क्षमाप्रार्थी हूँ लेकिन चाहे शिव-सहस्त्रनाम हो, ललिता-सहस्त्रनाम हो, कालभैरव-सहस्त्रनाम हो या अन्य कोई, सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ टुकड़ों में नहीं किया जाता है बल्कि सहस्त्रनाम का पाठ करने एक बार आसन पर बैठ गए तो पूरा ही करना पड़ता है नहीं तो फल प्राप्त नहीं होता है। यदि किसी को सौ-सौ नाम का जाप ही करना है तो इसके लिए शट-अष्टोत्तरनामस्तोत्र (108 नाम) ही बेहतर है।
आपकी बात सही है, किसी भी सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ एक बार में ही किया जाना चाहिए। यहां हम बस दो-तीन बातें कहना चाहेंगे: 1. अगर आप अनुष्ठान कर रहे हैं किसी फल की इच्छा से या ऐसे ही, तब तो आपको सारे नियमों का पालन करना चाहिए। फिर आपको एक बार में ही बैठकर करना चाहिए। 2. लेकिन अगर आपका उद्देश्य सिर्फ भक्ति है, और आपके पास समय का अभाव है, तब आप थोड़ा-थोड़ा भी कर सकते हैं, कोई समस्या नहीं है। जैसा तुलसीदास जी ने कहा भी है:- "तुलसी मेरे राम को, रीझ भजो या खीज। भौम पड़ा जामे सभी, उल्टा सीधा बीज॥" 3. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जब उनसे कुछ करने को कहा जाता है तो वे उत्साह भी दिखाते हैं, लेकिन जब वे 'सहस्त्रनाम' या कोई दूसरे स्तोत्र जो बड़े होते हैं, उन्हें पढ़ने जाते हैं तो कुछ दिन तो उत्साह रहता है फिर कुछ दिन में सब बंद हो जाता है, और कुछ तो देखकर ही बंद कर देते हैं कि कैसे करेंगे इतना बड़ा। थोड़ा कलयुग का प्रभाव भी है, हम सब के लिए समय निकाल लेंगे लेकिन भगवान के लिए नहीं। हमारा सिर्फ एक उद्देश्य है कि लोग भगवान से जुड़ें कैसे भी हो। इसलिए हमने कहा 20-20 नाम भी कर सको तो करो। "अष्टोत्तरशतनाम" भी किया जा सकता है।
@@vedicprerna आपकी बात शिव-सहस्त्रनाम स्तोत्र के विषय में सही है क्योंकि शिव भोले भंडारी है जल्दी प्रसन्न होते हैं और लिंगपुराण में विष्णु जी द्वारा कहे गए शिव-सहस्त्रनाम का कोई विनियोग और करः-न्यास भी नहीं है, लेकिन ललिता-सहस्त्रनाम (जिसके अनुष्ठान से श्रीयंत्र सिद्ध होता है), विष्णु-सहस्रनाम, कालभैरव-सहस्त्रनाम के विनियोग, करः-न्यास इत्यादि हैं जिन्हें सिर्फ एक बार ही पढ़ा जा सकता है और यदि 20 या 100 नाम के बाद आप दोबारा करः-न्यास पढ़ेंगे तो विधि-निषेध होगा 🙏