लघुकथा- फ़ासले
कथा, पटकथा व संवाद- कांति देब
निर्माता- बी. के. देब
निर्देशक- गुलशन सचदेवा
इंसान जब अपने मंज़िल के सफर पर निकलता है उसे कहीं- न कहीं फ़ासले से भी रूबरू होना पड़ता है| फ़ासले की कहानी भी इसी ओर इशारा करती है| एक नामी न्यूरो सर्जन नवीन सहाय भी अपने जीवन में बहुत सारे उतार- चढ़ाव का सामना करते हुए अपनी पत्नी और बेटे के लिए अपने उसूलों और अपने पेशे की कसौटी पर खड़े उतरते हैं| एक डाक्टर की मनोदशा और अपने भीतर के अंतर्द्वंद से लड़ते हुए डा. सहाय की कहानी को कथाकार कांति देब ने बहुत ही मार्मिक अंदाज़ में दिखाने की कोशिश की है|
11 мар 2021