बहुत खूब क्या बात है माशा अल्लाह सैय्यद साहब आपकी ही कि तकरीर का असर है ये गुलाम नमाज़ तो पढ़ता था मगर पांचों वक्त की नही पढ़ता था मगर आपने ऐसा बदल दिया की कसम अल्लाह की अब सजदे में ही सुकून मिलता है और अब अखमदुलिल्लाह पांचों वक्त की नमाज़ अदा करता हूं।