आज से लगभग 140 साल पहले जन्म हुआ था कथाकार मुंशी प्रेमचंद का। 56 साल की उम्र में जब उनका निधन हुआ तो वो 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पेज के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना कर चुके थे। देश तब गुलाम था और मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन से देशवासियों में आत्मसम्मान और स्वाधीनता की चेतना जगाई। उनकी लेखनी इतनी समृद्ध थी कि इसने कई पीढ़ियों को प्रभावित करते हुए साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने के साथ-साथ हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने एक पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया और जो आज भी बड़े आकर्षण का विषय है। प्रेमचंद एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता और अग्रणी संपादक थे। भारतीय उपमहाद्वीप में जनचेतना को जागृत करने और उसे गढ़ने में प्रेमचंद का नाम सर्वोपरि है। वाराणसी के पास लमही में पैदा हुए प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था और वो मूलतः उर्दू में लिखते थे। शुरू में उन्होंने अपना लेखकीय नाम नवाब राय रखा था लेकिन जब उनका पहला कहानी संग्रह 'सोज़-ए-वतन' ज़ब्त हुआ तो उसके बाद वो प्रेमचंद नाम से लिखने लगे और हिंदी के उपन्यास सम्राट के रूप में स्थापित हुए।मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं हमारी ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिंदी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। आज भी प्रेमचंद की किताबें घरों का ऐसा हिस्सा हैं जिन्हें पढ़ा और दिल में सजाया जाता है। कई बार इन किताबों पर लगे हल्दी और तेल के दाग़ इस बात की गवाही देते हैं कि इन्हें गृहणियों और कामकाजी महिलाओं नें भी बड़ी लगन से पढ़ती हैं ताकि वो अपने बच्चों और आनेवाली पीढ़ियों तक भी वो मूल्य और विश्वास भी पहुंचा सकें जो उन्हें मानवता से सम्पृक्त कर सकें।
मुंशी प्रेमचंद ने थोड़ा समय मुंबई की फ़िल्मी दुनिया में भी गुज़ारा और कुछ फिल्मों का हिस्सा रहे। 1934 की फिल्म मज़दूर की पटकथा मुंशी प्रेमचंद ने लिखी लेकिन जल्द ही उस वातावरण से सामंजस्य न बना पाने की वजह से वापस आ गए। प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों पर कई फ़िल्में और टीवी धारावहिक बने हैं जो आज भी बड़े चाव से देखे जाते हैं। हिंदी साहित्य में कहानी का पर्याय बन चुके प्रेमचंद की स्मृति को समर्पित है आज का देश देशांतर, जिसे हमने नाम दिया है 'कहानी हिंदी साहित्य की'
यानी आज का देश देशांतर हिंदी साहित्य की कहानी न होकर 'कहानी' का दूसरा नाम यानी 'प्रेमचंद' की चर्चा के लिए आयोजित है। चर्चा में हमारे साथ आज हैं तीन बेहद खास मेहमान
Anchor:- Syed Mohd Irfan
Guest Name :
Dr. Durga Prasad Gupta, Professor, Department of Hindi, Jamia Millia Islamia
Anamika, Indian Poet
Atul Kothari, National Coordinator, Shiksha Sanskriti Utthan
30 июл 2019