बहुत लोगों के हाथों से अनजाने में पाप हो गया है। लेकिन जब से वो भगवान बुद्ध के ज्ञान को सुनना शुरू करता है तब से वो सारे पाप कर्मों से दूर होकर पुण्य कर्मों को करने लगता है। कोई कोई लोग पाप को त्यागने के बाद भी पूर्व में स्वयं के हाथों से हुये पाप कर्म को स्मरण करके पछताते रहते हैं। लेकिन ऐसा करना उचित नहीं है। वैसा व्यक्ति किस प्रकार से ज्ञान से मनन करना चाहिए ? इस संखधम सूत्र के जरिए आपलोगों को समझ में आ जायेगा कि सचमुच में स्वयं के हाथों से हुये पापों से कैसे मुक्त हो सकते हैं ....।
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5 сен 2024