जब तक संगठनों में पदस्थ पदाधिकारियों को अपने मूल कर्तव्य समाज सेवा की भावना में उतरना नहीं आएगा अपने अपने निजी हित और स्वार्थ पूर्ति करते रहेंगे संगठन कोई भी हो आज उसका उद्देश तो अपनी समाज की सेवा करना ही है इसलिए मेरा भी यही मानना है कि सभी संगठनों को एक होकर समाज विकास एवं समाज को शिक्षित करने की राह पर अग्रसर होना चाहिए आपसी राजनीति नहीं करनी चाहिए