छू मुझे छू, खुदा रूह मुझे छू
मेरी जा को, मेरी रूह को
मेरे बदन को छू
छू, मुझे छू, खुदा रूह
मुझे छू
मिट्टी को कुम्हार जैसे, हाथों से अपनी सवारे
यू ही कलामे खुदावंद, गूंदे हमें और निखारे
ले मुझे ले, खुदा रूह मुझे ले
मेरी जा को, मेरी रूह को मेरे बदन को छू
छू मुझे छू…
जीबन से ज्योति जलाले, जैसे जले ज्योत तेरी
सोचें हो मेरी भी ऐसे जैसे है सारि तेरी
भर मुझे भर, खुदा रूह मुझे भर
मेरी जा को, मेरी रूह को मेरे बदन को छू
छू मुझे छू…
#ernestmall #subhashgill
16 сен 2024