Jab se ular sabd samvidhan mein joda gaya tab gala nahi gota gaya tha. Arakshan 10 saal ke liye tha use badhate gaye tab gala nahi ghota Jaa Raha. Emergency bhul gaye kya.
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
अरे गंदगी को तुम लोग साफ तो नही कर सकते हो जिससे बिमारी फैलती है लेकिन तुम लोगों ने बीमारी को दूर भगाने वाले के साथ ही अत्याचार कर रहे हो कितना घटिया लोग हो तुम लोग अंधभक्त छुवाछुत करना तुम लोगों की आदत बन गई है
मुख्य न्यायाधीश के कथनानुसार जो फैसला दिया वो आस्था के अनुरूप दिया फिर क्या जरूरत थी कि ये फैसला मुख्य न्यायाधीश से क्यों करवाया जब इसी तरह से फैसला देना था तो किसी कम पड़े लिखे व्यक्ति से करवा दिया होता देश में जजों की क्या आवश्यकता है
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
जब तक जन आंदोलन नहीं होगा तब तक ब्रह्मावाद अपनी मर्जी से वही सब काम करता रहेगा, पाखंड फैलाते रहेंगे. उसका चन्द्रचुद का वो भाषण इसका जीता जागता उदाहरण है जो कहता है की मैंने बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी भगवान पर छोड़ दी जबकि कोर्ट ही कह चुकी कोई भगवान होता ही नहीं है
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
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गैरजिम्मेदाराना बयान है जब डेमोक्रेटिक देश में चीफ जस्टिस ही आस्थावान और भगवान भरोसे निर्णय देने लगे तो समझना चाहिए कि देश में संविधान नामक कोई चीज ही नहीं है, शर्म आती है ऐसे पाखंडी और अन्धविश्वासी जजों पर
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
सीजेआई चंद्रचूड सुप्रीम कोर्ट मे पदस्थ होकर नरेंद्र मोदी के तालवे चाटे और जूठन खाई है अब राजयसभा बने या राज्यपाल सलाहाकार बने या कुछ और क्या फर्क पडता है। न्याय के प्रति जनता कि आस टूट चुकी है।
ऐसे विचारों को आत्मसात करने वाले किसी भी व्यक्ति का किसी भी देश का मुख्य न्यायाधीश बनना दर्भाग्यपूर्ण है । लगता है, कि अंग्रेजों का वह कथन कि एक जाति विशेष के लोग न्याय की कुर्सी पर बैठकर पक्षपात करते है । जय सियाराम ।
कॉलेजियम राष्ट्र के लिए कलंक है एसके स्थान पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुकति आयोग लाना चाहिए।ऐ वंशवाद और जातिवाद के प्रोडक्ट है उनके रिटायर होने के बाद जो चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया बन रहे हैं वह भी वंशवाद और जातिवाद के प्रोडक्ट हैं।
बहुत अच्छी चर्चा, गौहर रजा साहब को सलाम।बाबरी मस्जिद ही नहीं, बहुत सारे फैसले बिना सबूत के आधार पर आये हैं।पेगासस, राफेल में क्या सबूत नहीं थे!मुख्य बात है कि उच्च न्यायपालिका सत्ता के निर्देश पर काम कर रही हैं।
भारत में अब सबूतों के आधार पर न्याय देना लगभग बंद ही चुका है क्योंकि अब आस्था पर फैसले देने का प्रचलन निरंतर बढ़ता ही जा रहा है । जब न्याय ही नही मिलता हो तो न्यायालयों में ताले ठोक देने चाहिए । जब उच्चतम न्यायालय आस्थाओं पर फैसले देने लगे तो बाकी अब बचा ही क्या है । 😢😢😢😢😢
India is a secular country but the statement of cji is laughable and bad for the law this is mind-boggling dont know where are we going very unfortunate for the country
CJI महोदय जी जाते जाते किया दबाव में अपनी शाख को दांव पर लगा दिया और किरकिरी करा रहे हैं ! !! कुर्सी ग्रहण से पहले क्या क्या कहा और अब क्या कर रहे हैं !! !! आया था शान से जाएगा मुंह में कालिख लगा के !!
राज्यसभा नहीँ चंद्रचूड़ को राष्ट्रपति बनाया जाए राम भक्त पक्के है फैसला लिखा है चंद्र के द्वारा सूर्यवंशी अयुद्धया के राम का राज्यसभा तो बहुत छोटा पद होगा उनकी दो बेटी दिव्यांग हैँ मुगल गार्डन में घूमकर स्वास्थ्य लाभ लेंगी निज हित भी सुख सुविधाओं की जरूरत है गाड़ी बंगला नोकर चाकर के बगैर कैसे रहेगा व्यक्ति समझो आप आदरणीय
अब तुम जानते हो कितना हो महान इंसान के बारे में... उन्होंने दिव्यांग बच्चियों को गोद लिया था... पहले तुम किसी दिव्यांग बच्चे को गोद तो लेकर दिखाओ उसके बाद बात करना🎉
जाते जाते chandrachud ye ek baar fir se bataa गए कि मैं judge होने से पहले एक हिंदू हूँ, मैं मेरी पढाई लिखाई को कुड़े मे फेंकता हूँ, चाहे जितना हमको या हमारे जैसो को पढ़ा लिखा लो हम बहुत जाहिलियत के साथ नीच थे, नीच हैं और हम हमेशा ही ऐसे ही रहेंगे। बाकी लोग पढ़ लिख कर विद्वान बनते हैं तो बनते रहे, हम इंसान नहीं बनेंगे। ऐसे judge ya नेता या नौकर शाह देश और इंसानियत के लिए खतरा हैं बहुत बड़ा, जनता को यह समझना ही होगा। वरना सब खत्म।
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
संविधान के पद पर बैठ कर समस्या की मरम्मत व निदान नहीं देते हैं ,फिर भी बार-बार संविधान पद की मांग है, ये गुलाम मानसिकता से अलग और किस की तरफ संकेत दर संकेत है, या...?
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
कोई भी भारतीय जो भारत के लोकतंत्र एवं संविधान में यकीन रखता है मुख्य न्यायाधीश के आस्था के आधार पर दिया जाने वाले फैसला वाले वक्तव्य से सहमत नहीं होगा।
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
अब देश के न्यायपालिका की मौजूदगी सिर्फ औपचारिक है जो कि विधायिका के अंग के रूप में कार्यरत है न कि अलग संस्था के रूप में क्योंकि सेवा निवृत्त के बाद किसी को nhrc का चेयरमैन बनना है तो किसी को भाजपा से राज्यसभा का सदस्य....
Cji is the follower of ranjan gogoi They're worried about their future and want to secure with some post retirement position They're fooling people with their hypocrisy
Asaduddin owesi sahab ne sahi kaha tha k ye babri masjid ka supreme court ka faisla astha per galat hain paper titled per sanvidhan k mutabik hona chahiye tha na k kisi ek dharm k faver main
अंग्रेजों ने बहुत पहले ब्राह्मणों को जज बनने से रोक लगा दिया था और कहा था कि ब्राह्मणों में न्यायिक प्रवृत्ति नहीं होती है और इनमें इच्छा शक्ति की कमी होती है और यह बात आज चंद्रचूड़ से भी साबित हो गई
यादव जी इस बात का क्या सबूत है की अंग्रेज जमाना मे ब्राह्मण जज नहीं होते थे?ये बामसेफी बकलोली मत पेलना हमारे सामने,यादव का चरित्र कितना न्याय प्रिया है ये बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग rjd और sp के राज मे देख चुके है।
कोलेजियम सिस्टम से जज बनेंगे,तो ऐसे ही फैसले होंगे। ये बंद होना चाहिए। सरकार को तो ऐसे गुलाम की जरूरत है। राज्यसभा सदस्य और राज्यपाल का सपना देखने वाले जज कभी भी देश का भला नहीं कर सकते। इसको तो जेल में होना चाहिए।
आप लोगों ने मुस्लिम धर्म के आधार पर देश के दो दो टुकड़े करवा लिए...पाकिस्तान...बांग्लादेश ले लिया...तब सेक्युलरिज्म और धर्मनिरपेक्षता नहीं याद आई?? आपने अपने धर्म के आधार पर एक सेक्युलर देश में अपना अलग पर्सनल लॉ कानून बनवा लिया जो की देश की 80% आबादी से इतर आपको कई विशेष अधिकार देती है...ये भेदभाव नहीं है उन 80% लोगों के साथ???... आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर एक सेक्युलर देश में अपने लिए वक्फ़ बोर्ड बनवा लिया...तब कभी याद आया की ये तो 80% हिन्दुओं के साथ अन्याय है??? आपने अपने धर्म विशेष के नाम पर मदरसे खोल लिए हर गली मोहल्ले में और उसमें देश भर से आप आम टैक्सपेयर्स के पैसे से सरकारी अनुदान लेते हैं जबकि किसी अन्य किसी धर्म के लिए ऐसी सुविधा नहीं है...चाहे वो बौद्ध हों या ईसाई हों या पारसी हों... कभी इस पर आवाज़ उठाए की ये तो एक सेक्युलर देश में नहीं होना चाहिए??
We have always said that there is a constant fight in India now, that is #Constitutionalism Vs #Brahminism and 99% brahmins via RSS fight against the constitutional mandate to sustain their hegemonic casteist supremacist status in Indian society and governance ! Chandrachud is no difference than PVN Rao or Pranab Mukherjee in this regard...
Hum kisi ko kuchh "gift" dene ke pehle kehte hain ki aankh band karo. Gift de chukne ke baad kehte hain tab kehte hain ki ab aankh khol lo. Blind fold, Justice, CJI......!
Ye sab to drama hi kar rahey they Chanderchud sahib...banna to neta hi tha is liye hi to haat per bikney ko aa gaye aur bik bhi gaye...wah Nayab CJI Chanderchud ji....
टी एन शेषन जैसा कोई इन्सान चाहिए जो इन ठगो से लोकतंत्र व देश को बचा सकता है। यदि टी एन शेषन राष्ट्रपति बन जाते तो बता देते कि राष्ट्रपति के पास अपार शक्तियां है केवल रबर मुहर नहीं होते, अफसोस है कि यह देश का दुर्भाग्य है।