ऐसो दुख दिजो हिय माही
बिन पदकंज छटा दृग देखे
कोई सुहावे नाही...
ऐसो दुख दिजो हिय माही
(संवाद)
नाम रटे दृग ढारे आंसु
दिन छिन अति अकुलाही
(संवाद)
दिन छिन अति अकुलाही
ऐसो दुख दिजो हिय माही
काहु सो मिलवौ ना सुहावे
बातन सों घबराही...
(संवाद)
बस्ती छोड़ एकांत बिढावौ
जग सब शून्य दिखाही
ऐसो दुख दिजो हिय माही
(संवाद)
भोरी ऐसे दुख बिन प्यारी
जीवन जन्म वृथाही...
(संवाद)
भोरी ऐसे दुख बिन प्यारी
जीवन जन्म वृथाही...
ऐसो दुख दिजो हिय माही
17 мар 2024