ऐकलव्य द्वारा दी गयी गुरुदक्षिणा ने यह साबित कर दिया कि अर्जुन के श्रेष्ठ धनुर्धर होने से पूर्व ही एकलव्य ने यह विद्या द्रोणाचार्य की पतिमा पर ध्यान आस्था से हासिल कर ली थी और अँगूठा देकर अपना आत्मसंम्मान गुरु के दिल में पा लिया था ,
@@sunilmeena2789 दोगली मानसिकता रामायण महाभारत सिरीयल ग्रंथों को काल्पनिक बताने वाले सिरीयल में ऐकल्वय को निषाद बताने पर असली मानने लगे जब महाभारत रामायण काल्पनिक है फिर अर्जुन, द्रोणाचार्य कहां हुऐ क्योंकि वाट्सएप युनिवर्सिटी में जातीय वैमनस्यता ही सिखाई जाती है
बहुत बहुत धन्यवाद मेरे प्रिय भाई जी जो एक गरीब निषाद समाज का इतिहास प्रस्तुत किया मैं चाहता हूं कि आप और भी निषाद समाज के बारे में दिखाये मैं अरबिन्द निषाद छात्र संघ उपाध्यक्ष वर्तमान आजमगढ़ से
भाई जय भीम मैं उत्तर बिहार जिला सहरसा से हूँ आज देश मैं सिर्फ जती वाद होता हैं एकल्व्व जेसे महान योध्दा को अंगूठा देना परा क्यकि वो निचे जात का थे मैं चहता हूँ की हम सब मिलकर बहुजान समाज को जती वाद को खत्म कर देश को बचा सकते हैं
ये तो मनुष्य के कर्मो का स्वभाव है कही जाती वाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, रंगभेद ये अंहकार के दंभ है पृकती जब-तक है तब-तब रहेगा,,,,ये हर समय हर जगह है था रहेगा,,,, क्योंकी मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन चंचल मन होता है ये नइ नइ कल्पनाएं गढता है,,,,आज भी जाती जाती में भैदभाव है
जो गुरु शिष्य के जीवन में अंधेरा कर दे वो गुरु नाम पर कलंक है क्योंकि किसी और को श्रेष्ठ घोषित करने के लिए किसी की जड़ काट ले वो गुरु तो हो ही नहीं सकता 🌺👌🏻🌺👍
@@Jagritiashuofficialsjt नहीं सिरयल कल्पनाएं के आधार पर बनाऐ जाते हैं ज्यादातर ऐकल्वय मगध के सेनापति का बेटा था जो क्षैत्रिय ही था जो शिशुपाल के सेना के साथ विधर्भ में मृत्यु हो गई थी भगवान कृष्ण जी के हाथों,,,, ऐकल्वय,कर्ण, अर्जुन ये जन्मजात शुत्रता जैसी घटना प्रतित होती है श्रैष्ठ धनुर्धर कहलाने कि कल्पना के चक्कर में,,,,,
एकलव्य ही महा धनुष- बाज़ था, अर्जुन तो कृष्ण की वजह से जीता था, जो अर्जुन का रथ चला रहा था.... उस समय भगवान शब्द सिर्फ ब्राह्मण लोगो के लिए था...... किसी निषाद और दलित के लिए नही... द्रौणाचार्य एक ब्राह्मण था वो सिर्फ ब्राह्मण कुल के लिए ही सोचता था.......लेकिन अब समय बदल गया है...ऐसे गुरुओ के लिये बाबा साहेब द्वारा बनाये गए संविधान में कानून है *समानता का अधिकार* अगर किसी भी वर्ग की श्रेणी के व्यक्ति के साथ समान व्यवहार नही किया यानी भेद-भाव किया तो खिलाफ कानूनन कार्यवाही हो सकती है... अगर द्रौणाचार्य इस समय होता तो कही जेल में सड़ रहा होता. सारी धनु विद्या पुलिस वाले सिखाते........दुष्ट द्रौणाचार्य
केवल अर्जुन के लिये द्रोणाचार्य ने ऐसा अन्याय किया फिर भी बिना अगुठाहोकर भी ओ अर्जुन से कही गुना धनुर्विद्या मे पारंगत थालेकिन जब भीस्म्क नरेश के पुत्र रुख्मी भगवान श्रीकृष्ण सेयुद्ध कर ने एकलव्य रूख्क मा के साथ था उसी समय श्री कृष्ण ने ऊस का वध किया नही तो अर्जुन कभी भी ऊस के सामने नही टिकपाता ये सब भगवान श्रीकृष्ण जान ते थे कीव कि ओ साक्षात नारायण थे
Surya veer too karna tha jo apne jibon ki ontok lorte Rohe somaj poriborton ke liye Aklobya too vogoban Sri Krishna se youdh karke pran tyag kiya tha Karn ne vogoban krisna ki shoda vokti ki thi Isliye vogoban Sri Krishna ki joy aur ush surya veer karna ko pronam korta hu jo ye bhi jante thi ki uska koboj use ojeyo kor sakta hei lekin unhune Use dan de diya Isliye wo sonsar ka danveer ho goyi Usne sobki ohongkar ko tor diya tha bolki Indra dev ki ohongkar ko bhi Jai maharothi karna🙏🙏
One of the greatest and highly strict to his principles , ever happened in the Indian history , the Aacharya Drona. I love his principles and the teaching technics to disciples.
द्रोणाचार्य ने इतिहास में गुरू के पद को कलंकित किया है, आज भी गुरू के भेष कितने कपटी, चालाक द्रोणाचार्य है इनको समझने की जरुरत है जिनके मन में जातिवाद कूट कूट कर भरा होता है
ऐसे गुरुओं के लिए बाबासाहेब द्वारा बनाए गए कानून है समानता का अधिकार अगर गुरु द्रोणाचार्य इस समय होता तो कहीं जेल में सड़ रहा होता सारी धनुर्विद्या पुलिसवाले सिखाते. .... दुष्ट द्रोणाचार्य