कई गीत हमारे जीवन की दैनिक घटनाओं से जुड़े होते हैं। हमारे पास भी कुछ गीत अनमोल खज़ाने की तरह दिल के तहखानों में रखे हुए हैं। ये गीत यादों की कस्तूरी की तरह महकते हैं। ऐसे सुगंधित कस्तूरी गीतों का यह एक और अलग संगीत कार्यक्रम है। यह एक संगीत कार्यक्रम है जो गीत व्याकरण को सरल करता है और वर्षों से सुने जाने वाले गीतों के लिए नए स्वरों का परिचय देता है।
गाना आना मेरी जान मेरी जान संडे के संडे को कई लोग एक पश्चिमी गीत की नकल मानते हैं, लेकिन वास्तव में, वो 'माझी एकट्याची एकट्याची मजा झाली' इस मराठी लोक गीत से प्रेरणा लेकर संगीतकार सी.रामचंद्रजीने तैय्यार किया है। 'मुझको अगर भुल जाओगे तुम मुझसे अगर दूर जाओगे तुम मेरी मोहब्बत में तासीर है तो खिचके मेरे पास आओगे तुम...' गाने में तेरे सुर और मेरे गीत को प्रतिभाशाली संगीतकार वसंत देसाईने कंपोज किया है । उनकी प्रतिभा अद्भुत और अलौकीक है. उनके इस लोकप्रिय गीत को हम आजभी गुनगुनाते हैं...लेकिन इस गीत मे इस्तेमाल तासीर शब्द का क्या अर्थ है? इस सवाल का जवाब बाकी है। इसका जवाब इस कार्यक्रम में मिलेगा।
ऐसे बहुत से नए शब्द हमें जानने को मिलेंगे। एक और उदाहरण देखें। 'रजनीगंधा फूल तुम्हारे' गाने में 'अधिकार' शब्द का ठहराव मन मोह लेता है। यह सलिल चौधरी नाम के फनकार की जादू है और यह लता मंगेशकर की 'स्वरस्वतीथ' का चमत्कार भी है। लता दीदी द्वारा 'अधिकार' शब्द का विशेष उच्चारण पर इस श्रंखला में अनुभव किया जाएगा।गीतों की जन्म कथाएं सुनना एक रोचक अनुभव है। यह एक अलग प्रयोग है। हमने प्रशंसकों में दृढ़ विश्वास के बल पर इस स्वरयज्ञ की शुरुआत की है।
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गीतकार : भरत व्यास,
गायिका : लता मंगेशकर,
संगीतकार : वसंत देसाई,
चित्रपट : गूंज उठी शहनाई (१९५९)
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कार्यक्रम का नाम- गाता रहे मेरा दिल
इस श्रृंखला का संशोधन, पेशकश और गायन - मृदुला दाढे जोशी
संगीत संयोजन- चिराग पांचाळ
तबला- संदीप मयेकर
गिटार- राहुल देव
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कार्यक्रम की संयोजना और संकल्पना- सी.विद्याधर
निर्माता- शैलेश पेठे
डीओपी- अजय गोखले
विशेष आभार- उत्तम रोग्ये, प्रभाकर खोपडे
-समाप्त-
27 май 2023