दीपक देता है - रोशनी फैलाने की "प्रेरणा " फलदायी वृक्ष देता है - देने की "प्रेरणा " मधुबन देता है - महकते रहने की "प्रेरणा " महान व्यक्ति देते हैं - जीवन जीने की "प्रेरणा " आओ "प्रेरणा " से दें - हम सभी को "प्रेरणा "
Didi ji aap ki maata ji ne bhi bhut achi baat boli aap ko ki parmatma shiv aap ke jnam jnam ke mata pita hai. Or apne apne jiwan ka bhot achaa decision liye 15 days mai. Bhot achaa anubhav hai apka didi sunke achaa lgaa.
ओम शांती दिदी जी आपका अनुभव सुनकर हमे बहुत अच्छा लगा है,आप हमेशा बापदादा की छत्रछाया में खुशहाल रहें,प्रसन्नचित्त रहे यही हमारी दुवा है आपसे..! ओम शांती दिदी
Baba aap to kmal hi kr te ho aapka jitna shukriya krun utna thoda h. Baba jese aap aanchal didi ko apne aanchal k niche pyar se rkhte ho vase hi aanchal didi sbhi ko etna pyar deti h ki sbhi sochte h ki didi to bus meri h. Baba to bus mera h. Wah baba wah.
दीदी जी आपका जीवन, प्रेरणा दायक हैं। विश्व परिवर्तन में आप शिव बाबा के राइट हैंड हो । मैं ख़ुद को खुशनसीब समझता हू कि मैं इस सेंटर के संपर्क में आया । और मैं क्या से क्या बन गया 😊 Thank you दीदी जी आप निमित बने, मुझे पालना दी। 😊
Om shanti . I am very lucky ki ap meri sister ho apne mujhe hamesha support Kiya or har situation mai apne mujhe ache s guide kiya thank you so much. We are proud of you❤
बाबा "करा रहा है, बिठा रहा है" ऐसे निरादर से बोलते है, जैसे बाबा इनसे छोटे हों। इतने बड़े और प्यारे हस्ती को कितने सम्मान और प्रेम पूर्वक बोलना चाहिए। विडंबन है की, जिससे प्रेम होता है उनसे तो हम बड़े प्रेम और सम्मान से बात करते है फिर बाबा से क्यों नही? हमे तो बड़ा अफसोस होता है...इस बात को लेकर
@@Lucky-Star088 हमे पता था कि ऐसा ही कोई जवाब आएगा। भावना के लिए तो बाबा भी बलिहार जाते है। ये तो उनका बद्दपन है, और आप जो राधा कृष्ण की बात कर रहे है क्या आपने उनके संवाद सुने है? एक राजकुमार ऐसे मर्यादाहीन संवाद कभी नही कर सकता है। छोड़िए इस बात को भी, क्या आपने अव्यक्त वाणी सुनी- पढ़ी है? यदि हां तो जाकर देखिए की प्यारे बाबा ने अपने शब्द किस प्रकार रखें है? प्रेम की आड़ में मर्यादा को ना भूलिए। महाभारत के चलचित्र में भी संवाद की सुंदरता देखते ही बनती है। कुछ अल्प ज्ञानी आ जाते हैं अपने भावना की आड़ में अपने आपको प्रेमी बताने, प्रेम करना है तो पहले अव्यक्त वाणी पढ़िए और फिर समझिए किसका प्रेम ऊंचा ......फिर अधिकार की बात कीजिएगा। अधिकार तो लौकिक मातापिता पर भी होता है तो क्या "तू " करके बात कर सकतें है? हर रिश्ते की गरिमा होती है.....भाव होती है।
@@Lucky-Star088 रही बात अधिकार की तो, अधिकार 2 लोगो के बीच की बात होती है, आपके बीच कैसे भी बात करे चलेगा, किंतु सृष्टि के सामने रखे जाने वाले संवाद मर्यादा पूर्वक होना चाहिए। खैर आप नही समझेंगे। छोड़ दीजिए।