم ہوں اسنے مجھے چھوکر نہیں دیکھا