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Gandhar Assignment (7) Shloka 37 to 43, Purusharth Siddhi Upay पुरुषार्थ सिद्धि उपाय, Sem 7 

Dr Kavita Kasliwal
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Gandhar Assignment (7) Shloka 37 to 43, Purusharth Siddhi Upay पुरुषार्थ सिद्धि उपाय done by Ruchika Pandey
(1) Purusharth Siddhi Upay, Manglacharan Pg 19,20 : ru-vid.com...
(2) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 1 & 2 : ru-vid.com...
(3) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 3 to 6 : ru-vid.com...
(4) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 7 to 11 : ru-vid.com...
(5) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 12 , 13 : ru-vid.com...
(6) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 14 to 19 : ru-vid.com...
(7) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 20 to 27: ru-vid.com...
(8) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 28 to 36: ru-vid.com...
(9) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 37 to 43: ru-vid.com...
(10) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 44 to 59 ru-vid.com...
(11) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 69 to 75 ru-vid.com...
(12) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 76 to 82 ru-vid.com...
Gandhar Assignment (1) - Purusharth Siddhi Upay , Shloka 1 & 2 • Gandhar Assignment (1)...
Gandhar Assignment (2) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 3 to 6 • Gandhar Assignment (2)...
Gandhar Assignment (3) Purusharth Siddhi Upay, Shloka 7 to 11 : • Gandhar Assignment (3)...
Gandhar Assignment (4) of Purusharth Sddhi Upay, Shloka 10 & 11 : • Gandhar Assignment (4)...
Gandhar Assignment (5) of Purusharth Sddhi Upay, Shloka 12 & 13 : • Gandhar Assignment (5)...
Gandhar Assignment (6), Purusharth Siddhi Upay, Shloka 14 to 19 • Gandhar Assignment (6)...
Summary of Purusharth Siddhi Upay Shloka 20 to 27 • Summary of Shloka 20 t...
Summary of Purusharth Siddhi Upay, Shloka 28 to 36 • Summary of Shloka 28 ...
Gandhar Assignment (7), Purusharth Siddhi Upay Shloka 44 to 50 • Gandhar Assignment (8)...
Gandhar Assignment (8) Purusharth Siddhi Upay Shloka 51 to 59 • Gandhar Assignment (9)...
Gandhar Assignment (9) Purusharth Siddhi Upay Shloka 51 to 59 • Gandhar Assignment (9)...
Gandhar Assignment (10) Purusharth Siddhi Upay Shloka 60 to 68 • Gandhar Assignment (10...
Gandhar Assignment (11) Purusharth Siddhi Upay Shloka 69 to 75 • Gandhar Assignment (11...
Gandhar Assignment (12) Shloka 70 to 82 • Gandhar Assignment (11...
आध्यात्मिक संतों में कुंदकुंदाचार्य के बाद आचार्य अमृतचंद्र दूसरे स्थान पर हैं। उनकी सभी रचनाएँ उच्च कोटि के अध्यात्मवाद से परिपूर्ण हैं। उनके गद्य लेखन में आचार्य कुंदकुंद के महान कार्यों पर उनकी टीका शामिल हैं।
1. समयसार टीका- आत्मख्याति
2. प्रवचनसार टीका- तात्पर्य दीपिका
3. पंचास्तिकाय टीका - समय व्याख्या
4. तत्त्वार्थसार-आचार्य उमास्वामी के गद्य सूत्रों का काव्यात्मक अनुवाद।
5. पुरुषार्थसिद्धि उपाय - गृहस्थ जीवन पर एक मौलिक कृति। इस कृति में हिंसा और अहिंसा के स्वरूप का अत्यंत यथार्थ चित्रण किया गया है।
‘‘पुरुषार्थसिद्धयुपाय’’ इनकी मौलिक रचना है, जिसे श्रावकों की ‘‘आचार-संहिता’’ कह सकते हैं। इस ग्रंथ में पुरुष के अर्थ की सिद्धि के उपाय को बताया गया है। ज्ञान, दर्शन,चेतना के स्वामी का नाम पुरुष है। प्रश्न यह उठता है कि चैतन्य पुरुष के अशुद्धता कैसे और क्योंकर हो गई ? जिसके कारण इसको अपने अर्थ की सिद्धि करने की आवश्यकता पड़ी। समाधान है-इस आत्मा की अनादिकाल से ही रागादि परिणामों में परिणमन करने के कारण अशुद्ध दशा हो रही है। द्रव्य कर्म से रागादिभाव होते हैं और रागादि भावों से फिर नवीन द्रव्य कर्मो का बंध होता है।
आत्मा को वह पद किस उपाय से मिल सकता है, इस ग्रंथ में बताया है। संसार के दु:खों से घूटने का उद्यम ही सर्वोत्तम पुरुषार्थ है। इस पुरुषार्थ की सिद्धि का उपाय-पूर्ण रत्नत्रय है जिसका उपदेश इस ग्रंथ में श्रावकों के लिए किया गया है। आचार्य अमृतचन्द्र देव, जीवों को उस रत्नत्रय-धर्म- सम्यक्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र का उपदेश कराना चाहते हैं। यह रत्नत्रय धर्म-निश्चय व व्यवहार रूप नयाश्रित है। व्यवहार नय से धर्म-सम्यक्दर्शनज्ञान-चारित्र रूप तीन तरह का है, परन्तु निश्चय नय से धर्म वीतरागता रूप ही है। एक श्रावक अपनी योग्यता व क्षमता पूर्वक उक्त पुरुषार्थ को साधता है। प्रमादवश यदि श्रावकोचित पथ से भटकता है, तो सम्यक्दर्शन के सहारे पुन: मोक्षमार्ग का ज्ञान प्राप्त कर अभ्यास को दुहराता है।
आचार्य अमृतचन्द्र ने मंगलाचरण में अनेकान्त को नमस्कार किया कि वह जैनागम का प्राण है। अनेकान्त में निश्चय और व्यवहार दोनों नयों का एक सार्थक समन्वय है। यदि लोकोन्तर होना चाहते हो तो शुद्ध सम्यक्दृष्टि बनकर लोक व्यवहार से ऊपर उठकर आत्मा की निश्चय दृष्टि अपनानी होगी। ग्रंथ में पुरुषार्थसिद्धि के उपायों का विवेचन है। जिसे प्रमुख पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है। (१) सम्यक्त्व-विवेचन (२) सम्यग्ज्ञान-व्याख्यान (३) सम्यक्-चारित्र व्याख्या (४) सल्लेखना व समाधिमरण तथा (५) सकल चारित्र व्याख्यान।
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21 мар 2024

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